माँ, त्याग और प्यार
>> 11 May 2009
कई महीनों की भागदौड़ और जिंदगी को जीने की जद्दोजहद के बीच से चन्द रोज़ मुझे मिले ...तो मैं चल पड़ा उस आँचल तले वो पल बिताने ....जिसकी याद हर रोज़ आ जाती है ....चन्द रोज़ माँ के साथ बिताने को मिले ....वही खिलखिलाता चेहरा ....वही ढेर सारा प्यार ....वही ख़ुशी और वही सारा प्यार एक साथ लुटा देने की जल्दबाजी ...सच दिल को बहुत सुकून मिला ....पता ही नहीं चला कि ये चन्द रोज़ कैसे बीत गए
कभी कभी लगता है कि माँ होना ही अपने आप में एक सुकून है ....जिनकी माँ नहीं होती होगी उन पर क्या गुजरती होगी ...ये सोच कर भी दिल घबरा सा जाता है .....माँ का प्यार सबसे ज्यादा प्यारा और सुकून देने वाला होता है
और जब मैं घर पहुंचा तो उनके चेहरे से साफ़ झलक रहा था कि जैसे मेरी ही राह तक रही थी तब से .....जबसे मैंने बताया कि हाँ मैं कल सुबह आऊंगा ....सच माँ भी न ....बहुत प्यारी, भोली और त्याग की मिसाल होती हैं ....मुझे कई महीनों से ये याद था कि इस बार माँ के लिए साडी लेनी है .....और जब इस बार उनके पास गया तो मैंने उनसे साफ़ साफ़ बोल दिया कि अबके बार तो मैं आपके लिए साडी लेकर ही रहूँगा ...आप हर बार कोई न कोई बहाना कर जाती हैं
वो जब कपडे धोने बैठी तो बोलने लगी नहीं तुम इस बार अपने लिए पेंट बनवा लो देखो उधड गयी है ...मैंने कहा माँ इस बार आपकी एक ना चलेगी ....इस बार तो आपको साडी लेनी ही पड़ेगी ..... मेरे पास पेंट बहुत हैं ....बहुत दिन हुए आपको साडी लेनी ही पड़ेगी .....उस शाम छोटी बहन अपनी सहेली के साथ उनके लिए एक साडी लेकर आयी ....माँ के लिए ...जानकार अच्छा लगा कि उन्हें वो बहुत पसंद आयी..... कहने लगी इस बार सैलरी मिलने पर तुम अपने लिए पेंट बनवा लेना ....मैंने कहा माँ आप भी ना ...बस हम सबके बारे में ही सोचती रहती हैं ....कहने लगीं बेटा अभी तो तुम सबके दिन हैं .....और माँ के लिए बच्चों की ख़ुशी ही सब कुछ है ...उसी में मुझे ख़ुशी मिलती है....
वो 5-6 रोज़ बहुत प्यार से बीते ....हाँ माँ का प्यार खाने में सबसे ज्यादा झलकता है ...ये भी खाओ ...वो भी खाओ ....लगता है कि उतने रोज़ में साल भर का खाना खिला देना चाहती हों ....पर कसम से अच्छा लगता है ये सब ...जब वहाँ से चला आता हूँ तो यही सब बहुत याद आता है ...बहुत ..बहुत ...बहुत याद आती हो माँ तुम ...और तुम्हारा प्यार
10 मई को ही मुझे लौटना था ....मैंने जब माँ को बोला तो थोडी उदास सी हो गयी ....कहने लगी कल चले जाना ....पहले तो यही सोच रखा था कि 10 को ही जाना है ...पर माँ की बात टाल ना सका ...दिल ने कहा कि आज माँ की बात मान लेता हूँ ....मैं उस रोज़ ठहर गया ....और जब आज सुबह वापस लौटने को हुआ ...तो उनकी आँखें मुझे दूर तक छोड़ने को आई ...जब तक कि मैं उनकी आँखों से ओझल ना हो गया ....
और हाँ माँ तुम्हारा ढेर सारा प्यार मेरे बैग में अभी भी है ....जब उधर से लौटता हूँ तो बैग इतना भारी हो जाता है कि पूँछो मत ....पर जब यहाँ पहुँच उस बैग को खोल देखता हूँ तो दिल बहुत खुश होता है ....अचानक से लगता है कि जैसे तुम रसोई से निकल एक परांठा मेरी प्लेट में रखने आई हो ...और कह रही हो एक और खा लो बेटा
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31 comments:
10 मई को ही मुझे लौटना था ....मैंने जब माँ को बोला तो थोडी उदास सी हो गयी ....कहने लगी कल चले जाना ....पहले तो यही सोच रखा था कि 10 को ही जाना है ...पर माँ की बात टाल ना सका ...दिल ने कहा कि आज माँ की बात मान लेता हूँ ....मैं उस रोज़ ठहर गया ....और जब आज सुबह वापस लौटने को हुआ ...तो उनकी आँखें मुझे दूर तक छोड़ने को आई ...जब तक कि मैं उनकी आँखों से ओझल ना हो गया ....
