हॉस्टल - मर्डर और एक सवाल
>> 07 January 2009
मैगी नूडल सू-सू$$$ आवाज़ करता हुआ मेरे मुँह के अन्दर गया। तभी कुछ लड़कों का झुंड हॉस्टल की तरफ़ भगा जा रहा था । कुछ था जो घटित हुआ था । तभी आज इस तरह से चारों ओर लड़कों का शोर सुनाई दे रहा था । अंततः मुझ से रहा न गया और मैं ढाबा छोड़ हॉस्टल की तरफ़ भागा ।
कुछ समझ नही आ रहा था, कि आख़िर हुआ क्या है ? लग रहा था कि बस सब दौडे जा रहे हैं । शायद कुछ को पता था "कि हुआ क्या है ?" कुछ लड़के एक लड़के को मोटर साइकिल पर बिठाने की कोशिश कर रहे थे । लड़का खून से लथपथ था । साथ के लड़के बता रहे थे कि गोली लगी है । लड़के उसे मोटर साइकिल पर बिठा न सके, कार का इंतजाम होने लगा ।
किसी ने नब्ज़ टटोली, शायद अब देर हो चुकी थी । किसी तरह आनन-फानन में उसे कार में लिटाया गया । मुश्किल से 5 मिनट का रास्ता होगा सरकारी अस्पताल का । अस्पताल ले जाने का कोई फायदा ना हुआ । लड़को से ही सुना कि कोई बाहर का लड़का आकर गोली मार गया है । कौन ? किसी को कुछ नही पता ।
अस्पताल में जो हुआ उसकी ख़बर हॉस्टल में पहुँच गयी । सुल्तानपुर(उत्तर प्रदेश) के लिए आज का दिन बहुत कठिन बीतने वाला था । क्रोध की ज्वाला भड़क चुकी थी । आख़िर कोई बाहरी गुंडा आकर इंजीनियरिंग छात्र को गोली मार कर चला गया । लड़कों का आक्रोशित होना लाजमी था ।
पूरे कॉलेज के लड़के आनन फानन में अस्पताल की ओर दौड़ पड़े । पूरा रोड जाम हो गया । कोई पैदल दौड़ रहा है, कोई मोटर साइकिल पर जा रहा है तो कोई बस, ट्रक्टर, ऑटो । जिसको जो मिला वो उसमे सवार हो गया ।
अस्पताल के बाहर 1000-1500 लड़को का जाम लग गया । पूरा मुख्य मार्ग लड़कों से भरा पड़ा था । बसों को रोक लिया गया । हॉस्टल के लड़को के गुस्से को रोकने की किसमे हिम्मत थी । पुलिस की कई जीपे और गाडियाँ आ गयी इंजीनियरिंग के छात्र थे तो इतनी जल्दी पुलिस लाठी भी नही चला सकती थी ।
दो-तीन बसों को रोक कर सवारियां उतार दी गयी । वो तो बस टूटने ही वाली थी । लेकिन हमारे एच.ओ.डी.(H.O.D.) और डायरेक्टर(Director)साहब आ गए । बस को तोड़ने और जलाने से किसी तरह रोका गया । कातिल को जल्दी से पकड़ने की मांग होने लगी । डी.एम.(D.M.) साहब भी मौके पर आ गए । पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी और डी.एम.(D.M.)साहब ने कातिल को जल्द से जल्द पकड़ने का आश्वासन दिया ।
मुख्य मंत्री मुलायम सिंह जी को भी तुंरत घटना और हालातों से अवगत कराने के लिए फैक्स कर दिया गया । सभी छात्रों को हॉस्टल वापस लौटने के लिए कहा गया । डायरेक्टर(Director)और पुलिस अधिकारियों के बहुत समझाने पर शाम को सभी लौटने लगे ।
लेकिन इंजीनियरिंग अन्तिम वर्ष के छात्र की तो जान जा चुकी थी । कौन, किसने और कैसे ? किसी को ठीक से पता न था । बस सब कयास लगा रहे थे । लेकिन इन सब के दौरान एक माँ ने अपना बेटा खोया था । दिन में ही इस घटना की सूचना उसके माता-पिता को दे दी गयी थी । "आपका लड़का बीमार है आप यहाँ आ जाइये ।" कहकर उन्हें बुला लिया गया था ।
हम लोग उस लड़के के ऊपर वाली मंजिल पर ही हॉस्टल में रहते थे । माता-पिता हॉस्टल पहुँच चुके थे । हम ज्यादातर लोग जिस मंजिल पर घटना हुई, उसी पर दुखी और परेशान खड़े थे । तभी माँ और पिता उधर आ गए ।
"कहाँ है हमारा बेटा ? कैसा है ? ठीक तो है ना ?" एक माँ की डब-डबाती आँखें हमारी ओर देखती हुई बोली । अचानक इस सवाल से सन्नाटा पसर गया । लगा कि जिंदगी का सबसे मुश्किल सवाल पूँछ लिया गया हो । एक माँ के पूँछे हुए इस सवाल का जवाब किसी बेटे के पास ना था । किसी में आज इतनी हिम्मत नही थी जो कि इस सवाल का जवाब सही सही दे सके ।
एक माँ को उसके बेटे के न रहने की ख़बर कोई कैसे दे सकता है । वो मेरे लिए जिंदगी का सबसे कठिन सवाल था "मेरा बेटा कैसा है ? ठीक तो है न ?" । तभी फर्श पर सन्नाटे को चीरती हुई क़दमों की आहट पड़ी । डायरेक्टर (Director) साहब उधर आ पहुँचे और उनको वहाँ से अपने साथ ले गए ।
नहीं तो उस रोज़ एक माँ के पूँछे हुए सवाल का जवाब कौन दे पाता ? जब भी कभी वो क्षण याद आता है तो आँखें नम हो जाती हैं ।
शेष मर्डर मिस्ट्री का खुलासा अगले अंक में करूँगा :- हत्यारे चिता में शामिल थे
10 comments:
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ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है!
मेरी शुभकामनाएं!
मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.
बहुत बढिया लिखा है आपने.....
चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है
खूब लिखें,अच्छा लिखें.......
वाह भाई वाकई बहुत ही मार्मिक चित्र है। वाकी ज़िन्दगी का सबसे कठिन सवाल था। लिखते रहें।
ब्लोगिंग की दुनिया में आपका हार्दिक स्वागत है. आपका लेखन फले-फूले और आपके शब्दों को नित नए अर्थ और रूप मिलें यही शुभ कामना है.
prakash ji aur pradeep ji aapka mere blog par aane ka aur kahani padhne ka tahe dil se shukriya
बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
आपका सहयोग चाहूँगा कि मेरे नये ब्लाग के बारे में आपके मित्र भी जाने,
ब्लागिंग या अंतरजाल तकनीक से सम्बंधित कोई प्रश्न है अवश्य अवगत करायें
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue
badhiya ....
bahut marmik ghatna hai padh kar man kuchh udaas ho gaya
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