रात, चाँद, वो और मैं
>> 30 July 2010
-"एक बात पूछूँ ?" मैं उससे कहता हूँ ।
-"ह्म्म्म..." वो जवाब देती है ।
-इस शहर को कितना जानती हो ?
-"ये सवाल क्यों ?" वो मुझसे सवाल करती है ।
-मैं उससे कहता हूँ "तुम सवाल बहुत करती हो ।"
-वो मुस्कुरा कर कहती है "तुम जवाब जो नहीं देते ।"
-अच्छा बताओ । "कितना जानती हो इस शहर को ?"
-ह्म्म्म.....सच कहूँ । उतना ही जितना कि तुम्हें ।
-मतलब
-मतलब ये कि ठीक वैसे ही जैसे कि तुम्हें जानती हूँ ।
-"वो कैसे ?" मैं फिर से सवाल करता हूँ ।
-क्योंकि ....हर बार ही तो ये शहर मुझे नया सा मालूम होता है । कभी-कभी तो लगता है जैसे कि मैं इसे बिल्कुल भी नहीं जानती और कभी यूँ लगता है जैसे कि सब कुछ जान लिया हो । अब कुछ भी जानना बाकी नहीं । हर बार मुझे अपना सा मालूम होता है ।
मैं उसकी इन बातों पर मुस्कुरा जाता हूँ । वो मेरी ओर देखकर इशारे से पूंछती है "कि मैं क्यों मुस्कुराया ।"
तब मैं उससे कहता हूँ "कितना अच्छे से जानती हो तुम मुझे ।"
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-अच्छा अगर जो मैं ना होता तो क्या होता ?
-तो मैं भी ना होती ।
-वो क्यों ?
-क्योंकि जब तुम्हारा होना तय हुआ होगा तो मेरा होना भी तय हो गया होगा ।
-तुम बातें बहुत बनाती हो ।
-जानती हूँ ।
-वो कैसे ?
-क्योंकि तुम मेरे पास जो हो ।
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-"आई हेट यू " वो बोली ।
-रियली !
-हाँ....आई हेट यू ......आई रियली हेट यू ।
-क्यों भला ?
-सुना है जो लोग बहुत प्यारे होते हैं उन्हें नज़र लग जाती है ।
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-"चाँद मियाँ कल शिकायत के मूड में थे ।" मैं उससे कहता हूँ
-"क्यों, किसने खता की है ?" उसने पूँछा
-कह रहे थे कि तुम उसे सोने नहीं देती । सुबह तक जगाये रखती हो ।
-"लो भला अब हम क्यों जगाये रखते हैं । उल्टा वो ही हमें सोने नहीं देते और तुम्हारी शक्लों में बदल बदल कर हमारे सामने आ जाते हैं । तो बोलो खता किसकी हुई ?" उसने कहा
-"ह्म्म्म.....अब साहब यह तो बड़ा कठिन सवाल है । चलो चाँद मियाँ से पूंछते हैं कि आखिर बात क्या है ? क्यों चाँद मिंयाँ क्या कहते हो ?" मैंने कहा ।
-"अच्छा तो साहब अब आप भी उनकी ओर हो लिये । ये खूब रही । हम तो कहेंगे कि ना उनकी खता है ना हमारी खता है ....ये सब आपकी खता है ।" चाँद मियाँ तपाक से बोले ।
-"सही कहा आपने चाँद मियाँ ....ना आपकी खता है और ना हमारी ....ये सब तो इनका ही किया धरा है ....और दिन-ब-दिन रंगत हम अपनी खोते जा रहे हैं ।"वो चाँद की ओर देखकर बोली
-"लो ये अच्छी बात हुई । अब आप भी उनकी ओर हो लिए ।" मैंने मुस्कुराते हुए कहा ।
चाँद मियाँ मुस्कुराते हुए उसकी ओर देख रहे हैं ......