रूठ ना जाना तुमसे कहूँ तो
>> 28 June 2009
मेरी जिंदगी,
आज जब शाम हो चली है...बादलों ने अपना रुख मोड़ लिया है...चारों ओर काली घटाएं छा गयी हैं...और इस वीराने में तुम्हारी याद ने दस्तक दे दी है....हाँ एक यही तो है जो हरदम मेरे साथ रहती हैं...तुम्हारी यादें...तुम्हारी बातें...जो हँसाती भी है और आँखों में आंसू भी दे जाती हैं...तुम्हारा मुझसे रूठ कर चले जाना ठीक साँसों के बिना जी ना पाने जैसा है....जब तुम इतने दिनों बाद मुझसे रूठ कर गयी तो हर पल ही ये एहसास होता है कि तुम्हारे बिना जीना मुमकिन ही नहीं...
इस घर में कुछ भी ऐसा नहीं जिससे तुम्हारी याद ना जुडी हो...वो बाहर का लॉन, वो कॉफी का कप, वो सोफा, वो बिस्तर, रसोई...हर जगह, हर चीज़ पर तुम्हारा जैसे स्पर्श है...जो हर घडी तुम्हारी याद दिलाता है...बिस्तर की सिलवटें ठीक वैसे की वैसी ही हैं...मैंने उन्हें वैसा ही रख छोडा है...उनसे ढेर सारी यादें जो जुडी हैं...वो तुम्हारा मेरे सीने पर सिर रखकर ढेर सारी बातें करना...अपने अरमानों, अपने सपनो की बातें करना...मेरा तुम्हारे बालों को सहलाना...सब कुछ याद आता है...कहने को तो अभी चन्द रोज़ हुए हैं लेकिन ये एक युग बीतने जैसा है
जब रसोई में तुम मेरे लिए पूरे मन से कुछ पकाया करती थी और फिर पीछे से जाकर जब मैं तुम्हें अपनी बाहों में भर लेता और तुम्हारा कहना कि देखो वो जल जायेगा....मैं तुम्हें आटा लगा दूँगी....वो लिए हुए ढेर सारे चुम्बन....वो तुम्हारा कोमल स्पर्श....तुम्हारे चले जाने पर सब रह रहकर याद आते हैं
बाहरी लॉन में बैठ तुम्हारे साथ कॉफी के घूट के साथ की वो ढेर सारी गपशप...वो तुम्हारा मुस्कुराना...बरसती हुई बूंदों तले तुम्हारा भीगना...मुझे अपने पास खींच लेना...दूर के सुहाने नजारों को दिखाना...सब जैसे मेरे ख्यालों में, यादों में बस गया है...और एक तुम हो जो दूर जाकर बैठी हो....हाँ गलती तो मेरी ही है.....जो तुम्हें जाने दिया ...
तुम रूठ कर गयी हो तब से एक पल के लिए भी मुझे राहत नहीं...न कॉफी के घूट हैं...न कोमल स्पर्श...ना वो ढेर सारी बातें...ना गपशप...ना वो अब नजारे अच्छे लगते....बिस्तर पर नीद नहीं आती...चहलकदमी करता हुआ रात गुजार देता हूँ....कमरे में सिगरेट की तमाम खाली डिब्बियां इकट्ठी हो चली हैं....तुम्हारी एक जगह ठीक से लगायी हुई किताबों को अब इधर उधर पटकने में मज़ा नहीं आता...इतने रोज़ से हर किताब पलट कर देख चूका हूँ किसी में जी नहीं लगता...
तुम हो कि बस चली गयी रूठकर मुझसे...जानती हो कि मुझे ठीक से मनाना भी नहीं आता...आज जब तुम मेरे पास नहीं हो तो लगता है कि कहीं ये साँसे भी साथ ना छोड़ जाएँ...बस एक ही बात जानी और समझी है कि तुम नहीं तो कुछ भी नहीं....तुम्हारे बिना जीना मुमकिन नहीं...
हाँ अब इस अधूरेपन के साथ जीना मुमकिन नहीं...इस एहसास के साथ कि तुम अपने इस चाहने वाले नादान, नासमझ, बुद्धू को माफ़ करोगी और जल्द से जल्द वापस आकर तुम्हारे अपने सब कुछ को संभालोगी...इस वीराने को ख़त्म करोगी और मुझे एक और मौका दोगी...ताकि मैं तुम्हें जता सकूं कि इस दिल में तुम्हारे लिए कितना प्यार है...मेरी जिंदगी में तुम क्या हो....मेरे लिए तुम क्या हो...मैं बाहर देख रहा हूँ बारिश की बूंदे अपने बाहरी लॉन की दीवार को भिगो रही हैं...और मेरे आँसुओं की बारिश इस ख़त को....
"तुम्हारा अपना...तुम बिन अधूरा"
40 comments:
क्या ख़त लिखते हो मियाँ....अगर आपकी बीवी होती तो सचुमुच दौड़ती हुई आपके पास आती....बड़े ही रोमांटिक अंदाज हैं आपके
आपको पढना ऐसा लगता है जैसे गर्मी में ठंडी ठंडी हवा बह रही हो और हमें आनंद आ रहा हो...राहत मिलती है....बेहतरीन लिखा है जी
आप दोनों का तहे दिल से शुक्रिया....शुक्रिया ...शुक्रिया
bahut suner Anil! zindgi ki choti-choti baton ko kitni sahajta se likh dete hain aap
mere paas sirf do shabd hain :
HAARDIK BADHAAI !
