दिल का सुकून
>> 01 October 2010
बीते हुए दिनों के अँधेरे जंगल से निकल, उजले वर्तमान का सुख सुकून नहीं देता । वो बंद पुराने बक्से में पड़ी जर्ज़र डायरी के सफहों में सुरक्षित अवश्य होगा । उसे छुआ जा सकता है किन्तु पाया नहीं जा सकता । वक़्त-बेवक्त सूखी स्याही को आँसुओं से गीला करना दिल को तसल्ली देना भर है । इससे ज्यादा और कुछ नहीं ।
तुम भी दो सौ गज की छत पर कपड़ों को सुखाकर, कौन सा सुकून हासिल कर लेती होगी । रात के अँधेरे में, बिस्तर की सलवटों के मध्य, थकी साँसों के अंत में क्षणिक सुख मिल सकता है । सुकून फिर भी कहीं नहीं दिखता । और फिर ये जान लेना कि मन को लम्बे समय तक बहलाया नहीं जा सकता । बीते वक़्त के सुखद लम्हों में तड़प की मात्रा ही बढ़ाता है । जानता हूँ उस पछताने से हासिल कुछ भी नहीं ।
वैज्ञानिक दावों को मानते हुए कि इंसान के जिंदा रहने के लिये साँसों को थकाना अति आवश्यक है की तर्ज़ पर भविष्य के साथी को भोगने से भी संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता । और फिर उसकी उम्मीदों पर खरा उतरते उतरते स्वंय के होने को बचाए रखना भी कम कलाकारी नहीं होगी । ये बात अलग है कि उस कला के लिये पुरस्कार वितरित नहीं होते । अन्यथा उस खेल के एक से एक बड़े खिलाड़ी संसार में मौजूद हैं । मैं तो कहीं ठहरता भी नहीं ।
एटीएम और क्रेडिट कार्ड पर खड़े समाज में ठहाकों के मध्य कभी तो तुम्हारा दिल रोने को करता होगा । दिखावे के उस संसार में क्या तुम्हारा दम नहीं घुटता होगा । चमकती सड़कों, रंगीन शामों और कीमती कपड़ों के मध्य कभी तो तुम्हें अपना गाँव याद आता होगा । कभी तो दिल करता होगा कच्चे आम के बाग़ में, एक अलसाई दोपहर बिताने के लिए । कभी तो स्मृतियों में एक चेहरा आकर बैचेन करता होगा ।
फिर भी अगर तुम्हें कहीं सुकून बहता दिखे, तो एक कतरा मेरे लिए भी सुरक्षित रखना । शायद कभी किसी मोड़ पर हमारी मुलाकात हो जाए । वैसे भी, अभी भी कुछ उधार बनता है तुम पर ।
* (मेरे इस लेख का सही स्थान यही है । ऐसा किसी ने कहा है । अतः यहाँ पुनः प्रकाशित किया गया)
17 comments:
बढ़िया प्रस्तुति...
अब हिंदी ब्लागजगत भी हैकरों की जद में .... निदान सुझाए.....
फिर भी अगर तुम्हें कहीं सुकून बहता दिखे, तो एक कतरा मेरे लिए भी सुरक्षित रखना । शायद कभी किसी मोड़ पर हमारी मुलाकात हो जाए । वैसे भी, अभी भी कुछ उधार बनता है तुम पर ।
एक बेहतरीन लेख्…………लेख क्या जैसे दिल उतार कर रख दिया हो…………………और दर्द साथ साथ बह रहा हो।
आज-कल तो बस कोई ऐसा लेख पढने को मिल जाये तो उस से ही दिल को सुकून मिलता है .. वरना अब कहाँ ढूढें यहाँ, गरमी की कोई अलसाई धूप...
हमेशा की तरह प्रभावी रचना ...
वैसे भी, अभी भी कुछ उधार बनता है तुम पर ।
इसी एक उधार चुकने की आशा में जिंदगी तमाम हो जाती है .
बेहतरीन रचना ..दिल की गहराइयों से निकले शब्दों से सजी.
इस लेख के मोह पाश में इस हद तक पड़ा कि कई बार पढ़ गया।
एटीएम और डेबिट कार्ड पर खड़े समाज में ठहाकों के मध्य कभी तो तुम्हारा दिल रोने को करता होगा ।
वाह क्या बात कही। हमे आपका लिखा पढ कर बहुत सकून मिलक़्ता है। शुभकामनायें
ऎसा लगा की कहीं कुछ दर्द सिमटा सा है जो बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। शायद किसी ने सही कहा है यही सही जगह हों इसकी।
Bejor...Mai nishabd ho gya...
एटीएम और डेबिट कार्ड पर खड़े समाज में....।
इस बिम्ब का जवाब नहीं डेबिट की जगह क्रेडिट कर लें । ऎ टी एम का मतलब ही डेबिट कार्ड होता है ।
फिर भी अगर तुम्हें कहीं सुकून बहता दिखे, तो एक कतरा मेरे लिए भी सुरक्षित रखना । शायद कभी किसी मोड़ पर हमारी मुलाकात हो जाए । वैसे भी, अभी भी कुछ उधार बनता है तुम पर ।
अच्छी प्रस्तुति
शरद जी, मेरी इस जल्दबाजी में की हुई गलती के बारें में बताने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Great post....! :)
Touching.
एटीएम और..... आलेख पढा और इसी लाइन को कॉपी किया, यहां पेस्ट करने के लिये, लेकिन देख रहे हूं, कि सबने इसी वाक्य-विन्यास को खूब सराहा है, तो अब इसे पेस्ट न भी करूं, तो भी चलेगा :) बहुत सार्थक है आपका लेखन. आभार.
बस एक सकूँ की तलाश में ही तो ये जीवन बीत रहा है .....
आपको पढ़ते हुवे अक्सर खो जाता हूँ अनिल जी ...
एक आत्मवंचना है...एक छलावा..स्वयं के लिये..पूरे दिन को जिंदगी की भट्ठी मे गला कर बस एक पल बचा लेना अपने लिये..एक फ़िल्म का पात्र याद आता है..असफल प्रेम का शिकार..इतना दौड़ता रहता था..कि जब इतना पसीना निकल जायेगा तो आँसुओं के लिये पानी कहाँ बचेगा शरीर मे..ऐसा ही कुछ लगा आपकी पोस्ट मे..मगर आखिरी पंक्तियाँ आशा भरी हैं..उस मरीचिका की तलाश की आस बँधाती हैं..चतुरजन जिसे सुख कहते हैं..
सुकून बस खयालों मे ही पनपता है...
hindi me itni gahri vichadhara kabiletarif hai
yaha bhi aye
बहुत ही सुन्दर .आज के सच ,पर फुर्सत कहाँ निकाल कर भी निकल पाती होगी उन पुरानी यादों में खोने की ...बेहतरीन पोस्ट ...बहुत पसंद आई शुक्रिया
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