नंदनी महाजन जी का हिन्दी ब्लॉग जगत को अलविदा कहना हिन्दी ब्लॉग जगत के हित में नहीं
>> 09 December 2009
मैं यह पोस्ट ना ही तो ज्यादा ट्रैफिक पाने के लिए लिख रहा हूँ और ना ही ज्यादा टिप्पणियों की खातिर।
आज जब मैंने नंदनी महाजन जी का ब्लॉग जख्म परेशां है चुप्पी से...देखा तो मुझे बहुत दुःख हुआ यह जानकर कि नंदनी महाजन जी ने हिन्दी ब्लॉग जगत को अलविदा कहते हुए अपना ब्लॉग बंद करने का निर्णय लिया।
मैं यहाँ किसी बात की व्याख्या नहीं करूँगा कि किसकी गलती थी, ये सब क्यों हुआ ? ना ही इन सब बातों में मुझे ज्यादा दिलचस्पी रहती है। मैं तो बस इतना जानता हूँ कि हिन्दी ब्लॉग जगत में वैसे ही चन्द लोग अच्छा लिखने वाले हैं और अगर वो भी धीरे धीरे छोड़कर जाने लगे तो ये हिन्दी चिट्ठाकारी के भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। यदि मैं हिन्दी चिट्ठा जगत को एक हार मानूं तो यकीनन नंदनी महाजन जी जैसे व्यक्ति उसका एक मोती जरूर हैं।
मैं उनसे आग्रह करता हूँ कि वो अपने लेखन को सुचारू रूप से जारी रखें, भले ही वो टिपण्णी का विकल्प अपने ब्लॉग से हटा दें। मैं चाहता हूँ कि नंदनी जी आप लिखें, मैं और मेरे जैसे लोग आपका लिखा पढ़ना चाहते हैं ।
चूँकि न ही तो आपके ब्लॉग के अब एकमात्र पन्ने पर कोई मेल-आईडी है और ना ही कोई टिपण्णी करने का विकल्प तो मैं ऐसे में चाहूँगा कि यदि कोई उन्हें जानता है, चाहे किसी भी तौर पर, तो उनको मेरा यह आग्रह पहुँचा दें।
यदि नंदनी जी आप मुझे पढ़ती हों या पढ़ें तो मैं आपसे यही कहना चाहूँगा कि आप आगे निरंतर लिखती रहें ।
आपका प्रशंसक एवं ब्लॉग परिवार का सदस्य
अनिल कान्त
17 comments:
"मैं उनसे आग्रह करता हूँ कि वो अपने लेखन को सुचारू रूप से जारी रखें, भले ही वो टिपण्णी का विकल्प अपने ब्लॉग से हटा दें। "
एक बढ़िया ओपसन !
ठीक कहा आपने अनिल जी ....... उन्हे लिखना जारी रखना चाहिए ......
मैं उनके ब्लाग पर गया था , उन्हें मनाना चाहता था लेकिन टिप्पणी का आप्शन नही मिला । इस ब्लाग के माध्यम से मैं उनसे कहुंगा कि- नंदिनी जी लिखना जारी रखिये । टिप्पणी में डिलीट करने का आप्शन रखें ।
मेरा आग्रह भी दर्ज़ किया जाए
बी एस पाबला
हमें तो आज ही ये पता चला आपके ब्लॉग से जो हुआ अच्छा नहीं हुआ, हमारा भी आग्रह है कि आप वापस आ जायें ब्लॉग जगत में... इंतजार में...
ओम आर्य की क्षमा माँगती पोस्ट आ गई है। क्षमा माँगने के साथ ही जो बातें उन्हों ने कही हैं, उन पर ध्यान अपेक्षित है।
लिंक है:
http://ombawra.blogspot.com/2009/12/kshama.html
नंदिनी महाजन जी! आज ही मैं आप का पाठक बना था और आज ही आप ने विदा ले लिया!
निवेदन है कि एक बार ओम आर्य जी की पोस्ट पढ़ें। सम्भवत: आप स्वयं वापस आने का निर्णय लेंगीं।
जो लोग/ब्लॉगर नन्दिनी जी के सम्पर्क में हों, उनसे भी अनुरोध है कि यह क्षमा पढ़ कर नन्दिनी को समझा बुझा कर वापस ले आएँ।
..कितने हिन्दी ब्लॉगर चुपचाप ही 'चुप' हो गए। हिन्दी की क्षति हुई। नाम नहीं लूँगा। दु:ख होता है। कम से कम नन्दिनी तो बता कर गई हैं। हमारी जिम्मेदारी बनती है कि उन्हें वापस लाएँ।
आप सबके विचारों से एक मत हूं। उन्हे लिखना जारी रखना चाहिए ......
नंदिनी जी,
ऐसी छोटी बातों से बड़े निर्णय नहीं लिए जाते हैं...
आप लिखें हम पाठक आपको पढ़ कर खुश हुए हैं....
किसी एक की नादानी से स्वयं को और सबको सजा देना बुद्धिमानी नहीं ....
वैसे भी अत्यधिक संवेदनशीलता बचपना दीखाता है...
कहने को तो ये आपका अपना निर्णय है...लेकिन इस तरह जाने से ..कई लोग स्वयं को दोषी महसूस करेंगे...
इसी लिए आपसे आग्रह है कि आप फिलहाल जाने का निर्णय न लें....अगर भविष्य में भी ऐसी कोई घटना होती है तो आप यह कठोर निर्णय ले लीजियेगा...
सही किया अनिल ..नंदिनी अगर तुम देख रही हो ...मेरा भी अनुरोध तुम तक पहुंचे वापस आ जाओ.
नंदिनी ,
लौट आओ ....सिद्ध करो कि इतनी कमजोर नहीं हो ..!!
मेरा आग्रह भी दर्ज़ किया जाए.
हिन्दी ब्लोगरो को प्रोत्साहित करने की जगह पलायन करना सही नही है।
मेरा आग्रह भी !!
हम भी कहते हैं ।
नंदिनी जी,
आप ऐसा कैसे कर सकती है.क्या एक बेहूदा टिप्पणीकर्ता का अधिकार हम जो आपके ब्लॉग के कई पाठक है उनसे ज्यादा है.मैंने अपना ब्लॉग शुरू किया तो आप संजय और किशोर के साथ तीसरी पाठक थी जिसने हौसला बढ़ाया.हम सब आपके संवेदन शील विचारों से गहराई से प्रभावित है.और आपकी समाज और पर्यावरण के प्रति निष्ठा के कायल है.आपका अलविदा कहना हमारे साथ न्याय नहीं है.अभिव्यक्ति आजादी का दूसरा नाम है...इसको इतनी आसानी से ना त्याग दे...!!
आप ने सही कहा जब भी कोई अच्छा और सच्चा लिखने वाला ब्लोगर, ब्लॉग जगत में मिलने वाली टिप्पन्नियों से आहत हो कर ब्लॉग बंद करने का निर्णय लेते हैं तो दुःख होता है...मेरा भी सब से आप की पोस्ट के माध्यम से आग्रह है की चंद लोगों की बातों से आहत हो कर लेखन जैसा पवित्र काम ना छोड़ें....लिखते रहें...तभी उनको जो चाहते हैं की आप ना लिखें कड़ा जवाब मिलेगा...लड़ें...पलायन की निति ना अपनाएं..
नीरज
अनिल जी हम भी आपका समर्थन करते हैं शुभकामनायें
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