हत्यारे चिता में शामिल थे
>> 08 January 2009
इस लेख को पढने से पहले कृपया पिछला लेख हॉस्टल - मर्डर और एक सवाल पढ़े तभी ये कहानी समझ आएगी ।
एक माँ रोती बिलखती हुयी अपने बेटे के मृत शरीर पर लिपट लिपट कर रो रही थी । वो माँ जिसने 22 साल तक उसे पाला पोसा और अपने कलेजे के टुकड़े को प्यार किया । आज वो उसके सामने एक कभी न खुलने वाली नीद में सोया हुआ था ।
पुलिस अपना इन्वेस्टीगेशन कर रही थी । चूँकि मामला अब बहुत बड़ा हो चुका था और न दबा ने लायक बचा था । मृत लड़के के अन्य रिश्तेदार भी आ चुके थे । वो लड़के को अपने साथ ले गए । माँ बाप का इकलौता लड़का था । वो भी हमेशा के लिए छोड़ कर चला गया था ।
हॉस्टल में सब लड़के कयास लगा रहे थे कि शायद खानदानी रंजिश या जमीन-जायदाद की वजह से किसी ने मरवा दिया हो । उधर गाड़ी में मृत लड़के के रिश्तेदारों के साथ उसके हॉस्टल के दोस्त भी साथ गए । उन 5-6 दिनों में हॉस्टल में कोई चैन से नही सो सका । मीटिंग पर मीटिंग हो रही थी । हॉस्टल के सभी लड़के एक जगह एकत्रित होकर समस्या को हल करने और कातिल को पकड़वाने के सिलसिले में विचार विमर्श करते ।
हमारे डीन, डायरेक्टर, हॉस्टल वार्डेन, सभी पुलिस के साथ अपनी पूरी कोशिश में लगे थे । सभी पर पूरा दबाब था । इन्वेस्टीगेशन चालू थी और फिर पूँछताछ का सिलसिला शुरू हुआ । मृत लड़के के पड़ोसी कमरों में रहने वाले सभी लड़को से पूँछताछ की गयी । 2 दिन बाद पता चला कि मृत लड़के के आजू बाजू में रहने वाले 3 लड़के पकड़ लिए गए हैं और उन्होंने ख़ुद सच्चाई कबूल की है कि आख़िर हुआ क्या था ?
ये वही 3 लड़के थे जो मृत के साथ उसके घर तक भी गए और उसकी चिता जलने के समय तक वहाँ मौजूद भी रहे । कोई और वहाँ साथ न जा सके इसके उन्होंने पूरे प्रयास किये थे । अंततः वो पकड़े गए, जब पुलिस ने कडाई से पूंछताछ की । सच कुछ इस तरह सामने आया ।
मृत लड़का अपने दोस्त के कमरे में कंप्यूटर पर कुछ काम कर रहा था । आज उसका कोई लेक्चर नही था । उसका दोस्त अलग ब्रांच का था तो वह अपना लेक्चर अटेंड करने गया था । पड़ोस के ही कमरों में रहने वाले लड़को के सुल्तानपुर शहर के किसी असमाजिक तत्व (लड़के ) से ताल्लुक थे । वो सुल्तानपुरिया लड़का आज उनके कमरे में मिलने आया था । अपनी हेकडी दिखाने के लिए कि वो कितना बड़ा गुंडा है । वह अपने साथ पिस्तौल लाया था । वैसे पुलिस में उसके ख़िलाफ़ 2-4 एफ.आई.आर.(FIR) दर्ज थी और पुलिस को उसकी तलाश रहती थी ।
वो अपनी भरी हुई पिस्तौल कमरे में छोड़ कर टॉयलेट करने चला गया । इतने में उस कमरे में रहने वाले लड़कों को मजाक की सूझी । उन लड़को को नही पता था कि ये मजाक किसी की जान ले लेगा । उन्हें बिल्कुल नही पता था कि पिस्तौल भरी हुई है ।
वो बच्चो की तरह खेल खेलने लगे और अपने पड़ोसी लड़के के कमरे में चले आए । देख बेटा मेरे पास पिस्टल है । मृत लड़का(जो उस समय जिंदा था) कंप्यूटर पर काम करता हुआ ही बोला "अच्छा" । उसने उन लड़को की तरफ़ देखा भी नही ।
पड़ोसी लड़के ने पिस्टल उस लड़के की पीठ पर रखते हुए कहा कि गोली मार दूंगा धिच्कायें-धिच्कायें(मुंह से आवाज़ निकालते हुए) । उसने भी हँसते हुए कहा हाँ चल मार दे और हँसते हुए बोला मुझे काम करने दे ।
लड़के ने पीठ पर पिस्टल रखकर मुंह से धिच्कायें की आवाज़ निकालते हुए पिस्टल का घोड़ा दबा दिया । एक ही पल में असली गोली की आवाज़ आ गयी । लड़का एक ही पल में वही ढेर हो गया । घोड़ा दबाने वाले और उसके अन्य साथियों के होश फ़ाक्ता हो गए । इतने में टॉयलेट से वो गुंडा तत्व भी भागता हुआ आ गया और अपनी पिस्टल लेकर वहां से रफूचक्कर हो गया । लड़को ने बात को छुपाते हुए और झूठी कहानी बनाते हुए कहा कि बाहर का लड़का मार गया । लड़के को जल्दी से मोटर साइकिल पर बिठाने की कोशिश करने लगे कि अस्पताल जल्दी पहुँच सके और उसकी जान बचा सके लेकिन इन सब के दौरान बहुत देर हो चुकी थी । लड़के को मजाक मजाक में जान से हाथ धोना पड़ा ।
ये वही लड़के थे जो मोटर साइकिल पर बिठाने से लेकर मृत लड़के की चिता तक में शामिल थे और फिर पुलिस इन्वेस्टीगेशन में भी शामिल होना पड़ा । चूँकि मामला गेर इरादतन हत्या का बनता था । जेल तो फिलहाल जाना ही था पर अगर सब कुछ सच सच पहले ही डीन या डायरेक्टर को बता देते तो मामला यहाँ तक न पहुँचता ।
गोली चलाने वाले को कुछ 1-2 साल की सज़ा होनी थी शायद और अन्य साथियों को हॉस्टल से निकाल दिया गया । बस वो कॉलेज आ सकते थे । इस घटना ने कई लोगों की जिंदगी बदल दी ...
3 comments:
bhaut acchi lagi murder mystery
amit ji aapko blog par aane aur comment karne ke liye shukriya
diary hai,saahab!!
akshaya
http://urdu.blogspot.com/
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