सच में मुलायमियत से लिखी प्रविष्टि । आभार ।
anil जी..........itnaa लाजवाब लिखा है मन kartaa है अपनी patni को ऐसे daaylog maaroo...... बहुत khob
आपकी कहानी लिखते नहीं है...उसे शिद्दत से महसूस कराते है.
पढ़ कर अच्छा लगा...
आप कुश और अनुराग जी की पार्टी में शामिल होकर रहोगे :)
बहुत बढिया लिखा है।बधाई।
लगता है फरीदाबाद में कुछ बारिश हुई है आज, जब ही रोमाटिंक पोस्ट लिख डाली। वाह मजा आ गया। वैसे फिर तो आँखे बदं करके हरी मिर्च भी खिलाई होगी उन्होंने। है ना अनिल जी :-)
सचमुच कमाल है
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चाँद, बादल और शाम । गुलाबी कोंपलें
क्या बात है ..बढ़िया है जी ...
apka blog yahi sochker khola tha ki kuch mansik khurak milegi. kya likhate hai aap bus man tript ho jata hai.
bahut sunder.
खत नही ये तो किताब है
बहता हुआ जैसे आब है
बहुत खूब. यह तो कविता है.
बधाई
यह सुन्दर पोस्ट पढ़ जरूर वापस आयेंगी वो।
बहुत सुन्दर.. बधाई.
बहुत सुन्दर.. बधाई.
अगर आप को तरीका आ जाये के कैसे रूठों को मनाया जाता है तो ज़रूर शेयर करे..हमे भी सीखना हे यह...आप जिस सरलता से दिल की गहराई तक पहुँच जाते है उस का ज़बाब नहीं. पता ही नहीं चलता के आप अपनी बात कह रहे है जा मेरे दिल की बात को लिख कर एक शकल दे रहे हैं. लिखना मत छोडे..
आशु
aap etna achha likhte ho....fir bhi ruth gyee...?
नाजुक अहसासों में डूबा ख़त
अच्छी लगी आपकी यह पोस्ट !
आज की आवाज
आपने जाने कहाँ दिया है ??दिल में बसा के रखा है उन्हें !!!!
इस भाव में आप हमेशा ही अद्भुत लिखतें हैं !
आप की ये कहानी पढ़कर गुलजार की एक नज्म लिख रही हूँ ...देखिये कैसा संयोग है ...
तकिये पे तेरे सर का वो टिप्पा है
चादर पर तेरे जिस्म की वो सौंधी सी खुशबू है
हाथों मैं महकता है ,तेरे चेहरे का एहसास
माथे पे तेरे होटों का की मोहर लगी है ॥
तू इतना करीब है की ,तुझे देखूं तो कैसे...
थोडी सी अलग हो तो ....तो तेरे चेहरे को देखूं ...
अच्छा लिखा है आपने .....बधाई ..
अनिल मैं इत्तेफाक की किश्तें पढ़ रहा था तो मुझे अपना वो कमेन्ट याद आ गया जो कभी रेलवे प्लेटफॉर्म के किसी दृश्य वाली पोस्ट किया था. इस उम्र में ये समझ डेवलप हो रही है तो सोचता हूँ आगे कोई दिन इस लेखनी से उजले-उजले से शब्द मुस्कुराते हुए उतरेंगे, दिल के पार. अब पोस्ट में पूरा मौसम उतर आता है जो कई जगह हैरां करता है.
यार दिल खोल के रख दिया है तुमने तो !
बहुत ही इमोशनल, रुमाल ही भिगो दिया आपने तो :) ..आभार
19 के बाद रोज आपके ब्लोग पर दस्तक दी तो समझ गयी कि इतनी गैरहाजरी क्यों बहुत बडिया रचना ले कर आये हैण अपकी रचना पढना तो जैसे झरने के साथ 2 बहने जैसा होता है बधाई अरे बीवी के रूठने की नहीं वो ये रचना पढ कर दौडी चली आयेगी शुभकामनायेण्
very beautiful and very vivid. Liked the post a lot.
बहुत ही सुन्दर शब्दों से संजोया हुआ लेखन, बधाई
आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया....
निर्मला जी मैं घर गया हुआ था उन दिनों ...और अभी तक मेरी शादी नहीं हुई है :)
Beautifully written.. Is this a continuation of ur last shweta post?? just an after -thought!! ;)
These romantic stories of urs are making my list of Mr. Right's qualities longer and longer .. lol :P
But still keep them coming.. :-)
Cheers..
bahut sundar ...dil kush ho gaya wah bahut badhai...vakai unke bina sab soona soona hai...kahin kisi me dil nahin lagta...
कुछ विलंब से आ रहा हूँ....
इस रूमानी खत को पढ़ कर मन कह रहा है कि थोड़ा सा रूमानी हो जायें...
नयी तस्वीर खूब फब रही है ब्लौग पर!
अनिल जी, बहुत शानदार और उम्दा लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है! लिखते रहिये!
No Preposterous Girl this is not a continuation of last Shweta Post...
This Post is different....ANd Thanks for your sweet comment
गौतम जी आपके दिल को खुश करने वाली टिपण्णी का शुक्रिया.... :)
शुक्रिया बबली जी और आवाज़ दो हमको जी आपको
बहुत बढ़िया पोस्ट... आपका writing style तो बस कमाल है अनिल जी... पढ़ कर लगा मानो कोई scene आखों के सामने चल रहा हो...
keep writing such wonderful stories :)
die hard romantic....
बहुत शानदार और उम्दा लिखा है...
bhai.. bahot achha likhte ho.. :)
khas kar tumhaara aakhri line.. awesome yaar..
good... really good.. :)
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