और मैं दोस्तों के षडयंत्र का शिकार हो गया
>> 05 February 2009
चादर तान मैं बिस्तर तोड़ रहा था .... टन - टन - टन - टन .....उफ्फ सोते वक्त एस. एम.एस. की घंटी मुझे नीद की सौतन जान पड़ती है ....रहा नही गया ....पास पड़े मोबाइल को खोल एस. एम. एस. देखा ... हाय अनिल , हाउ आर यू , गुड मोर्निंग अनिल जी ....एक गुमनाम संदेश प्राप्त हुआ ...
गुमनाम संदेश की ख़ास बात होती है वो नाम जानने की ललक भी अपने साथ लेकर आता है ....फिर भी मैंने नज़र अंदाज़ किया और सो गया ...उस गुमनाम मोबाइल नंबर से ३-४ दिन तक एस. एम.एस. आते रहे ...आख़िर मैं भी इंसान हूँ रहा ना गया ....गुमनाम को कॉल किया ....कॉल रिसीव ना किया गया ...
गुस्सा चढ़ा मोबाइल रख दिया ....खामखाँ पता नही क्यों दिमाग ख़राब करते हैं लोग .... क्या हुआ ? रूम पार्टनर इंदरजीत बोला ... अरे यार ३-४ दिनों से एस. एम.एस. कर रहा है कोई गुमनाम नंबर से ...कॉल करने पर रिसीव नही करता ....
एस. एम.एस. के स्वरुप अब बदलने लगे ..."अनिल जी आप मुझे अच्छे लगते हैं ...मैं आपको पसंद करती हूँ ....मुझे पूरा यकीन था कि हम साथ किराए पर रह रहे एम.सी.ए. के १६ लड़कों मैं से किसी की कारिस्तानी है .....आपस में बेवकूफ बनाना , मजाक करना उन दिनों शौक हुआ करता था ...
उस गुमनाम नंबर और उन एस.एम.एस. की चर्चा आपस में १६ -१७ लड़कों में हो गयी.....सही है यार तेरी तो निकल पड़ी ...तेरी तो किस्मत सही है ....बैठे बिठाये गर्ल फ्रेंड मिल गयी ...पर हो कौन सकती है ? .....ये बातें करते वो सब ....और मैं हँसी में टाल देता ....कमीनो बता दो कि किस ने नया सिम लिया है ...कौन बेवकूफ बना रहा है ....पर मजाल है इस बात पर भी किसी के चेहरे पर शिकन तक आयी हो ....अरे यार क्या बात कर रहा है ...हम सब क्यों करेंगे ऐसा ...
गुमनाम नंबर पर कॉल करो तो रिसीव न करे ...और एस.एम.एस. का जवाब दे कि मैं तुमसे बहुत जल्द मिलूँगी ...तभी सारी बातें पूँछ लेना ...पर मैं नज़र अंदाज़ करता गया ....उस नंबर के बारे में अपनी क्लास के सभी ४७ लड़कों से पूँछताछ की ... किसी को कुछ नही पता ....साथ रहने वाले १६-१७ लड़कों में से जिन पर ज्यादा शक था उन से गहरी पूँछताछ की गयी ...लेकिन उन्होंने उतनी ही गहराई से जवाब दिया ...नही हम नही हैं ....
१५ दिन हो गए .....ये खेल चलते चलते ...रहा ना गया क्लास की लड़कियों से फ़ोन करके पूँछा ....नही हमे नही पता नही जानते ....उनसे ये जवाब मिला ..... उन्होंने उल्टा सवाल दाग दिया ...पर माजरा क्या है ....उन्हें माजरा बताया गया ..... कहीं से कोई सुराग नही मिल रहा था उस नंबर का ...फिर भी मुझे यकीन था कि ये सब साथ रहने वाले १६ लड़कों में से किसी की कारिस्तानी है ....
पता नही मेरे पीछे पींछे क्या खेल खेला जा रहा था .....अगले दिन क्लास की लड़की का फ़ोन आया कि वो उस नंबर को जानती है ...वो एक लड़की का नंबर है ....मैंने पूँछा कौन हैं ? ...सॉरी बताने से मना किया है ....साथ खड़े रूम पार्टनर इंदरजीत ने फ़ोन लिया ...पूँछा ...कौन है ?बी.टेक. की है या एम.सी.ए. की ....नही एम.सी.ए. की नही है .....
