यार तेरी यारी के वो किस्से पुराने याद आए
>> 02 May 2009
कुछ रिश्ते एहसास के दायरे से बड़े होते हैं ....शायद इतने बड़े कि वो कब बड़े हो जाते हैं ...और इतने मजबूत कि उसका एहसास भी नहीं होता ...पता ही नहीं चलता कि वो रिश्ता कब सबसे प्यारा और दिल के करीब हो गया ....ऐसा ही एक रिश्ता है दोस्ती.... कहते कि ऊपर वाले ने बनाने को तो बहुत कुछ बनाया लेकिन ये काम शायद हम पर छोड़ दिया ....तभी तो एक यही काम हमारा दिल कभी गलत नहीं करता ...दोस्ती ...हाँ दोस्ती एक प्यारा सा एहसास ....शायद ये चन्द लाइनें पढ़ते हुए भी मन में एक चेहरा या कई चेहरे घूमने लगते हैं ....ठीक वैसे ही जैसे मेरे जहन में लिखते हुए ...कुछ चेहरे बार बार दस्तक दे रहे हैं ....वो हंसते हुए चेहरे ...कॉलेज की कैंटीन में हँसते खिलखिलाते चेहरे .... साथ क्रिकेट खेलते हुए चेहरे ...गली के मोड़ पर गप्पे लड़ाते हुए चेहरे ....पहले इश्क के चर्चे में शामिल चेहरे ....गले लगाते हुए चेहरे ...रुठते हुए चेहरे ...मनाते हुए चेहरे ...और जिंदगी भर दोस्ती निभाते हुए चेहरे
सुन ऐ मेरे दोस्त आज यूँ ही तन्हाई में बैठे हुए ...तेरी वो बातें याद आ गयीं ... जो चाय और सिगरेट के कश के साथ ....तूने किसी रोज़ दिल से कही थीं ... कहने को तो वो चन्द अल्फाज़ थे ...जो उस रोज़ तूने धुंए के छल्लों के साथ हँसते हुए कहे थे ...पर सच दिल आज भी वो फुर्सत के दिन याद करता है ....वही बीते दिन ...वही आवारगी के दिन ...वही बेचारगी के दिन ...वही बिन जेब में पैसों के तफरी के दिन ...वही अपनी महबूबा के गम में दिलासा देने के दिन ...वही कॉलेज के मैदान में तेरे संग अकेले घंटों बैठे हुए दिन ...वही बचपन के दिन ...वही चढ़ती जवानी के दिन ....वही आशिकी के दिन ...वही रूठने के दिन ...वही मनाने के दिन ...सच आज भी याद आते हैं
ये एहसास भी बहुत अजब है ...ऐसे जैसे कि कल की ही बात हो ...सच अब तो हंसी सी आती है जब ...उन पलों की याद आती है ...जब रूठकर हम एक दूजे से महीनों नहीं बोले थे ....वो फिर भी हर रोज़ एक दूजे के घर जाना ....वो सबसे बात करना और एक दूजे से कतराते से रहना...और फिर बनाना एक बहाना कि जैसे आये हों लेकर कोई जबरन काम ...और देखनी हो सिर्फ सूरत भर यार की .... कैसे जब घंटों बात करते रहने वाले हम ...कई महीनों एक दूजे से नहीं बोले ...दिल ही दिल में तड़पते से ....हसरतें करते से ...कि बस इस पल ही ख़त्म कर दें दूरियां ये ...पर सच कितने बच्चे से थे ....
और जब फिर से उस रोज़ बात शुरू हो चली ...तो कैसे हमने कई रातें बिन सोये अपनी बातें सुनाने में निकाली ...सच दिल करता है फिर से खिड़की खोलूं और ले आऊँ कहीं से वो रातें ....वो बातें ...काश ऐसा हो पाता ...दिल इस पल यूँ ही अचानक ही ख्वाब सा बुनने लगता है ...
