वो गहरे तक इंसान था
>> 10 September 2009
हालाँकि वो सिविल इंजीनियरिंग से डिप्लोमा धारी था लेकिन फिर भी उसे कई नौकरियों से निकाला जा चुका था और कईयों को वो छोड़ चुका था...और इन सब के पीछे वजह थी तो उसका गहरे तक इंसान होना. इस ज़माने में जहाँ लोग इंसानियत को बेचते खाते हैं और अगर किसी में इंसानियत होती भी है तो सतही तौर पर. ऐसे में उसका गहरे तक इंसान होना ही उसका सबसे बड़ा दुश्मन था.
हालाँकि उसके घर में पैसों का ज्यादा अभाव नहीं था. पिताजी बैंक में अधिकारी थे और माँ अध्यापिका. फिर भी कहीं ना कहीं उसके माता पिता भी कभी कभी उसके लिए परेशान होते कि ना जाने इस लड़के का क्या होगा. अभी अभी उसकी नई नई नौकरी लगी है और उसके माता पिता अब ये सोच रहे हैं कि ना जाने कब तक करेगा. कहीं इसे भी ना छोड़ दे. जानते थे कि इसे झूट, धांधली, रिश्वतखोरी से सख्त नफरत है.
लड़के के लिए शादी का रिश्ता आया तो माँ बाप का खुश होना लाजमी था. उनको लड़की पसंद थी तो उन्होंने अपने बेटे सिद्धांत से शाम को इसका जिक्र किया. सिद्धांत को भी शादी करने में कोई आपत्ति नहीं थी और अपने माँ बाप की ख़ुशी में ही वो अपनी ख़ुशी समझता था. सिद्धांत ने लड़की वालों के घर जाकर लड़की देखने के लिए हामी भर दी.
सिद्धांत अपने माता-पिता के साथ अगले रोज़ लड़की देखने के लिए गया. लड़की वालों के यहाँ पहुंचे तो वहाँ बड़ी आव भगत हुई. आपस में जमाने भर की बातें हुईं. लड़की के पिताजी और मामा जी बार बार सिद्धांत से उसके डिपार्टमेन्ट के काम काज के बारे में पूँछ रहे थे.
उनका मकसद काम काज के बारे में जानने से नहीं था...उनका मतलब इस बात से था कि आखिर वहाँ ऊपरी कमाई का जरिया क्या है और वहाँ कितनी कमाई होती है. सिद्धांत ने सब कुछ भाँपते हुए पहले से ही सब कुछ साफ़ कर लेना जरूरी समझा. उसने कहा कि वह लड़की से अकेले में बात करना चाहता है. लड़की वालों ने भी हामी भर दी.
अब सिद्धांत और लड़की दोनों कमरे में अकेले थे. सिद्धांत ने कुछ अपने बारे में बताया और कुछ उसके बारे में जाना और उसके बाद कहा देखिए आप मुझे पसंद हैं लेकिन मैं पहले से ही सब कुछ साफ़ कर देना चाहता हूँ कि पहली बात तो यह कि मुझे दहेज़ नहीं चाहिए और मैं आपसे यह जानना चाहता हूँ कि क्या आप 12 हज़ार रुपये में घर का खर्च चला लेंगी. क्योंकि अगर आपने और आपके घर वालों ने यह सपने बुन रखे हों कि मैं जिस जगह काम करता हूँ वहाँ ऊपरी कमाई के बहुत विकल्प हैं तो मैं आपको बता दूं कि आप गलत इंसान के बारे में सोच रहे हैं.
मेरे लिए मेरी नौकरी का मतलब वो 12 हज़ार रुपये ही हैं और इससे ज्यादा के बारे में सोचकर अगर आप शादी करती हैं तो ये आपकी भूल होगी. अगर आप यह सब जानते हुए मुझसे शादी करती हैं तो मैं आपसे वादा करता हूँ कि मैं आपको कभी दुखी नहीं रखूँगा और आप मेरे साथ खुश रहेंगी. इन सब बातों के हो जाने के बाद सिद्धांत अपने माता पिता के साथ कुछ समय बाद अपने घर को लौट आया.
उधर लड़की ने अपने घर वालों से सारी कहानी बता दी. लड़की वालों का फोन सिद्धांत के पिताजी को आया और उन्होंने काफी देर बात करने के बाद कहा कि हमारी लड़की और आपके लड़के की नहीं निभ पाएगी. अतः इस शादी का ना होना ही बेहतर है.
समय बीत गया. बात आई गयी हो गयी. दोनों एक ही शहर में रहने वाले लोग थे तो दोनों का एक दूसरे से सामना होना लाजमी है. एक रोज़ जब सिद्धांत बस से सफ़र कर रहा था तभी उसकी नज़र रोड के दूसरी तरफ गयी जहाँ कुछ लड़के एक लड़की को छेड़ रहे थे और लड़की के विद्रोह करने पर उन्होंने लड़की को चाकू मार दिया था. लड़की रोड पर पड़ी थी और चारों तरफ लोग खड़े तमाशा देख रहे थे. चन्द लोग कह रहे थे कि भाई इसको अस्पताल ले जाओ कोई. कुछ देख कर अफ़सोस जता रहे थे और आगे बढ़ते जा रहे थे.