धीरे धीरे पूरे के पूरे १६-१७ लड़के मेरे कमरे में आ गए ..... ओये बल्ले बल्ले ....मजे आ गए अब तो ....अब तो बॉय फ्रेंड बन गया ....काश हमे भी कोई चाहता .....हमे भी कोई एस.एम.एस. करता ....वगैरह वगैरह ....जो जितना बोल सकता था बोला ....ट्रीट ट्रीट ....अब तो अनिल को ट्रीट देनी पड़ेगी ...और जबरन मुझे पकड़ की में ले गए और और अपने अपने पेट की पूरी हसरतें निकाली ..........और मेरे पर्स को हलाल कर दिया ....
आज शाम को ७ बजे फलां रेस्टोरेंट में आ जाना में आप से मिलना चाहती हूँ ....ये गुमनाम नंबर से एस.एम.एस. आया .....लड़कों ने देखा ...जा मिल ले भाई ....पता तो चले कौन है ? शाम को ४ बजे किसी दूसरे गुमनाम नंबर से कॉल आयी ....अभद्र व्यवहार और होस्टल में दी जाने वाली गलियों सहित जनाब बोल रहे थे ...तेरा जो चल रहा है वो सब पता चल गया है मुझे ....बहुत एस.एम.एस. ---एस.एम.एस. खेल रहा है .....साले वो मेरी बहन है ...तेरे हाथ पैर तो तोड़ने ही पड़ेंगे ....
मैं अवाक रह गया ये सब सुन .....अंत में मेरे मुंह से यही आवाज़ निकली ठीक है जो करना है कर लो ....और मैं चादर तान बिस्तर पर लेट गया .....बाकी के सभी लड़के एक एक कर मेरे कमरे में आने लगे ...कोई गिटार बजाता हुआ ...तो कोई गाना गाता हुआ .....कमरे में आकर पूरा डराने वाला माहौल पैदा करने लगे .... यार वो लड़की का भाई है ...पता नही कौन सी लड़की है और कौन सा भाई .....यार तू शाम को मिलने मत जाना अगर वो वहाँ आ गया तो खामखाँ मारपीट करे ....झगडा हो ....
मंगलवार होने के कारण मुझे शाम को मन्दिर जाना था ...जो मैं हर मंगलवार को जाता था ... यार एक दिन मन्दिर नही जायेगा तो क्या हो जाएगा ...एक लड़का बोला ....मैं किसी से डरता नही हूँ और मैंने ख़ुद कुछ नही किया समझे ....अब मैं देखना चाहता हूँ कि उस रेस्टोरेंट में कौन सा गुंडा आता है ....
शाम को मन्दिर गया और उसके बाद रेस्टोरेंट गया ....आधा घंटे इंतज़ार करने के बाद जब कोई नही आया ...ना लड़की और न उसका भाई तो मैंने रूम पार्टनर इंदरजीत को कॉल किया ....... और वहाँ के हालातों से अवगत कराया......तू यहाँ आ जा हम सब समझाते हैं .....तू गया ही क्यों ...वापस आ जा ....
उधर मेरे पीछे क्लास की लड़की को इंदरजीत ने फ़ोन किया कि बात कुछ ज्यादा ही बिगड़ गयी वो वहाँ रेस्टोरेंट पहुँच गया .....मजाक कुछ ज्यादा ही हो गया ....लड़की बोली कि में वहां जाती हूँ उसे समझाती हूँ सारी बात .... नही तुम रहने दो हम देख लेंगे .....लौटते वक्त रास्ते में धीरे धीरे मैं सब समझ गया की असली बात क्या है ...कोई एक नही सब मिलकर ये खेल खेल रहे थे .....असलियत पता चलती भी तो चलती कैसे ...
रूम पर आते ही सब मिलकर सॉरी सॉरी कहने लगे ....बात कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी .....हम सब मिलकर ही ये एस.एम.एस. कर रहे थे ....नई सिम ली थी जो सिर्फ़ एस.एम.एस. करने के वक्त ही मोबाइल में डाली जाती थी .... मैं चुपचाप वहाँ से उठा और अपनी क्लास के दूसरे दोस्तों के यहाँ चला गया .....
