जो मर गये या मार दिये गये
>> 12 April 2010
जो मर गये या मार दिये गये
वे तराजू के पलड़ों की तरह हैं
जिन्हें तौला जाता रहा है
बारी-बारी
कम और ज्यादा की तरह ।
फर्क सिर्फ इतना है कि
कुछ भुला दिये गये थे, मरने से पहले
और कुछ भुला दिये जायेंगे, मरने के बाद
हमेशा के लिये ।
रहेगी तो बस गिनती
उन सभी जमा सरकारी कागजों में
जो धूल चाटते हैं
बंद किसी कोने में ।
बावजूद इसके
भूख और नंगेपन के साथ
फिर से जमा हो जायेंगे
हाथ में बन्दूक लिए
मर गये या मार दिये गये
श्रेणी के लिए
अनगिनत उम्मीदवार ।
तुम बस खुश रहना
क्योंकि
फिलहाल तुम उनमें से कोई नहीं ।
14 comments:
सुन्दर रचना है।बधाई।
रोचक विषय
बहुत खूब..
"तुम बस खुश रहना
क्योंकि
फिलहाल तुम उनमें से कोई नहीं"
जी दिल मे नष्तर की ज्यू उतर गयी ये पन्क्तिया!
कुन्वर् जी,
SAHI HE
NICE
http://kavyawani.blogspot.com/
SHEKHAR KUMAWAT
कलम ने तलवार का काम किया...बहुत अच्छी प्रस्तुति..
टील उठती है दिल में यह सब देख कर ... बहुत ही संवेदना के साथ लिखा है आपने अनिल जी .... अच्छी रचना ...
bahut acha hai......
फर्क सिर्फ इतना है कि
कुछ भुला दिये गये थे मरने से पहले
और कुछ भुला दिये जायेंगे मरने के बाद
हमेशा के लिये ।
अंदर तक चोट करती आपकी रचना।
जो मर गये या मार दिये गये
वे तराजू के पलड़ों की तरह हैं
जिन्हें तौला जाता रहा है
बारी-बारी
कम और ज्यादा की तरह ।
फर्क सिर्फ इतना है कि
कुछ भुला दिये गये थे मरने से पहले
और कुछ भुला दिये जायेंगे मरने के बाद
हमेशा के लिये ।
Oh! Stabdh hun..
तुम बस खुश रहना
क्योंकि
फिलहाल तुम उनमें से कोई नहीं
ek ajeeb saa romaanch paidaa karti hai ye panktiyaan
bhookh aur nangepan ke saath khade ho jaayenge
balidaan dene ko ........
kya kahun ........
bas dua hai ki kuch badle ......
तुम बस खुश रहना
क्योंकि
फिलहाल तुम उनमें से कोई नहीं
sochne ko majboor kar rhai ye line ab to....
बहुत सुन्दर..
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