वक़्त की हथेली पर फैलीं
>> 27 September 2009
वक़्त की हथेली पर फैलीं
तेरी मेरी खामोशियाँ
साँसों में घुलती सी जातीं
तेरी मेरी नजदीकियाँ
चुपके से दबे पाँव आकर
बाहों में लेती ये तन्हाइयां
बंद पलकों में समेटती
ख्वाबों में तेरी परछाइयां
सोचता हूँ कहीं ये वही
प्यारा सा इश्क तो नहीं
38 comments:
हाँ लगता तो ऐसा ही है कि कहीं इश्क ने अपना रंग दिखाया है :)
आजकल आप कम लिखते हैं
क्या बात है भाई जान आज इश्क की बात कैसे हो चली
चन्द पंक्तियों में हाले दिल कह रहे हैं क्या ?
साहब दिल ने जो कहा वो लिख दिया
कसूर माफ़ :) :)
जी हाँ वही प्यारा सा इश्क है.
बहुत खूब
हाले दिल सुनना ,सुनाना भी कई बार कसूर माफ़ कहला देता है :) जो भी है इश्क या प्यार आपका लिखा बहुत अच्छा लगा ...शुक्रिया
अरे सोचने की बात नही ये सब तो इश्क़ के ही लक्षण है..
बढ़िया रचना..बधाई..दशहरा की हार्दिक शुभकामना..
nice poem........
sundar saral shabdon mein saji abhivyakti! Sundar kavita.
वक्त की हथेली पर फैली...तेरी मेरी खामोशियां...वाह...बहुत ही कोमल सा अहसास है...सुंदर
waah waah.........ishq ko bakhubi bayan kar diya
अनिल भाई आजतक जितनी भी आपकी रचनाये पढी
है उनमे सबसे खुबसूरत रचना /जो दिल के धमनियो से होकर गुजर गया/बस इतना कहुंगा कि वाह वाह वाह वाह वाह जियो हजारो साल!
अनिल भाई...अब हो गया न...अब लिखे जाओ..
शादी होने के बाद ..देखना..कितनी शैली बदल जायेगी,......हा......हा....हा....
Anil ji,
ye sab kya kah rahe hain ??
CHAKKAR kya hai ??
kuch bhi ho kavita behad khoobsurat likhi hai aapne.
waah waah karne ko dil kar raha hai.
isliye WAAH !!! WAAH !!!
बहुत सुंदर कविता
दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामना
sunder rachna ....vijay parv mubarak ho
क्या बात हैं। बहुत ही सुन्दर , भावनाओं को समेटे लाजवाब रचना। बहुत-बहुत बधाई
Nice poem :)
Soft words,but strong emotions!:)
लगता नही बल्कि कन्फ़र्म है कि वो इश्क़ ही है।
बेहद खूबसूरत अभिव्यक्तियां....
इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.
अजी ये इश्क हो या ना हो पर दिल को छू गया। अगर ये इश्क हो जाए तो क्या कहने। सच कहूँ तो आपका लिखा बताशे सा मीठा लगा। शब्दों में जो सुंदरता है ना बस क्या कहूँ.............. आपकी लेखनी से जलन सी होने लगी :)
वक्त की हथेली पर फैली तेरी म्रेरी खामोशियाँ बहुत ही सुन्दर और सशक्त अभिव्यक्ति है दशहरा की हार्दिक शुभकामना!!
अच्छा कविता भी ? और वह भी इतनी सुंदर, लोग सच कहते होंगे !
छोटे छोटे लफजों में बडी बात।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
हां अनिल जी लगता तो ऐसा ही है....
सोचता हूँ कहीं ये वही
प्यारा सा इश्क तो नहीं
sundar
सोचो मत...वही है. :)
उम्दा रचना!!
बड़ी प्यारी अभिव्यक्ति....सुन्दर
to aap kavita bhi likh lete hain...multi telented ho bhai....
sochtaa hooN kaheeN ye
pyara-sa ishq to naheeN
waah ,, huzoor
kis saadgi se aapne chnd alfaaz ko
pyara-sa izhaar de daala
mubarakbaad
---MUFLIS---
Waah !!! Bahut sundar !!!
Roomayiyat se bhari sundar rachna...
पहली बार आपके ब्लॉग् पर आये, प्रसन्नता हुई।
पहली बार आपके ब्लॉग् पर आये, प्रसन्नता हुई।
बहुत ही सुन्दर प्रेम की भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
सोचता हूँ कहीं ये वही
प्यारा सा इश्क तो नहीं ....
ओये होये ....?????
Anil ji ,
sabse pahle , bahut dino ke baad , deri se aane ke liye maafi chahta hoon ,
bhai , aapki ye nazm padhkar to man roomani ho gaya .. kya kahun ..aakhri pankhtiya to lajawab hai ...waaah
meri dil se badhai sweekar karen.
vijay
100th post - www.poemsofvijay.blogspot.com
वक़्त की हथेली पर फैलीं
तेरी मेरी खामोशियाँ
साँसों में घुलती सी जातीं
तेरी मेरी नजदीकियाँ
anilji
wakai umdapanktiyan hai ye...wah...
अनिल जी ........... सच में इश्क का जादू ही है जो ऐसा लिक्वा देता है .......... आज ही दुबई वापस आया हूँ और आपकी कमाल की रचना पढ़ रहा हूँ ......... आनंद आ गया .........
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