अर्थ को खोजते हुए शब्द !
>> 24 February 2010
उसने मुझे हमेशा के लिये छोड़कर जाते हुए कहा "अपना ख़याल रखना !" वो चली गयी । फिर ना कभी आने के लिये । ये उसके कहे हुए अंतिम शब्द थे । तब लगा कि वह कुछ शब्द दे गयी है जो मुझे अपने पास रखने हैं और उनकी हिफाज़त करनी है । उन शब्दों के गूढ़ रहस्यों को जानने के लिये एक लम्बी उम्र पड़ी थी । ऐसे सामने खड़ी थी कि जैसे वह मेरी नवविवाहिता हो और मुझे हर पल उसके साथ रहना है । मैं सोचता हूँ कि अथाह सागर जैसे उसके बिना इन पलों में एक छोर से तैरते हुए दूसरे छोर तक पहुँचने पर उन शब्दों के मायने शायद मिल जायें । वो जिन्हें इस आखिरी बार छोड़ गयी थी ।
मुझे याद आता है कि हू-ब-हू यही शब्द उसने मुझे अपने कॉलेज की सर्दी की छुट्टियों के लिये घर जाते वक़्त, ट्रेन के एक दुबके हिस्से में, अपनी तेज़ साँसों के साथ मुझे चूमने के बाद बोले थे । वो शब्द जो उसके गीले ओठों के साथ मेरे साथ सर्दियों की छुट्टियों के साथ चिपके चले आये थे । हाँ तब उसने ट्रेन से उतरते वक़्त हाथ हिलाते और ट्रेन के चल देने पर दौड़ते हुए फिर एक बार बोले थे । कई बार बोले थे कि "अपना ख़याल रखना !" तब उन शब्दों के साथ खुद का ख़याल रखने की परवाह ना थी । सर्दियों की छुट्टियों की हर सुबह, शाम, दोपहर और रात उसके वे गीले ओठ मेरे ओठों से आ चिपकते और साँसों की लय के साथ साँस मिलाते हुए सुनाई पड़ते कि "अपना ख़याल रखना !"
कोहरे भरी सर्द शामों के बाद मेरी बाहों से अलग हो वह जब अपने हाथों के अंतिम स्पर्श के साथ कह चल देती कि "अपना ख़याल रखना !" तब वे शब्द उसके जाने के बाद मेरे रोम-रोम में महसूस होते । तब वे उसके अंतिम स्पर्श के बाद मेरे साथ उसके अगले स्पर्श तक बने रहते । उसकी अंतिम महक के बाद की पहली महक के बीच के समय वे शब्द मेरा उससे कोई सिरा ख़त्म ना होने देते ।
एक अलसाई दोपहर को उसने कहा था :
-सुनो !
-"ह्म्म्म" मैंने उसकी गोद में सर रखे हुए ही बोला ।
-"एक बात पूछूँ ?" उसने मेरी आँखों में झाँकते हुए कहा ।
-"नही" मैंने मुस्कुराते हुए कहा ।
-"ओ हो फिर मजाक ।" उसने मुस्कुराते हुए कहा ।
-"अच्छा ठीक है । पूँछो ।" मैंने बोला
-"तुम मेरे चले जाने के बाद या विदा लेने के बाद क्या करते हो ?" उसने ठीक शब्दों के साथ खुद को जोड़ते हुए पूँछा ।
-"ह्म्म्म !" मैंने गहरी साँस लेते हुए उसकी और मुस्कुराते हुए देखा ।
-"ऐसे क्या देख रहे हो ? बोलो ना " वो मेरी मुस्कराहट के साथ मुस्कुराते हुए बोली ।
-"मैं तुम्हारे उस अंतिम स्पर्श से लेकर नये स्पर्श तक के लिये उन आखिरी के शब्दों के साथ रहता हूँ जब तुम कहती हो "अपना ख़याल रखना !" जिससे कि तुम्हारे जाने के बाद के उस सिरे से अगले मिलने वाले सिरे तक मैं तुमसे जुड़ा रहूँ ।
तब मेरे उन कहे हुए शब्दों के बाद के उसके गीले ओठों की महक मेरे ओठों पर आज तक चस्पा हैं।
* चित्र गूगल से