रात जब ठहर जाए
>> 06 September 2009
रात जब ठहर जाए
और भोर का उजाला ना हो
सिसकियाँ ही सिसकियाँ हो
और ख़ुशी का सहारा ना हो
कुछ देर संभल जाना
कुछ देर ठहर जाना
मैंदान से भाग खड़े होना
जब तुम्हें सबसे लगे आसां
जब कुछ भी ना बचा हो
खाली तुम रह जाओ
एक आशा की किरण होगी
तुम उसको जला लेना
जब तुम चाहो मुस्कुराना
और दर्द भरी हो आहें
जब सफर हो बहुत लम्बा
और कदम भी लड़खड़ायें
मंजिल बस पास ही होगी
तुम एक कदम बढ़ा लेना
जब जीना हो मुश्किल
और कुछ भी न समझ आये
जब दर्द ही दर्द हो
और वो हद से बढ़ जाए
दिल में रखना एक आस
और उससे तुम लड़ जाना
रात जब ठहर जाए....
33 comments:
एक बेहतरीन रचना.....अतिसुन्दर.........
हिम्मत न हारने की सलाह देती ,जोश भरती हुई..आशाएं जगाती हुई एक अच्छी रचना.
क्या बात है अनिल बाबू,अलगई मूड मे दिख रहे हो।आखिरी से पहले वाली लाईन मे आश को आस कर लो तो ठीक लगेगा।
शुक्रिया अनिल जी ...ध्यान दिलाने के लिए
आशावादी रचनाएं मुझे अच्छी लगती ही है .. और आपकी कलम से लिखी जाए तो कहना ही क्या .. बधाई और शुभकामनाएं !!
sunder aashawadi rachana,mann prasann ho gaya,lajawab
दिल मे रखना आस
और तुम लड जाना
बहुत सुन्दर और सकारात्मक अभिव्यक्ति है बधाई
This poem infuses a lot of hope! Too good! :)
himmat badhati rachna.......badhayi
बहुत सुन्दर जी - कुछ देर ठहरो, फिर चलना!
प्रेरणाप्रद रचना.
बहुत सुन्दर और प्रवाहमय
VAA ANIL JI ....... AAJ KUC BADLA UVA ANDAAZ HAI ....... PAR BAHOOT HI ACHA LAGA .......
बहुत ही सुंदरता से बात कही आपने, अनिल जी। शुभकामनाऎं।
बधाई और शुभकामनाएं !!
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Mainpuri me kahan hai aap ki nanihaal?
जब जीना हो मुश्किल
और कुछ भी न समझ आये
जब दर्द ही दर्द हो
और वो हद से बढ़ जाए
दिल में रखना एक आस
और उससे तुम लड़ जाना ...khoobsurat kavita umeed se wishwash .honsle se bhari...
जोशीली रचना...सुंदर
बहुत खूब अनिल भाई..
bahut hi khoobsurti se bhawnaaon ko sameta hai
सुंदर भाव, सीधे पाठकों के मन को छू जाते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
भाई आप जॆसे २ दोस्त हॆ जो K.N.I. मे teacher हो गये हॆ बस अपने उन दोसतो को दिखाया ........बस हो गया काम...आप कॆसे हो भाई बहुत सुन्दर रचना हॆ भाई..
बहुत ही सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति , सीधे दिल को छूती हुयी । आभार ।
गुलमोहर का फूल
बहुत ही अच्छी लगी ये रचना...
aap ki rachna bhut achchhi lagi
sach kabhi himmat nahi harni chahiye.....bas chalte jana hi to zindagi hai .....
सच है...विधी के विधान में जब तलक, एक ख़ास नियत पल नही आता...चाहे जो कर लें, हमारे हाथ कुछ नही आता...
Behad sundar prastutee..!
जब जीना हो मुश्किल
और कुछ भी न समझ आये
जब दर्द ही दर्द हो
और वो हद से बढ़ जाए
दिल में रखना एक आस
और उससे तुम लड़ जाना
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई
Anil wwaqai mein bahut hi achcha likha hai bhai.......
एक आशावादी कविता....
उम्मीद जगाती हुई बेहद खूबसूरत रचना पढ़वाने के लिए धन्यवाद..
आपकी व्यंजना शैली का कायल हूं मैं। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
full of positivity and hope. loved this poem You should keep writing such things..it will erase the pain in you!! Am very proud of you for writing this.
Thanks Sujata Ji...and Thanks to All
apki kavita par kahin padha hua ye sher yaad aa gaya....
anjaam uske haath hai agaaz kar ke dekh, bheege hue paron se bhi parvaaz karke dekh
ek behtareenn rachna badhai....
ni:sandeh khoobsurat or sakaratmak abhivyakti
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