मां का आदेश तो सिरोधार्य होता है बन्धु मानना ही पडता है
सच कहा ...माँ होना ही अपनेआप में एक सुकून है....
आपकी हर रचना से ज़िन्दगी झलकती है......
good one! ye to maa ki sacchi tasveer hain...... sach aisi hi hoti hain sabki maa
Bada marmsparshi lekh hai bhai.Vo bade khushnaseeb hote hain jinki maa hoti hai.
मां तो आखिर मां ही होती है.......जितना भी लिख लें कम हीं परेगा.
गुलमोहर का फूल
सच ही कहा दोस्त ...माँ के बारे में जितना भी लिख लो वो कम ही पड़ जायेगा
वो खुशनसीब है जिनकी मां है।
अनिल भाई...
बहुत भावुक लेख है...
"तो उनकी आँखें मुझे दूर तक छोड़ने आई..."
बहुत सुन्दर है.. सच मन को छू गई...
एक छोटी सी भेंट, मेरी एक पुरानी कविता से .. आपकी पेंट और साडी वाली बात पर..
"माँ के सवरनें और पहनने के शौक छूटते जाते थे,
उसके अरमान, घर की तंगी देख बदलते जाते थे,
अपने वस्त्रों पर पैबंद लगा, उसने तुझे सजाया,
कुछ सोचा? कभी आदर से उसे कुछ पहनाया?"
आपने माँ के लिए इतने सुन्दर भाव रखे...
बहुत अच्छी बात है..
~Jayant
anil bhai...
maine apnee maa ko abhee haal hee mein khoya hai.... sach kahun to lagtaa hai ki jindagee kaa ek hissa khatm ho gaya jo nissandeh sabse khoobsurat tha, aglee baar maa se milein to unhein meri taraf se charan sparsh karein....
अजय जी आपका सन्देश उन तक अवश्य पहुँचाऊंगा
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जयंत जी अपनी रचना के अंश यहाँ पेश करने के लिए शुक्रिया
"माँ " यह एक शब्द खुद में संपूर्ण है, एक ऐसा अनुभव देता है यह शब्द की दुनिया की हर बात इसके आगे छोटी है ..माँ को सादर प्रणाम कहें
अपना भी कुछ ऐसे ही हाल है अनिल भाई
great post as usual Anil. very true to heart and lovely writing. Keep it up.
माँ को समझना मुश्किल है..
vaah.......लाजवाब लिखा है............माँ तो माँ ही होती है...........अपनी यादों को बेग में भर कर सोंप देती है .......... हर पल याद आती है...........meethaa ehsaas भर दिया है आपकी रचना ने
माएं ऐसी ही होती हैं .....बहुत अच्छी रचना ....
माँ पर भावपूर्ण पोस्ट लिख दी आपने अनिल भाई। माँ की जगह कोई और नही ले सकता।
अनिल भाई,
आजकल आप हमारे यहाँ नहीं आते, तो हम ही चले आये अपनी कविता आप को जबरदस्ती सुनाने...
:))
~जयंत
very nice post.badhai
Bhaavpuran rachan hai Anil Ji..
Maa ke charanon mein hi sabse bada sukh hai.
Pyaari si is rachna ke liye bahut bahut badhaai..
कुछ गहराईयों तक भिगो गया आज का ये पोस्ट..
एक ऐसा ही भारी बैग हम भी उठाये चले आये हैं इधर
माँ में ईश्वर की झलक होती है माँ का सामीप्य ममता भरा और कितना स्निग्ध होता है इसको शब्दों में परिभाषित नही किया जा सकता .... वाकई बहुत सुंदर रचना|
aapka blog pada, bahut imandari aur sahajta hai aap ke lekhon main, shubhkaamnaayen....
सच है भाई, मॉं की महिमा अपरम्पार।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
आँख भर आये तो शब्द नहीं सूझ्ते बहुत सुन्दर मार्मिक अभिव्यक्ति है शुभकामनायें
माँ - यही वो शब्द होता है जो हर इंसान दुनिया में आने पर सबसे पहले बोलता है.
माँ - यही वो रिश्ता होता है जो शायद लफ्जों में बयाँ नहीं किया जा सकता.
आपकी रचना सराहनीय है हमेशा की तरह. माँ तुझे सलाम!!!
साभार
हमसफ़र यादों का.......
bahut achcha likha..
bahut hi behtarin dhang se aapne apne bhav vyakt kiye hain.sach hi to hai ki ek aurat maa banne ke baad se hi khud ko bhul kar kewal apne bacchon ke liye jiti hai.....unki khusi ke liye apni khusi kurbaan karti hain....aur bhi kai tyaag karti hain jinhe shabdon main likhna kisi ke bas main nahi hai......kyunki wo saari baaten kahin na kahin ham sabhi apni maa main har din har pal dekhte hi hain.
mere blog main aane aur apne mahatvporna comment dene ke liye dhanyawaad.....aage bhi aapki amulya comments ka intajaar rahega.
bhai waah ....kya likhte ho
बहुत ही सुंदर रचना! माँ हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं! माँ की वजह से ही हम इस दुनिया में कदम रखे हैं!माँ के बारे में जितना भी कहा जाए कम है!
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