लड़की रुतबे और पैसे में बराबर ना होने पर पुराने प्यार को क्यों छोड़ती है ?
>> 25 January 2009
" यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है ...बस पात्रों के नाम बदल दिये गये हैं "
हाँ मैं तुम्हे चाहती हूँ .....हर वक्त तुम ही ख्यालों में रहते हो ...आई लव यू सिद्धांत .....
पल्लवी तुम जानती हो कि मेरे हालात क्या हैं ....मैं तुम से चार साल बड़ा हूँ ....वक्त और हालात के साथ मैं आज तुम्हारे साथ पढ़ रहा हूँ ..... मेरी नौकरी कब लगेगी नही पता ....चलो ये मान भी लो कि सब ठीक है .... लेकिन तुम जानती हो तुम्हारे मेरे बीच जाति बंधन का बहुत बड़ा फासला है .....क्या तुम अपने परिवार और समाज के ख़िलाफ़ जा पाओगी ......क्या तुम मुझसे शादी कर सकोगी .....अगर शादी कर सकोगी तब तो हमारे प्यार के कुछ मायने हैं .....नही तो इस प्यार को कबूल करने और इसे आगे बढ़ाने से कुछ हासिल नही .
हाँ मैं सिर्फ़ तुमसे ही शादी करूँगी.....चाहे जो कुछ हो जाये .....सिद्धांत को पल्लवी का वादा और हर बात याद थी .....प्यार बढ़ा ...वक्त गुजरा .....हालत अच्छे बुरे आये ...कहते हैं कि वक्त बहुत जल्दी बदल जाता है .....शायद प्यार भरा वक्त बदलते देर नही लगती
दोनों ने मिलकर अपना सॉफ्टवेर का कारोबार शुरू किया .....अब कारोबार तो कारोबार है .....मेहनत, समय और संघर्ष तो लगता ही है ....लेकिन इस दरमियान पल्लवी की बड़ी सॉफ्टवेर कंपनी में नौकरी लग गयी ....एक पल में ही साथ जीने मरने और साथ में संघर्ष करके कारोबार चलाने की बात करने वाली पल्लवी को... जिंदगी आसानी से गुजारने का मौका मिल गया ..... जब आसान जरिया मिल जाये तो संघर्ष हर कोई कहाँ करना चाहता है ......पल्लवी सिद्धांत का साथ छोड़ नौकरी पर चली गयी
पता नही ये स्वभाव भी वक्त की तरह क्यों होता है .....ये भी बदलने लगता है ...अब बड़ी बातें ...महँगे कपड़े ....सप्ताह के अंत में फ़िल्म देखना ....बाहर खाना ...ये सब पल्लवी के स्वभाव में शामिल हो चुका था ....नये दोस्त ....दोस्तों के साथ बाहर घूमने जाना ...इस दरमियान पल्लवी सिद्धांत पर किस बात को लेकर गुस्सा हो जाये, फ़ोन काट दे .....बात न करे ....अपनी बात ही कहना .....ये सब आम बात हो गयी थी ......क्या ये नया ज़माना ...और नया चाल चलन था ....शायद
जब भी सिद्धांत शादी की बात करता... पल्लवी फ़ोन पर खामोश हो जाती ...या जवाब न देती ....और हर अगले दिन उस बात पर चर्चा न करना चाहती .... रूठने मनाने का सिलसिला यूँ ही चलता रहा ...आखिरकार 1 साल गुजर जाने के बाद सिद्धांत ने पल्लवी से फिर से शादी के लिए कहा .....बात करते करते बात बढ़ी ...... जब सिद्धांत ने पूँछा कि शादी कब करोगी ....शादी ..शादी ...हमेशा शादी .....खिलाओगे क्या मुझे शादी करके .....तूफ़ान से भी तेज़ आवाज कानों में पहुँची ....चारों ओर सन्नाटा पसर गया ....शायद अब सिद्धांत कुछ कहना नही चाहता था .....लेकिन क्योंकि पल्लवी हमेशा लड़का और लड़की के बराबर होने की बात करती थी ...इसी लिए चुप नही रहा ....