इंदरजीत और ३-४ लड़के वहां आ गए ...माफी मांगने लगे .....मैंने कोई बात नही की .....यार हमे नही पता था की बात इतनी सीरियस हो जायेगी .....यार तुम जो कर रहे थे करते रहते ...लड़की को शामिल करने की क्या जरूरत थी ....विश्वास जीतने के लिए ना.....यार इंदरजीत तुझसे तो ये उम्मीद नही थी .....तूने तो विश्वास तोडा है ..... डरा रहे हो धमका रहे हो ....मन्दिर जाने से मनाकर रहे हो ...झूठी कसमे खा रहे हो ....क्या ये मजाक है ? ....
सभी लड़के २ घंटे तक वही डेरा जमाये रहे मांफी मांगते रहे ....हम अपनी गलती मानते हैं ....कि हमे लड़की को शामिल नही करना चाहिए था ........उधर क्लास की लड़की का फ़ोन आया ...सॉरी बोलने लगी ....रोने लगी ....अपने इस हथियार का उपयोग लडकियां बहुत ज्यादा करती हैं ....मैंने समझाया कि मैं तुम्हे हमेशा अपनी बड़ी बहन की तरह समझता था ...और तुमने ऐसा किया ....
सभी सॉरी बोलते रहे ...पूरे २-३ दिन तक मैंने किसी से बात नही की .... अगली रात सब मुझे जबरन उठा कर केन्टीन ले गये .....वहाँ ले जाकर बिठा दिया ....बोलने लगे असली बात ये है कि तू इस लिए खफा है कि वो सचमुच लड़की नही थी .... यार देख लड़की तो हम दिला नही सकते ...हाँ खिला पिला सकते हैं ....और उनकी इन बातों पर मैं हँस पड़ा .....फिर वही गपशप ...फिर वही सिगरेट का धुंआ ....और अपने अपने पेट की हसरतें निकाली गयी .....पर इस बार मेरा पर्स हलाल नही हुआ ....
अब जब भी वो वाक्य याद आता है तो ...दोस्तों का साथ और होस्टल के दिन याद आ जाते हैं ...और हाँ उन सब का खुरापाती दिमाग भी मैं कभी नही भूलता
14 comments:
ha ha ha ha.. aapne to hansaa diya.. :)
पर उन दिनों मेरी बुरी हालत हो गयी थी ....इतना irritate होता था .एस.एम.एस. देख कर कि पूँछो मत .....पर दोस्त हैं तो कुछ किया भी नही जा सकता
haan ye baat bhi sach hai.. dosto ka kuchh kiya nahin ja sakta...
fursat mein kabhi yaha aayiye --
http://merastitva.blogspot.com
aapne mera english blog dekha..ye hindi wale ka link hai..http://merastitva.blogspot.com
guzaarish hai ki aap follow karein tatha apni tippniyo dwara kuchh seekhne ka mauka dein..
जी मैंने हिन्दी वाला ही सर्वप्रथम देखा था ...अंग्रेजी वाला आज देखा था ...उसके बाद पुनः हिन्दी का देखा ......और आपको टिपण्णी भी दी है
सचमुच विद्यार्थी जीवन ,जीवन की वह बगिया होती है,जिसकी यादें जीवन भर मन के कोनो को महकाती हैं....
इसे पढ़कर बस यही कहने का दिल करता है,
है क्या दिन थे,वो भी क्या दिन थे .........
पढ़कर हँसी आ गई ।
चलिए पेट की हसरत पूरी हुई बिना पर्स हलाल हुए ये बात बढ़िया रही । :)
आपने तो कालेज के दिनो की याद दिला दी।मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ था किसि दिन लिखूंगा फ़ुरसत से।आपने लिखा बहुत बढिया है,बधाई आपको।
गजब भाई गजब.. छा गये जी आप तो..
तो आप एम.सी.ए. के विद्यार्थी रह चुके हैं.. हम भी उसी जमात में आते हैं.. और मेरे पास भी आपके जैसा ही एक किस्सा है मगर मेरा नहीं, मेरे एक मित्र का..
जल्द ही सुनाऊंगा.. :)
हमे आपके किस्से का इंतज़ार रहेगा महोदय .......
ye sari khurafatein hi to hostel life me rang bharti hain. badhiya kissa likha aapne :)
lolzz....aap ne hame hamare collge ke din yaad dila diye...
Oye, ye sach hai ya aive hi?????
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