ऐ राही तुझे आगे बढ़ना है ....
>> 26 January 2009
ऐ राही तुझे आगे बढ़ना है
लाख आएँगी मुश्किलें
तेरे इस सफर में
और अकेलेपन के लम्हे
डरायेंगे तुझे इस सफर में
ऐ राही तुझे नही डरना है
सिर्फ़ आगे बढ़ना है
आगे बढ़कर भी अगर
ना मिले मंजिलों के रास्ते
मत समझ लेना भूल कर
ये आखिरी हैं रास्ते
ऐ राही तुझे आगे बढ़ना है ......
हमसफ़र बनकर आ भी जाए
अगर कोई इस सफर में
मत समझ लेना भूल कर
वो साथ निभाएगा तेरा हरा सफर में
ऐ राही तुझे आगे बढ़ना है .....
मंजिलें तो बनी हैं पाने के लिए
उन्हें तो एक दिन मिलना ही है
पर ऐ राही तुझे आगे बढ़ना है
15 comments:
badhte rahein...likhte rahein
सरल और सुंदर कविता...
शुभकामनाएं - कविता और गणतंत्र दिवस दोनों के लिए...
mere ब्लॉग पर भी पधारें...
अन्तिम पंक्तियों में कविता का सार और जीवन दर्शन आ गया है. साधुवाद.
आगे बढ़कर भी अगर
ना मिले मंजिलों के रास्ते
मत समझ लेना भूल कर
ये आखिरी हैं रास्ते
ऐ राही तुझे आगे बढ़ना है ......
बहुत सुन्दर पंक्तियॉं हैं ।
शेखर
वाहवा..........बधाई आपको..
सरल शब्दों में सुंदर अभिव्यक्ति है। बधाई।
... प्रसंशनीय रचना है।
ब्लॉग पर पधारे और दिल से टिप्पणी की . बहुत-बहुत धन्यवाद् अनिलजी .
theek kha sangharsh hi jeevean hai
अति सुंदर सराहनीय मनभावन मोहक जारी रहे
कलम की अभिव्यक्ति जो दिल से निकली है वाकई लाजवाब है.... बस ऐसे ही आगे बढते रहना.....
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सुन्दर रचना. बधाई.
भावपूर्ण प्रस्तुति............
dost brush\paint uthao aur aaj se hi painting banana shuru kar do , n i m waiting to see your painting on this blog. my best wishes to u.
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