कलकत्ता...OOPS !...कोलकाता
>> 30 March 2010
इन पिछले बीते हुए दिनों में 1 दिन के लिये कलकत्ता ...oops!... कोलकाता जाना हुआ । उस एक दिन के लिये 4 दिन लगे । कह सकते हैं कि 23 मार्च से 27 मार्च तक ट्रेन, बस, ऑटो और कोलकाता में रहा । हावड़ा रेलवे स्टेशन से निकलते ही सड़कों, बसों, टैक्सी, ऑटो और सड़कों पर अपार जनसमूह दिखाई दिया । एक पल को लगा कहाँ आ गया मैं । सड़कों पर रेंगते लोग, रेंगती हुई बसें और बिना नियमों के कहीं भी घुस जाने वाले लोग । साफ़ पता चल गया कि अधिकतम जनसँख्या घनत्व को लेकर यहाँ के लोग अपने आप में खुशहाल जीवन यापन कर रहे हैं । सच कहूँ मुझे दम घोंटू माहौल लगा ।
जाना जरूरी था इसी लिये जाना भी पड़ा । इंटरव्यू के सिलसिले में गया हुआ था । पहले से मेरा एक मित्र वहाँ नौकरी करता है । इस कारण अधिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ा । बीते दो सालों से वो वहाँ है और उसे भी वहाँ का माहौल पसंद नहीं । वह भी जल्द से जल्द तबादला करके वापस आने की फ़िराक में है ।
खैर इन सबके बावजूद मुझे वहाँ के लोग खुश नज़र आये । मेट्रो में सफ़र करते लोग, बसों में गर्मी में भी खिलखिलाकर बातें करते हुए लोग । फुटपाथ पर सामान की खरीददारी करते हुए, बेफिक्री दिखाते हुए लोग । एक पल को लगा कि तमाम मुश्किलात के बावजूद अगर ये खुश हैं तो कुछ तो खास है । खैर उस एक दिन में वो वजह तो नहीं जान सका । लेकिन कभी पुनः जाना हुआ तो फुर्सत लेकर जाना पड़ेगा । तब इस शहर के बारे में शायद अधिक जान सकूँ .....
8 comments:
कोलकाता बहुत ही जीवन्त नगर है । टहलने में आनन्द आ जाता है ।
सही कहा अनिल जी ... मैं भी जब जब कोल्कता जाता हूँ ऐसा ही महसूस करता हूँ ... वहां लोगों के पास समय है अपनों के साथ बिताने का ...
कोलकाता के बारे में वहाँ रह कर ही महसूस किया जा सकता है...अगली बार के आपके अनुभवों का इंतज़ार रहेगा
प. बंगाल की राजधानी कलकत्ता जिसे अब कोलकाता या 'सिटी ऑफ जॉय' के नाम से जाना जाता हॆ..कोलकाता का काली मंदिर बहुत मशहूर हॆ..इसी मंदिर में रामकृष्ण परमहंस को दक्षिणेश्वर काली ने दर्शन दिया था। इस मंदिर में देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। लंबी-लंबी कतारों में घंटो खड़े होकर मां के दर्शन का इंतजार करते हैं। एक बात ऒर बताये श्री रामकृष्ण परमहंस की खुद की मौत कैंसर से हुई थी।
कोलकाता की मिठाई बहुत मशहूर हॆ ..वैसे तो बंगाली रसोगुल्ला सारी दुनिया में बंगाल का नाम रोशन कर चुका है पर इसके अलावा भी बहुत सी मिठाईय़ाँ है जो रोजमर्रा के खान-पान का हिस्सा है, मुझे तो वहाँ की मिष्ठी दोई (मीठा दही) बहुत पसन्द हॆ..
वहा विद्यासागर सेतू, घाट, हावडा ब्रिज, दक्षिणेश्वर, काली मन्दिर, लायब्रेरी, राईटर बिल्डिंग इत्यादी जगह आप घूम सकते हॆ..
i had never been to Kolkata but i feel that every place carries many hidden beauty in it, it takes tym to analyse that....Ask sum1, who's born & brought up there,they can actually make u aware of the real beauty of Kolkata
लगभग ऐसे ही ख्याल मुझे भी आए थे जब मैं मुम्बई गया था
Anil bhai,
Ghalib bhi kabhi gaye the Kalkatta...
sach em kolkata hai hi aisi jagah.... yahan ki na hokar bhi mujhe ye jagah hamesha se pasand hai....
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