दो नैना और इक कहानी
>> 14 July 2009
याद है तुम्हें जब तुमने एक बार कहा था कि कहीं ऐसा न हो कि एक दिन हमें एक दूसरे को देखने के लिए आँखें तरस जाएँगी...पता नहीं क्या सोचकर तुमने ये कहा था...शायद तुम्हें एहसास हो चला था कि ये जिंदगी हमारी झोली में क्या डालने वाली है...शायद ये एक एहसास ही तो था जो हमे जोड़े रहा...जब तुम कुछ पूँछा करती थीं...तो मैं खामोशी से मुस्कुरा दिया करता था...और आज देखो मेरे पास कहने को इतना कुछ है...पर वो मुस्कुराती हुई आँखें नहीं जो मेरी तरफ देखा करती थीं...कुछ भी बड़े प्यार से सुनने के लिए
मैं कहना चाहता हूँ कि मैं तुम्हें बहुत याद करता हूँ...कि जब तुम हवा में अपना दुपट्टा उड़ाया करती थीं...तो तुम बहुत अच्छी लगती थीं...कहना चाहता हूँ कि जब तुम खिलखिला के हँसती थीं तो तुम्हारी हँसी मेरे दिल में असर करती थी...और हर बार मैं यही ख्वाहिश पैदा करता था कि तुम यूँ ही जिंदगी भर मेरे साथ खिलखिला कर हंसती रहो...कहना चाहता हूँ कि जब तुम बच्चों सी हरकतें करती थीं तो तुम पर बहुत प्यार आता था
कहना चाहता हूँ कि तुम्हारी आइसक्रीम खाने की जिद मुझे बहुत पसंद थी...कहना चाहता हूँ कि तुम्हारा चुपके से मेरे गाल पर किस करना बहुत अच्छा लगता था...कहना चाहता हूँ कि तुम मुझे बहुत याद आती हो...कहना चाहता हूँ कि तुम्हारी याद मुझे हँसा जाती है और फिर ना जाने क्यों रोने को मन करने लगता है...और ना जाने क्यों, ना चाहते हुए भी आँखों से आँसू छलक जाते हैं
ये जिंदगी बहुत खूबसूरत है...इसे ख़ुशी से जीना...चाहे मैं रहूँ या ना रहूँ...याद है तुमने ये बात जिस पहाडी के पत्थर पर बैठ मुझसे कही थी...उस पर ना जाने क्यों मैं दोबारा गया...वो मुझे वीरान सी जान पड़ी...बिल्कुल मेरी जिंदगी की तरह...बेरंग, बेजान, बेमतलब सी...और जब इस सोच से उबर कर खुद को देखा तो पाया कि मैं भीग चुका हूँ...उस बारिश में जो काफी देर से हो रही थी...कमाल है आज पहली बार ऐसा हुआ कि बारिश हुई और मुझे उसके बंद होने पर पता चला...याद है मुझे तुम्हें बारिश बहुत पसंद थी...है ना...क्या आज भी तुम्हें बारिश में भीगना पसंद है
किताबों के दरमियान रखे हुए उन सूखे गुलाबों की पंखुडियों को जब हाथ से स्पर्श करता हूँ...तो ये मुझे पुरानी यादों में लेकर चले जाते हैं...वो तुम्हारे नर्म हाथ और मखमली बाहें...जिनसे तुम मेरे सीने से लिपट जाया करती थीं...वो किताबें जो तुमने दी थीं वो उसमें लिखी हुई कहानी ना बोल कर हमारी अपनी कहानी कहने लग जाती हैं...कमबख्त ये भी नहीं समझती...कैसे समझेंगी तुम्हारे हाथों का स्पर्श जो है उस पर और जिसे तुमने चूम कर दिया था...हर वो किताब उतनी ही महफूज़ है मेरे पास ठीक तुम्हारी यादों की तरह...
ये जो आँखें हैं जिन्हें तुम अक्सर दो नैना कहा करती थीं...आज भी इक कहानी बसी हुई है इनमें...पता है किसकी और कौन सी कहानी...तेरे मेरे ख्वाबों की कहानी...तेरी मेरी ख्वाहिशों की कहानी...
हाँ जब तब इन दो नैनों में कभी बादल तो कभी पानी नज़र आ जाता है...और उसके साथ ही वो ख्वाहिशें और वो ख्वाब दोनों ही गीले हो जाते हैं
28 comments:
aap to padhne wale ko ik doosri hi duniya mein le jate hain............lajawaab prastuti.
Unusual as usual....is this the magic of words?
शुक्रिया वंदना जी और भाव्या जी
आप सबको पढ़कर अच्छा लगता है तो दिल को ख़ुशी मिलती है
निल जी आपकी पोस्ट का मुझे सदा इन्तज़ार रहता है जिन्दगी से भर पूर अभिव्यक्ति इतनि प्रवाहमय होती है कि पता हे नहीं चलता कि कब िसमे डूब गये और बाहर आने मे वक्त लगता है बहुत सुन्दर आभार्
lajawaab
वो बातें, दो पल की मुलाकातें, वो बारिश में भीगना.....
प्यारी बातें।
Anil ji........ aapki post man ko kaheen door khainch kar le jaati hai... khwaabon ki duniya sachmuch aise hi hoti hai
bahut khub...kamal he..
अनिल जी
आपकी पोस्ट की प्रतीक्षा हमेशा रहती है.......... दिल के करीब जो होती हैं आपकी कहानी .... म्ज़ा आ गया
ओह, कहीं एक मासूम नाजुक सी लड़की...
आह!! हमेशा की तरह....एक मासूम जुबानी, बेहतरीन!!
' बेहद रोमांटिक आदमी हो यार '
waah bhaiya kya khub bataye purane dino ki yaaden..
kisi ke liye agar jara bhi pyar ho aur aapki yah sansmaran padh le to shayd kosis karega ki usaka pyar kabhi usase door na jaye..
adbhut varnana..
kya yaad kiya aapne..
bahut bahut badhayi..bas aise hi sundar sundar yaden batate rahihega..
dhanywaad!!!
रूमानी जज्बों का सुंदर अंकन।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
रूमानियत है आपके लिखे इन लफ्जों में बहुत बढ़िया लिखा है
बहुत खूबसूरत रचना.
रामराम.
आपकी कहानी में रूमानियत भरपूर दिखती है ..
बहुत खूबसूरत ,थोडा भावुक करती हुयी !!
waah.....bahut hi laajawab
मासूमियत लिए प्यार की सुंदर कहानी .....!!
वाह अनिल भाई... बहुत खूबसूरत बयां किया आपने
बहुत ही उम्दा, हमेशा की तरह शब्दों का जादू। कई कमियों को पूरी करती है आपकी लेखनी।
bahut hi khubsurat bhav.
क्या कहूं समझ मे नही आ रहा है तारीफ़ के सारे तरीके खतम हो गये है।बस इतना कह सकता हूं कि दिल जीत लिया।
very soothing and innocent story. great work once again Anil
दो नैनों में सिर्फ एक नहीं कितनी कहानियां होती है
बहुत अहसास के साथ लिखा है
gr8
'दो नैना इक कहानी'...
मैं अभी तक इसी उलझन में हूँ की इसे मैंने पढ़ा या देखा, या फिर इसे मैं अभी-अभी जी गयी..
क्योंकि मेरे आस-पास कुछ अहसास मंडरा रहे है, जिन्हें आपकी कहानी में देखा था...
'अदा'
शुक्रिया 'अदा' जी
मासूम रूमानियत !
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