देर रात की डायरी

>> 18 October 2012

आर्थिक सिक्योरिटी भी बड़ी चीज़ है !!

कभी कभी लगता है कि जैसे जो होना था वो न होकर कुछ और ही होना होता गया . इतनी उलझने और उसपर से नींद का ना आना . रात तीन बजे तक करवटें बदलते रहे . और उस होने और न होने के मध्य स्वंय को झुलाते रहे .

रह रहकर झींगुरों के स्वर और मेढकों के टर-टराने के स्वर गूंजते रहे .

फिर सोचा कि  इस मुई नींद को भी अभी ही सैर को जाना था . अरे जब जाना ही था तो हमें भी साथ ही ले जाते . फिर खुद को लानत भेजी और खुदा से फ़रियाद की नींद का कुछ बंदोबस्त हो जाये . 

सुबह को जब आँख खुली तो देखा अलार्म मियाँ अपनी बन्दूक ताने हमारे सर पर खड़े हैं . उनकी ओर देख कर स्वंय पर खीज़  हुई . और स्वंय को धकियाते हुए रोज़मर्रा के कामों को चल दिए .

दिमाग का पढ़ा लिखा होना भी अजीब रोग है . आप न सोचना चाहें फिर भी सोचेंगे कि आप सारी  दुनिया को अपने सर पर उठाये रात को ही क्यों निकलते हैं . जैसे उन सभी उलझनों को सुलझाने की ड्यूटी पर हों .

कभी कभी लगता है कि अपना स्वंय कहाँ है ? उस आर्थिक सिक्योरिटी और अपने कर्तव्यों के मध्य झूलता हुआ . या स्वंय के होने को साबित करने के संघर्ष में लगा हुआ . या उन्हीं पदचिन्हों पर चलता हुआ कि जिसपर चलकर आदमी न जाने कहाँ को चलता चला जाता है ,उसे स्वंय को नहीं पता रहता .

और उसपर से तुर्रा यह कि  ये लिखने का रोग !!    

Read more...

स्वर

>> 08 October 2012

कोई बात थी पुरानी जो स्मृतियों में उलझ गयी थी। जैसे पुराने रिकार्ड पर कोई अटका हुआ स्वर । वो स्वर जिसके बाद के स्वर हम पकड़ना चाहते हों . किन्तु उस चाहना के लिए हमें उस उलझे हुए रिकार्ड को दुरुस्त करना होता . 

                फिर एकाएक मन उस अटकी हुई आवाज़ को वहीँ छोड़कर दूर चला जाता . और वह पुरानी बात स्मृतियों में कहीं दबकर रह जाती . जैसे अभी अभी कहीं से पदचाप के स्वर गूँजे हों किन्तु वे स्वर वहीं कहीं पैरों तले दबकर रह गए हों। जैसे कोई भूली हुई याद। जिसे भुलाने के लिए भूला जाता है . किन्तु वह वहीं कहीं रहती है स्मृतियों में उलझी हुई  .

उस उदास गर्म शाम में गर्मजोशी के नाम पर कुछ भी नहीं था कि किसी पुरानी चाहना को याद कर लिया जाता और मन एकाएक प्रसन्न हो उठता कि  अरे उस बुझती हुई शाम को जब जाना था कहीं तो क्यों हम उस पुरानी हो आयो याद को कन्धों पर लादे उस मोड़ तक गए थे जहाँ से उस याद में बसे शख्स वहाँ से मुड़ गए थे . 

                                                                                                                                    

Read more...
Related Posts with Thumbnails
www.blogvarta.com

  © Blogger template Simple n' Sweet by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP