माँ तुम हो कितनी अनमोल

>> 28 May 2009

गोद में सिर रख कर के अपनी
जब लोरियां सुनाया करती थी तुम

बेखौफ ही नीद के आगोश में
चला जाता था मैं

दूर जबसे हुआ हूँ तुमसे
नीद भी ठीक से आती नही

रात को सर्द मौसम जब
अपने आगोश में लेता था मुझे

चुप से ही पास आकर मेरे
प्यार से चादर उढा जाया करती थी तुम

अच्छा हूँ मैं
तुम्हारा दुलारा हूँ मैं
हर पल ही जताती थी तुम

हो मुझे कोई पीड़ा तो
दर्द से सिंहर उठती थी तुम

सिरहाने पर बैठ कर
अक्सर सिर को मेरे सहलाती थी तुम

माँ
जब से दौड़ा जिंदगी की दौड़ में
दूर तुमसे होता गया
कभी इस नगर
तो कभी उस नगर

अब उस प्यार के स्पर्श को
तरस जाता हूँ मैं
लगता है कि जैसे कोई प्यास है
जो कभी बुझती नहीं

हाँ माँ
तुम हो कितनी अनमोल
और तुम्हारे वो मीठे बोल
हर पल ही याद आते हैं मुझे
------------------------------------------------------




20 comments:

रंजन (Ranjan) 28 May 2009 at 10:03  

बहुत प्यारी कविता माँ के लिये..

डिम्पल मल्होत्रा 28 May 2009 at 11:02  

boht emotional kavita hai...ma sach me anmol hai....

admin 28 May 2009 at 11:56  

और इसमें कोई शक नहीं हो सकता।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

रंजू भाटिया 28 May 2009 at 13:13  

दिल को छु लेने वाली कविता लिखी है आपने माँ पर ..माँ पर लिखा हर लफ्ज़ खूबसूरत लगता है

Mahesh Sindbandge 28 May 2009 at 13:44  

Very touching poem Anil....i simply liked it very much.....

Mahesh Sindbandge 28 May 2009 at 13:46  

I liked these lines which ended with "Tum" especially..:)

Keep writing..

विवेक रस्तोगी 28 May 2009 at 15:00  

माँ को वर्णन करने के लिये शब्द नहीं मिलते हैं शायद इसिलिये जब पढ़ने को मिलता है तो बहुत अच्छा मिलता है, सुन्दर रचना।

दिगम्बर नासवा 28 May 2009 at 16:40  

माँ ऐसा शब्द है जो सुनते ही.......लाड, प्यार और दुलार का एहसास कराता है .............
लाजवाब लिखा है अनिल जी

सुशील छौक्कर 28 May 2009 at 17:58  

बहुत ही प्यारे शब्दों से माँ को याद किया। बेहतरीन भाव।

Unknown 28 May 2009 at 22:32  

pathak ko abhibhoot kar dene wali maarmik kavita___________________
BADHAI

Anil Pusadkar 28 May 2009 at 23:43  

हमने नही देखा उसको कभी,
पर उसकी ज़रूरत क्या होगी,
ऐ मां,ऐ मां ,तेरी सूरत से अलग,
भगवान की सूरत क्या होगी।

Anonymous,  29 May 2009 at 04:16  

माँ तुझे सलाम............

साभार
हमसफ़र यादों का.......

Urmi 29 May 2009 at 05:42  

आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत ही सुंदर और प्यारी कविता लिखा है आपने! माँ के बारे में तो जितना भी कहा जाए कम है! माँ हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं और आज हम उन्ही की वजह से दुनिया में कदम रखें हैं!

उम्मीद 29 May 2009 at 11:02  

bhut hi pyari se abhivyakit apni maa ke kiye .......man ko chhu gai anil ji
aap bhut hi achha likhte hai

मीनाक्षी 29 May 2009 at 16:32  

गद्य में तो पढ़ चुके थे...आज पद्य में भी माँ का बेहद खूबसूरत भावभीना चित्रण देख कर बहुत अच्छा लगा... ढेरों शुभकामनाएँ

रश्मि प्रभा... 31 May 2009 at 15:38  

apni yah rachna apni aawaaz me sanshipt parichay ke saath mujhe mail kar den, hind-yugm kavya manch ke liye

Manish 4 February 2010 at 19:32  

very beautiful line dear !!
awesome you rock man !! KEEP IT UP !!
love you MAAMUMY !!

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