मौत
>> 25 October 2010
मौत, मुझे तुझसे मोहब्बत हो गयी है । तू हर रोज़ ही, देहरी पर से ठिठक कर, वापस चली जाती है । मैं हर क्षण ही तुझसे, गले मिलने को तरसता हूँ । हर नया दिन यूँ ही बीत जाता है । और मेरी अपूर्णता मुझे आ घेरती है ।
क्या मेरी मोहब्बत में कुछ कमी है ?
हर सुबह एक आस जगती है, हर रात को घुट-घुट के मरती है । हर रोज़ ही नया सूरज बुझाता हूँ । और तू मुझे चाँद थमाती है । देखता हूँ कब तक बहलाएगी मुझे । कभी तो मेरी मोहब्बत रास आएगी तुझे ।
तू पहाड़ों से उतरकर, नदियों में बहती है और पगडंडियों से चलकर, मेरी देहरी पर खड़ी हो, मेरे अधूरेपन पर हँसती है । मगर एक बात स्मरण रहे । तू मुझ पर तरस खाकर नहीं, मेरी मोहब्बत में डूबकर, अपने आगोश में लेना मुझे । जैसे दो प्रेमी, सब कुछ भुलाकर, एक दूजे में डूब जाते हैं ।
कल ही ख्वाब में देखा था तुझे । तू अपनी गुलाबी बाहें फैलाए, मुझे पास बुला रही थी । मैं दौड़कर तेरे गले से लग गया था । तब तेरे लवो ने मेरे लवों को छुआ था । फिर अगले ही क्षण, मुझे अतृप्त छोड़कर, तू ओझल हो गयी ।
क्या मेरी मोहब्बत पर तुझे यकीन नहीं ?
तेरी वफ़ा पर मुझे कोई शक़ नहीं । लेकिन याद रखना में भी बेवफा नहीं । जब उस आखिरी के रोज़, हम एक दूसरे में डूब जायेंगे । तब अंतिम साँस पर मैं तुझसे कहूँगा-
"मौत, मैं तुझसे मोहब्बत करता हूँ ।"
12 comments:
इस उम्र में मौत से मोहब्बत क्यों हो गयी है ? हैं ? वैसे पोस्ट बहुत अच्छी है, बस मौत की जगह "कोई" और होना चाहिए था :-)
मौत को लेकर आप इतने सहज हैं यह उसको मित्र मान कर उससे बात कर रहे हैं ..जिसे लोग पीड़ा मानते हैं उसमें आपने आनंद ढूँढा ..सुन्दर !
अरे वाह मौत को अपना मित्र बना लिया, और उससे मोहब्बत भी कर बैठे..बहुत खूब....
मेरे ब्लॉग पर इस बार
उदास हैं हम ....
महोबात तो कईयों को है मौत से जनाब, पर वो माशूका ही अच्छी , शादी तो जिंदगी से ही करें तो बेहतर..
लिखते रहिये ....
वाह! क्या बात कही है ना ऐसा आशिक होगा और ना ही किसी ने ऐसी माशूका बनाई होगी………………।बहुत सुन्दर्।
Kya huaa Anil ji...kahe maut se mitrata ??Udasee ke alam main likh baithe hain lagta hai .
han sant log kahteyn hain ...maut se dukhee na hokar, use mitr samjhen.
magar hame to raas nahee ateee ji uskee mitrta .....
hum zindage se muhabbat karte hain....aap bhee kar ke dekhen ...abhi koi umr hai aapkee SANT ban ne kee ...:))
Have a cheerful day !
अनिल भाई, क्या जिंदगी दगा दे गई, जो मौत से मोहब्बत की जा रही है।
Well,nice personification....but really a bit scary post!
ek pyaar ki kahaani jo dil ko choo gayi...
ati uttam lekh hai yeh!
जब अन्त में उसी का सहारा है तो क्यों न मोहब्बत कर ली जाये।
Bhut khoob ..... yeh bhi jeevan ka sach hai....
यह रोमांटिसिज़्म है इस से बचो
Post a Comment