क्यों तुम्हे कमा के खिलाने की जरूरत क्या है ...तुम कमा तो रही हो ...तुम भूखी तो नही मरोगी ......या फिर सिर्फ़ में ही तुम्हे कमा के खिला सकता हूँ ...तुम भी तो कुछ दिन मुझे खिला सकती हो ....मैं तो एक पैसा नही देने वाली .....और फिर जिंदगी यूँ ही नही कटती .पल्लवी ने कहा ......क्यों क्या चाहिए जिंदगी काटने के लिये ... क्यों तुम्हे शर्म आएगी कि तुम्हारा पति कारोबार को बढ़ाने के लिये संघर्ष कर रहा है ...तुम्हारे रुतबे का नही है ......सिद्धांत बोला...पल्लवी खामोश थी वो कुछ बोलना नही चाहती थी ...पर सच तो यही था कि .....कोई भी लड़की अपने से कम रुतबे वाले लड़के से शादी नही करना चाहती ....फिर भले ही वो उसका प्यार क्यों न हो .....
हाँ नही करना चाहती में शादी .....ठीक है ....इसके साथ ही न जाने क्यों एक लम्बी बहस ....एक लंबा प्यार ....बड़े वादे .....सब ख़त्म से मालूम लगे सिद्धांत को .....
मुझे नही पता पर क्या ...क्यों कोई लड़की रुतबा .....सफलता .....इन सब के लिये अपना प्यार छोड़ती है ...इसमे कितनी सच्चाई है और ऐसा क्यों होता है ...जबकि स्त्री तो बराबरी की बात करती है .....क्या प्यार में ..संघर्ष में ....इंतज़ार में बराबरी नही कर सकती ......खासकर जो स्त्री पढ़ी लिखी ...नौकरी करने वाली है और जिनके प्रेम सम्बन्ध पिछले कई सालों से चल रहे हैं वो .....इस बात का सही जवाब क्या है समझ नही आता
18 comments:
कबिरा इस संसार में भाँति भाँति के लोग !
गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या पर आपको बधाई !
ऐसा हमेशा नहीं होता... आप सबों को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
ये तो सिर्फ़ एक किस्सा है लेकिन २-४ और भी सत्य कहानियाँ हैं जिनमे लड़की इस कारण से उसके साथ शादी नही कर सकती क्योंकि ...लड़का उसके बराबर नही कमा रहा ..वो वक्त के साथ पिछड़ गया ....क्या फिर वो प्यार नही रहता क्या ? ...मैंने कई लड़कियों के मुंह से सुना है खासकर जो आजकी युवा पीढी से ताल्लुक रखती हैं और जो कार्यशील हैं ..... मैंने निजी तौर पर सुना और महसूस किया है ....आख़िर क्यों ...प्यार और बराबरी की बात फिर कहाँ जाती है
ye to pyar ki gehrai aur vishwas pe nibhar karta hai.har ungli sariki nahi hoti.
कथानक बढ़िया है
पर आजकल ऐसी उँगलियों की संख्या बढती ही जा रही है ...शायद आधुनिकता ....और सफल और कामयाब जीवन जीने की तमन्ना इस का कारण हो सकती है ...या फिर ऐसे लोग प्यार की भावनाओं को जीना तो चाहते हैं पर उनसे जुड़े कर्तव्यों का निर्वाह नही करना चाहते
आपके ब्लॉग पर आकर सुखद अनुभूति हुयी.इस गणतंत्र दिवस पर यह हार्दिक शुभकामना और विश्वास कि आपकी सृजनधर्मिता यूँ ही नित आगे बढती रहे. इस पर्व पर "शब्द शिखर'' पर मेरे आलेख "लोक चेतना में स्वाधीनता की लय'' का अवलोकन करें और यदि पसंद आये तो दो शब्दों की अपेक्षा.....!!!