सिद्धांत बस से जल्दी से उतर कर उस पार पहुंचा और करीब जाकर देखा तो उसे लड़की का चेहरा याद आ गया. उसने जल्दी से उसे उठाया और अस्पताल लेकर गया. लड़की रास्ते भर बेहोश रही. अस्पताल पहुँच कर उसका इलाज हुआ और आराम करने के बाद जब उसे होश आया तो सिद्धांत उसके सामने था. अब वो नींद से जाग चुकी थी. वो नींद जिसमें वो बचपन से थी और उसकी आँखों से आंसू छलक आये. तब तक उसके माता पिता भी वहाँ आ पहुंचे जिनको सिद्धांत ने खबर कर दी थी. अब उसे समझ आ चुका था कि किसी में इंसानियत का होने का मतलब ये नहीं कि वो इस दुनिया में आठवाँ अजूबा है. फर्क सिर्फ इतना है कि कोई सतही तौर पर इंसान होता है और कोई गहरे तक इंसान होता है. माँ बाप के आ जाने पर सिद्धांत वहाँ से चला आया. उसके माँ बाप ने सिद्धांत को धन्यवाद दिया और उनके भी आंसू निकल आये.
करीब 15 दिन बाद लड़की के माँ बाप सिद्धांत के घर आये और उन्होंने सिद्धांत से अपनी लड़की की शादी की इच्छा जताई. सिद्धांत वहीँ मौजूद था. सिद्धांत ने कहा कि मुझे कोई आपत्ति नहीं लेकिन पहले आप अपनी लड़की से तो पूँछ लें. उन्होंने कहाँ कि बेटा अब हमें पता चल चुका है कि तुम सबसे अलग क्यों हो और उसने ही हमें यहाँ भेजा है. वो खुद ही तुमसे शादी करना चाहती है.
29 comments:
भाव समेटे हुए सुंदर कहानी..
बधाई..
बेहद सजीदा कहानी .........जो गहरे उतारती है ......बहुत ही सुन्दर
सैधांतिक कहानी है,इसका मूल्य अनमोल है
यथार्थ को समेटे हुये है कहानी………………बेशक इसे लोग ना समझें मगर सिद्धान्त आज भी ज़िन्दा है।
वह भी एक इंसान था और सच बोलना जानता था, मगर इस दुनिया ने उसे इंसान बने रहने नहीं दिया ! मार्मिक कहानी !
प्रेरणादाई कहानी
मार्मिक कहानी .nice
achhayee ki jeet.....pyar bhari kahani....
बहुत ही सुन्दर व मार्मिक रचना। बहुत खुब
बहुत ही भावःपूर्ण मार्मिक कहानी .
बहुत कुछ कहती हुई एक अच्छी कहानी।
क्या कहने
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Tech Prevue: तकनीक दृष्टा
naam karm ko sarthak karte hue se lage...
"siddhant"
.....
badhiya likhte hain ji aap....
...aur aapse to raavita purana wala hai.Agar aapko yaad ho.
raavita ka matlab nahi samjha mein darpan ji
बेहतरीन तरीक़े से अपनी बात रखती है कहनी।
दर्पण जी 'राब्ता' कहना चाह रहे हैं। जिसका मतलब है संबंध, लगाव...
Koi satahi taur par insaan hota hai koi gahre tak insaan hota hai......
Sakaratmak va uchch soch ko pratibimbit karti kahani !!
गजब भाई..बहुत बढ़िया लगा!!
Very beautiful story..liked the lines'koi satahi taur par insan hota hain koi gahre tak" very nice name too, Sidhant!
बहुत ख़ूबसूरत कहानी लिखी है।
अच्छी कहानी...
ab sale kya likh raha hai......
बहुत सुंदर कहानी .. दुनिया में आज भी ऐसे लोगों की कमी नहीं .. पर उनको सम्मान नहीं मिल पाता !!
एक प्रेरणाप्रद कहानी के लिये बहुत बहुत बधाई। बहुत सुन्दर है और सब के लिये एक संदेश देती हुई आभार्
प्रेरणादायी,बहुत ही सुन्दर कहानी...
PRERNA SE BHARI ... SUNDAR SANDESH DETI LAJAWAAB KAHAANI HAI ... HAMESHA KI TARAH AAPKE ANDAAJ KI ...
लेखनी प्रभावित करती है !
Insaaniyat ab bhi kahin zinda hai par......
bahut hi bhaavpoorn kahani
Meri likhi hui kitaab haath lag gayi akhir tere... ja je le apni zindgi
अच्छा लिखा है अनिल...बहुत अच्छा लिखा है।
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