इस मोड़ से जाते हैं कुछ सुस्त कदम रस्ते
>> 14 June 2009
"ये आदतें भी बड़ी अजीब होती हैं । ये भूलना भी तो एक आदत है और हाँ याद रखना भी । खासकर जब आप याद रखना चाहो तो भूल जाते हो" कॉफी के नन्हे नन्हे घूँट लेता हुआ मैं मुस्कुराते हुए बोला ।
वो मेरी आँखों में निहारते हुए बोली "अच्छा वो कैसे ?" कॉफी के कप को उस लॉन की दीवार पर रखते हुए मैं बोला "ह्म्म्म्म्...जैसे मैं याद रखने की कोशिश करता हूँ कि तुम्हारी आँखें मुझे कुछ याद दिलाना चाहती हैं लेकिन मैं भूल जाता हूँ ।"
-अच्छा उठो, यहाँ आओ देखो ।
-"क्यों?" वो लॉन में कुर्सी पर बैठी हुई बोली ।
-अरे आओ ना ।
-"अच्छा ठीक है, लो आ गयी" मेरे पास आते हुए उसने कहा ।
-मैं हाथ से इशारा करते हुए बोलता हूँ "वो देखो दूर पहाडी के मोड़ को देख रही हो" ।
-हाँ, देख रही हूँ ।
-कितनी खूबसूरत जगह है, है ना ।
-हाँ, लेकिन....
-लेकिन क्या ?
-अरे बुद्धू, उस मोड़ का इस बात से क्या मतलब ?
-मतलब तो है । देखो, मैं वहाँ बैठे हुए, हर आने जाने वाले जोड़े को देख रहा हूँ और याद करने की कोशिश कर रहा हूँ कि इनमें से पिछली साल भी हमें कौन कौन यहाँ मिला था ।
-अच्छा तो कुछ याद आया ?
-ह्म्म्म्म्म...हाँ, मैं क्या सोच रहा था कि....
-"क्या ? क्या सोच रहे थे आप" वो मुस्कुराती है । मेरी आँखों में शरारत देखती है । हाँ-हाँ बोलिए क्या सोच रहे थे आप ?
-ये मोड़ बड़ा प्यारा है ना । ये बारिश की हल्की फुहार । ये रोमांटिक मौसम । ये प्रेमी, ये प्यार करने वाले, ये चाहने वाले । उस मोड़ पर कितनी बार बैठते हैं ।
-ह्म्म्म्म्म....सो तो है ।
-मैं उसके गले में बाहें डाल कर बोलता हूँ "अच्छा तुम्हें नहीं लगता कि वहाँ अपना एक छोटा सा, नन्हा मुन्हा सा रेस्टोरेंट हो । जहाँ हॉट एंड कोल्ड कॉफी मिले । वे वहीँ, खुले में, नन्ही-नन्ही पड़ती हुई फुहारों के नीचे बैठे हुए, उस रूमानियत को महसूस करते हुए, कॉफी के घूँट भरे और हाँ फूलों की दूकान भी....
-वो क्यों ?
-अरे वो इस लिए कि गुलाब लेने के लिए कहीं और नहीं जाना पड़ेगा न ।
-तुम भी ना, पता नहीं क्या क्या सोचते रहते हो
-नहीं सच्ची-मुच्ची । काश कि ऐसा हो । यहाँ इन पहाडों के बीच इस पड़ती हुई बारिश, बहती हुई ठंडी-ठंडी हवा, उफ्फ...हूहूहू...कपकपाने वाली सर्दी और दो प्रेमी लोग बाँहों में बाहें डाले घूमते हुए, एक दूसरे से इजहारे मोहब्बत करते हुए । शादी के 2 साल बाद, 5 साल बाद, 50 साल बाद भी आयें....आते रहें
-वो हंसने लगती है "अच्छा मिस्टर रोमियो, खयाली बातें बनाना छोडो ।
-सच में ऐसा हो, तो कितना अच्छा हो
-अच्छा तो हमारे बच्चे क्या करेंगे ?
-क्या करेंगे....पढेंगे लिखेंगे और क्या ।
-रहने दो तुम्हारे होते हुए तो पढ़ लिए ।
-क्यों मेरे होते हुए क्यों नहीं पढेंगे ?
