इतिहास जो नष्ट कर दिया गया

>> 05 September 2012

बहुत बार सोचता हूँ कि इतिहास के पन्ने इकतरफ़ा सोच, मनमर्ज़ियों, अंधेरों को दबाये हुए उजालों से ही क्यों पटे पडे हैं. क्योंकि जिस तरह की और जैसी शक्तियाँ आज काबिज़ हैं और जिन्होंने इतिहास के लिखे जा रहे पन्नों पर चलने वाली कलमों और विचारों को अपनी मुट्ठी में कैद कर रखा है. ऐसा ही पूर्व के वर्षों में होता रहा होगा.

उनकी समझ और सोच सीधी एक बात पर टिकी रही कि यदि आप वो नहीं लिखेंगे या वैसे नहीं रहेंगे जैसे हम चाहते हैं तो आप क़त्ल कर दिए जाएंगे और आपके क़ातिलों का ब्यौरा स्वर्ण अक्षरों में इतिहास के पन्नों में दर्ज़ हो जायेगा. फिर बाद के आने वाले वर्षों में लोग वही पढ़ेंगे जो उन्हें हम पढ़ाना चाहते हैं. लोग वही समझेंगे जो हम उन्हें समझाना चाहते हैं. जैसे आज के समय में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर पाबंदियाँ लगाये जाने के सोचे समझे षणयंत्र रचे जा रहे हैं तो आप केवल इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि पूर्व के वर्षों में क्या रहा होगा.

इतिहास के कितने वे पन्ने जला कर राख कर दिए जाते रहे होंगे जिनमें उस समय की सच्चाइयाँ दर्ज़ रही होंगीं. जैसे आज के समय में दिन दहाड़े क़त्ल किये जा रहे हैं, लोगों को खरीदा जाता है, डराया धमकाया जाता है, ललचाया जाता है तो आप स्वंय सोचिये कि पूर्व के सैकड़ों हज़ारों वर्षों से क्या क्या होता आया होगा.

चन्द बचे खुचे, अधजले या संघर्षों के बीच संरक्षित रह गए इतिहास के पन्ने उस बीते समय की गवाही देते हैं तो हम स्वंय अनुमान लगा सकते हैं कि एक भरा पूरा सच्चाइयों से भरा इतिहास कैसा रहा होगा और यदि होता तो कितना कुछ भरा होता उसमें. शोषण की हज़ारों हज़ार साल चलती रहने वाली दास्तान. स्त्री, दलित, आदिवासी और शोषित वर्ग की लाखों करोड़ों अरबों पन्नों में भी ना समा सकने वाली दास्ताँ.

हमारे बीते समय का असल इतिहास जो दबा दिया गया, कुचल दिया गया, रौंद दिया गया, जला दिया गया और फिर जैसे जी चाहता गया वैसे लिखा जाता रहा अपनी मनमर्ज़ियों का सुनहरा इतिहास.

1 comments:

Janak Kumar Yadav 10 September 2015 at 16:20  

कटु सत्य हमेसा दबा दी जाती है और अगर इसी तरह चलता रहा तो इतिहास के पन्नों सिर्फ झूठ छोड़ कर कुछ बचेगा नहीं!!

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