इस बात का सही जवाब क्या है समझ नही आता .......................यह बात भी आपने आख़िर में लिख ही दी ना.............क्या इसका ये मतलब भी नहीं कि ये बात सच ज्यादातर नहीं है.....??
सच और झूठ को लेकर रो भी तो नही सकते बस ऐसे लोग परेशां हो सकते हैं ...हालातों को बिगड़ते देखते हैं ....और सोचते हैं कि क्या इसी को प्यार कहते हैं ...क्या इसी प्यार की साडी दुनिया दुहाई देती थी .... या फिर सबसे बड़ा प्यार ख़ुद से प्यार करना रह जाता है जिंदगी में .....ख़ुद की खुशी ....ख़ुद को अच्छा लगना
bhai sahi baat hai jis par gujarti hai wahi jaanta hai ....jiske sath hota hai woh kitna dukhi hota hoga ..........
ये बात जो समझ आ जाये तो दुनिया ज्ञानी ना हो जाये लेकिन हर केस में ऐसा हो ये संभव नही कभी इसका उलट भी होता है।
It depends ...actually ...mein maanti hoon ki aajkal kuchh ladkiyon ka swabhaav aisa hai ya ho gaya hai ...shayad chakachaundh ne unhe andha bana diya hai .........lekin jyadatar aisi nahi hain
Mitr pyar, samajvaad, aur arthshashtra ek saat chalta .Mein nahi kehta 'Sooraj ka Satwa Gohoda' padh lijeyea. To mein to inna hi kahoonga :
"aur bhi gum hain zamane mein ....."
Padhne ke baad laga mano ye aap biti ho. Aur yadi haan to fir ye to sikke ka ek pehlu hua na.
Aur jahan tak kathanak ka sawal hai ....
"MARVELLOUS". Try making wrinting ur sinde profession.
सवाल ठीक है...पर आप generalise कैसे कर सकते हैं, सारी लड़कियां ऐसी तो नहीं होती? बल्कि अक्सर ऐसा होता है कि अगर ऐसे रिश्ते आगे बढ़ते भी हैं तो लड़के में ही हीनभावना आ जाती है...प्यार और इसके circumstances हमेशा अलग होते हैं, ऐसे में सिर्फ़ एक पक्ष पर इल्जाम लगना नाइंसाफी नहीं है?
ये मेरी आप बीती नही है ...अगर ये मेरी आप बीती होती तब तो समझ आता की मैंने सिक्के का सिर्फ़ एक पहलू रखा है ....और हाँ मैं यहाँ सभी लड़कियों को शामिल नही कर रहा ....ये कुछ लड़कियों की कहानी है .....वैसे विचार अपने अपने हैं ....मैंने तो एक सवाल किया था .....हाँ ये घटना सत्य भी है .....ये कहानी मेरे ही एक जानकार की है
main aapki baat se sahmat hun..
mere bhi kuchh apne anubhav hain aise..
sach likha hai .........meri bhi ek classmate thi, she was also discussing the same with me one day.....it was not the love case.......uske lie rishte aa rahe the aur mostly good MNC engineers etc par kyonki wo MNC finance company me hai isslie 2 sall ki job me baaki sab logo se jyada kama rahi hai.......so usko un logo se shaadi nahi karni jo usse kam kamate hai.......
Is baat ka koi farak nahi hai ki kal ko MNC bank band ho gaya to koi poochega bhi nahi........:)
I think the main issue here is the Society and the process in which we evolve........like we had this mentality we always have the thing in mind that the Boy need to be the person which will be fulfilling need of the family and if girl is also working that money is the extra income that will be used by the girl only not for the family support...........
SO how much the girl is earning it does not matter.....boy should be superior to be accepted in society..........
The girls which are saying that it can be both side.........but still I feel our society and culture makes thinking to put in that way.........it might be possible that girl wants to be with him but could not have the courage for the same.......
Post a Comment