-और नहीं तो क्या, तुम बस ऐसी ही बातें करते रहोगे ।
-अरे नहीं में बिलकुल सख्त डैडी बनूँगा ।
-जाओ जाओ बन गए सख्त डैडी ।
-अच्छा कोई नहीं, तुम हो ना, तुम तो ठीक से पढाओगी उन्हें ।
-हाँ बस सब में ही करुँगी ना । तुम खुद कुछ मत करना ।
-अरे मैं करूँगा ना, तुम्हें और बच्चों को ढेर सारा प्यार करूँगा और हाँ कॉफी बनाकर भी पिलाऊंगा । और हम उस मोड़ पर भी जाया करेंगे....
उस मोड़ पर खुद भी उस बारिश, वो हल्की-हल्की रूमानियत भरी ठंडी-ठंडी हवा, उस खुले आसमान के तले रोजाना बैठा करेंगे, कॉफी पियेंगे ।
-जाओ जाओ, रहने दो मिस्टर रोमांटिक
-अच्छा सुनो
-ह्म्म्म्म....बोलो
-मुझे कुछ याद आया
-क्या ?
मैं उसके कानों में रूमानियत भरे अंदाज़ में कहता हूँ "आई लव यू" । वो खुश हो जाती है । फिर उसके गले में बाहें डाले हुए बोलता हूँ "अच्छा चलो, उस मोड़ पर कुछ देर बैठ कर आयें"
-नहीं बारिश हो रही है । अभी अभी तो वापस आये थे ।
-अरे एक बार और
-नहीं
-अरे हाँ
-ह्म्म्म्म....
-अरे हाँ हाँ
वो हंसने लगती है । फिर हम उस मोड़ पर ठंडी ठंडी हवा और पड़ती हुई बारिश की फुहारों के तले बैठे हुए हैं.....
43 comments:
So Romantic !!
Kya likhte hain aap ....kaise tareef karun....kya kahun kuchh samjh nahi aa raha ....
Ek ek shabd dil tak pahunchta hai
achhi rachna !
pyaari shabdaavali..............
जमा दिया
जो तुम होती तो कैसा होता. . .
जैसा एकालाप या संवाद.
मन मधुर हो गया
बहुत रोमांटिक पोस्ट...
भई वाह..... अनिल जी, साधुवाद..
भावनाओं और शब्दों का बेजोड़ ताल मेल
अनिल जी बहुत अच्छा लिखते है आप
बहुत बहुत बधाई हो,
प्यार भरा ये अभिव्यक्ति,
सच मे दिल को छू जाता है.
रविवार कि अच्छी शरुआत है...
तुम्हारे तो ब्लाग पर ही प्रतिबंध लगाना पड़ेगा। कुछ तो खयाल रखा करो हम जैसे बजरंगियों(वो वाले नही,हनुमान भक्तो)का।इतना रोमेंटिक लिखोगे तो हमारा भी दिल है भैया सिंदूर मे चुपड़ा हुआ पत्थर नही।कुछ कुछ हुआ तो सारी जिम्मेदारी तुम्हारी होगी समझे।बहुत बढिया लिखा अनिल,बहुत बढिया।खूब लिखो ऐसे ही लिखो।
प्रणय भाव से पूरित आलेख जिसमें भबिष्य के सपने भी हैं।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
वाह अनिल भाई..दर्द के beech khushee का इक katraa kitnaa khoobsoorat lagtaa है ...आप यूँ ही लिखते rahein..हम yahee duaa karenge...
Whoa.. so romantic start to a lovely.. err... Hot sunday..
U express beautifully.. :-)
what a romantic idea...........bahut khoobsoorat drishya,ji karta hai un palon ko kuch pal jee lein.
इश्क की दास्तां है प्यारे
अपनी-अपनी जुबां है प्यारे
वाह।
aapka blog achchaa lga ab hm aate rhenge .
anil जी......koot koot कर bharte हैं आप bhaavnaaon को अपनी post में............. फिर वो भाव umad umad कर nikalte हैं शब्दों के maadhyam से ........... वाह लाजवाब
ग़ज़्ज़ब लिख दिया, भाई ।
किस किसके कान काटने का इरादा है ?