जिंदगी भी एक अजब पहेली है ...कैसे कैसे दिल के रिश्ते बनाती है ....कितने प्यारे जो तोडे से भी न तोडे जाएँ ... दिलों को बांधे रखने के लिए किसी डोर की जरूरत महसूस नहीं होती ....शायद तभी ये दोस्ती ...ये एहसास इतना पवित्र है ..इतना सुखद है ....काश ये सब में तुझसे अभी इसी पल ...उस दिन की चाय और सिगरेट के कश के साथ भर जैसा कह पता...देख पाता तेरी मुस्कुराती हुई आँखों को .....वो सिरहाने तकिया लगाये जब घंटों ....बेसिर पैर की बातें करते हुए ...बिस्तर पर यूँ ही उल्टे सीधे पड़े रहते थे ...सच वो पल भी अब याद दिला जाते हैं ...उन हसीन पलों की खूबसूरती आँखों पर बार बार आकर छा जाती है ...मदहोश कर जाती है ....और मैं घंटों यूँ ही उन ख्यालों में डूबा रहता हूँ ...हाँ दोस्त तू सुन रहा है न
शहर की ना जाने कितनी उल्टी सीधी ...टेडी मेडी गलियों से गुजर हम वापस घर को पहुँचते थे ...यूँ ही बेपरवाह ....बेहिसाब चलते थे ...कदम जैसे रुकने का नाम न लेते थे ...शायद ही हम साथ होते हुए कभी थके हों ....हर पल साथ रहने की ख़ुशी जो रहती थी दिल में ....फिर ना जाने जिंदगी में कैसा मोड़ आया ....कि वहां जाकर जिंदगी ने तुझे उस रास्ते भेज दिया ...और मुझे इस रास्ते ..... शायद इसी को जिंदगी कहते हैं ....बड़े अजीब हैं ये रास्ते, ये गलियाँ ..कमबख्त कहीं जाकर आज तक ना जुड़े ....जैसे हम पहले साथ बचपन में रहते हुए ...किसी भी टेडी मेडी गली से गुजरते ...उसे कहीं न कहीं अपने रास्ते से जोड़ लेते थे ....पर इस बार हमें जिंदगी ने मौका नहीं दिया ....आज भी हम अपने अपने रास्तों पर चल रहे हैं ...क्या कभी ऐसा होगा कि गली के किसी मोड़ पर हम फिर से टकरा जाएँ ....सच कितना सुखद होगा ...वो मोड़ ...बिलकुल अपना सा ...तब दिल करेगा कि उस मोड़ पर चन्द पल सुस्ता लें ...साथ बैठ ...ढेर सारी गप्पे मार ले ...चाय पियें और धुऐं में उडे दे सारे गम
हाँ शायद तब कितना सुकून मिलेगा हमारे दिल को ....बिलकुल वैसे ही जैसे हम फुर्सत के उन दिनों में ...एक दूजे के साथ बेपरवाह हो ...मदहोश हो जाया करते थे ....हाँ शायद फिर से एक पल के लिए ऐसा हो ....ऐ मेरे दोस्त तू सुन रहा है न
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22 comments:
खूब याद किया आपने दोस्तों को। लेकिन-
एहसास के दायरों में रिश्ते सभी रहें।
वो दोस्ती ही क्या जो एहसास न करे।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
पहले उन दिनों में शहर की टेढी मेधी गलियों में बिना बात भटकते थे और फिर वापिस लौट आते थे...सच में क्या दिन थे!अब तो जीवन की अनजान गलियों में गम हो के रह गए है..कोई रास्ता ही नहीं मिल रहा..निकलने का..
अनिल भाई वो किस्से, वो दिन कही गलियों में भटक रहे है। वो हमें और हम उन्हें ढूढ रहे है पर ना जाने क्यों मिलते नही?
lovely post Anil, Friendship is probably the only relation that we choose for ourselves. friends share and know a lot that even most other peoples in our life do not know about us..and accepting us with all our weaknesses is what makes this so special. Enjoyed a lot. keep posting.
har baar ki tarah lajwaab...
Lovely Post . You write so nicely.
जाने मेरा वो दोस्त अब कहाँ है ??
ek ek insaan bhavuk ho jaayega ye panktiyaan padhkar...sachmuch kuch yaadein kuch chehre ghoomne lage aankhon ke aage :)
ऐसे यार अब कहाँ मिलते हैं! :(
सुन रहा हूँ ’दोस्त’ - सब सुन रहा हूँ
uff ye purane doston ke galiyaaron ke charche,wo waqt bhi kitna sunahara tha,bahut emotional bana diya post ne.hamari saheliyaan na jane kaha hongi.
bahut khoob anil sahab.... dosti ki yah post achchi lagi.... ab aap photo shoto me bhee achche dikhayio de rahe hai....
thanks... harsh....
धाराप्रवाह लिखा है , बाँध रखने में कामयाब हुए हो | बेचारी को बेचारगी लिख सकते हैं ऐसा सुझाव है |शुभकामनाओं के साथ
shukriya sharda ji ...waise mein use bechargi hi likh raha tha lekin bhoolwash aisa rah gaya ...main sudhar kar lunga ...aapka bahut bahut shukriya
Ati sundar rachna...aapke blog par ab niymit roop se aana hoga
हमेशा की तरह.....सुनहरी यादों को जगह गयी आपकी पोस्ट............
Mere blog par aane ke liye shukriya...
Aapke comments ke uttar diye hai...
Aate rehna...
Very nice post about friend, i think most closest reltion in the world, would like to share this nice quote about friends-
“Friends are an integral part of your life, but every friend you have must live life at their own pace. When the time comes & they must leave you, there is no need to grieve over their parting from your life. It is the very essence of life that it should be so. But it hurts nonetheless and we grieve nonetheless, but we hold them in our hearts forever. Always cherish the joy, laughter, memories and love that they have brought into your lives. Always remember them with a warm smile for what they have given you.”
सच कितना सुखद होगा वो मोड़ ....बिलकुल अपना सा ...तब दिल करेगा की उस मोड़ पे चाँद पल सुस्ता लें ...साथ बैठ ढेर सारी गप्पें मार लें ....चाय पियें और धुँए में उडेल दें सरे गम.......
बहुत खूब....अनिल जी लाजवाब अभिव्यक्ति.......!!
बेहतरीन पोस्ट... वाह..
lajwaab...
Anil Bhai! Firozabad mein kahan se ho ? hum bhi firozabad se hi hain Gandhi Nagar se. bhai firozabad mein itne pratibhashali log hain aur hamein pata bhi nahi. gud mera no. 9313722554 hain
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