अच्छी और सुथरी प्रस्तुति ।
बहुत सुन्दर लिखते हो मित्र। गद्य में कविता सा बहता है लेखन!
वाह एक समां बांध दिया आपके लेख ने बहुत बढ़िया जी......
मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.......
मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.......
अक्षय-मन
aap jo bhi lokhte ho lagta hai aankho ke samne ho raha hai.....
Is mod se jaate hain,Kuchh sust qadam raste kuchh tez qadam raahe ...... Gulzaar saa'b ka likhe is geet ke title ne is lekhan ko padhne ke liye badhya kiya....aapne pura nyay kiya hain.... bahut khoobsurat !
बढिया!!
so sweet,behad behad khubsurat bhav,badhai.
:-)
shayad pehli baar aapke blog pe kuch padh raha hoon...is lekhan ke andaaz ke to hum kaayal ho gaye...Gulzarish effect nazar aa raha tha...presentation ka andaaz bhi bahut achha tha
bahut suder post prem me duba premi
shabdo ki barish ne bhigo rha hai sabko
sorry for the delay, read both the posts just now, Bahut hi achhi lagi dono. The last post is very poignant and the sorrow of the missing days can be really felt. This post is amazing..all the images are clear and very romantic post.
कितने अच्छे लगते हैं न ऐसे ख्वाब ......!
एक अरसा पहले मैंने दो युगल प्रेमियों को पार्क में बैठे देख एक कविता लिखी थी .......
इस बेबस, लाचार,अर्थहीन ज़िन्दगी से
कितने अच्छे हैं
रंगीन ,सतरंगी ,इन्द्रधनुषी सपने
कुछ पल के लिए ही सही
हम जीवन के
सबसे हसीं मोड़ पे
खड़े हो लेते हैं
जहां से तारों को तोडा जा सकता है
चाँद पर पहुंचा जा सकता है
आकाश को छुआ जा सकता है ......!!
haan bahut haseen hote hain ye khwab, ye pal.....
bahut achchhi panktiyaan hai aapki
क्या बात है अनिल भाई, आजकल बहुत रोमांटिक हो रहे हैं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
प्रेम...मौसम बारिश और शब्द ..शब्दों के वाक्य एक चित्रातमक गधय...बधाई...हरकीरत जी ki कविता kaa अंश अच्छा लगा...उन्हें भी बधाई
Dil ko chhune wali rachna...badhai.
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मेरे ब्लॉग "शब्द-शिखर" पर पढें 'ईव-टीजिंग और ड्रेस कोड'' एवं अपनी राय दें.
आपकी कलम की कायल हूँइस से अधिक क्या कहूँ बधाई
kya baat hai lajawab
koi khas wah is rachna ke peeche:)
anil kaise likh paye
ansu palko me aa ke jam gaye
apke ek ek shabd per dero baaten yaad aa gai
bhut bhavpurn likha hai aapne
anil apko pata haga blog jagat mera liye bahut naya hai yahi karan hai ki camment dusri rachana ke shath jud gaya waise mera pahla kament dad kya mai wakai tumse nafrat karta hoon ke liye thi.
shukriya sonalika ji
main aasha karta hoon ki aap blog par aati rahengi
bahut ho romantic story thi...
padte padte man lag gaya aapko baar baar padne ka .... bahut badiya
likhne ka jo tumhara andaz hai wo lajavab hai...
god luck.
sir,
it's realy mind blowing and excelent,
maine aap ki 1-2 kavitaye KNIT me suni thi but aaj aap ke abhibyakti ko padh ke ehsaas hua ki aap savdo me jadu hai.....
Bahut accha likhte hai sir,mujhe ye samajh nahi aata hai ki technology field ke background ke sath aap itna achha litrture kaise likh sakte hai,
aapki lekhan saili mai mujhe apne guru Mr. D.S.Rai ji ki jhalak dikhai deti hai..
Dhanyabad Sir
bahut achcha likhte hai aap
hi u commented on my blog long back .thanx .keep reading
sabdon ke zadughar.
apke reshmi khabghah me chand bojhil lamho ko aram mila.kash, kabhi bhule se mere
nurkade me bhi tashreef layen.
dr manoj singh
www.skyfansclub.blogspot.in/
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