हर्षित मन है कितना मेरा
>> 09 February 2009
हर्षित मन है कितना मेरा
तुम्हारी ही सोच मैं कितना श्रंखलित है
हर पल मैं समझाऊँ इसको
फिर भी ये हठ करता है
कितना भी दूर ले जाऊँ इसको
तुम्हारे ही पास भटकता है
पल पल मैं समझाऊँ इसको
फिर भी याद तुम्हे ही करता है
कब हो जाओ दूर तुम मुझसे
इससे ये क्यों डरता है
ऐसा क्या है बीच तुम्हारे और मेरे
जो नही ये मन संभलता है
पुलकित मन की व्यथा
कैसे आज बताऊं तुमको
हर पल में ही तुम्हे सोचता
कैसे आज बहलाऊँ इसको
कुछ तो है अनजान सा रिश्ता
कुछ तो विशेष है इसमे जो
तोड़े से जो ना टूटे
अनोखा है इसमे वो
हर पल करता ये तुम्हारी कल्पना
निरुद्देश्य ही नही है ये
कुछ तो है प्यारा सा हम में
कैसे मैं बतलाऊँ ये
18 comments:
अपने प्रेमी या प्रेयसी के बारे में सोचकर खुश होना और उसके बारे में सोचते रहना .....बहुत सुंदर लिखा है आपने ...आप तारीफ़ के हकदार हैं
और हाँ आपकी कविता हो या कोई लेख ...बहुत ही रोचकता से भरी होती है ....
हर्षित मन कि व्यथा ...आपने बहुत खूब लिखी है अपने लफ्जों में .....बहुत सुंदर
पुलकित मन की व्यथा, वाह भाई वाह, बहुत ख़ूब!
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चाँद, बादल और शाम
अच्छी रचना .............प्रियतमा की मोहक यादें समेटे
Bahut achchhi soch ke malik hain aap. isko hamesha banaye rakhe.Badhai ho.
कई दिनों से पढ रही हूं आपको .....अच्छा लिखते हैं आप ।
takniki kaushal ke saath sahityik nipunta ka gajab ka sangam.
तुम्हारी दोनों पोस्ट एक साथ पढ़ी....आज कल माहोल खासा रोमांटिक हो रहा है....लगता है फरवरी का असर है....अच्छी कविता कही है दोस्त.
बहुत सुंदर रूमानी एहसास लिखे हैं
अनुराग जी रूमानियत तो कभी भी छा सकती है ... :) :)
हाँ कभी कभी मौसम अपना असर जरूर छोड़ सकता है :) :)
सुनील जी , मनोरमा जी , विनय जी , दिगंबर जी , प्रेम जी , संगीता जी , अनुराग जी और रंजना जी आप सभी का शुक्रिया .....पढने के लिए और अपने विचार बयां करने के लिए
अनिल जी,बहुत ही सुंदरता से सुकोमल भावों को अभिव्यक्ति दी है आपने.
अन्यथा न लें....मुझे आपके लेखन में गेयता की अपार सम्भावनाये दिखती हैं.इस हेतु सलाह देने की धृष्टता कर रही हूँ.....
कविता के भाव बड़े ही सुंदर हैं,थोड़ा सा और प्रयास करेंगे तो इसकी प्रवाहमयता/गेयता और भी उत्कृष्ट हो जायेगी......
रंजना जी आपके सुझाव का शुक्रिया ....मैं अपनी रचनाओं में आगे से अपनी पूरी कोशिश करूँगा ...कि बेहतर कर सकूँगा ....आपका तो हक़ बनता है कि बेहतरी के लिये सुझाव देती रहें .....
Bahut Khoobsurat Rachna.. Bahut accha likha hai aapne..
wah anil ji.. aapne to samaa baandh diya.. bahut sundar..
शिखा जी और काजल जी आप दोनों का टिप्पणी देने के लिए शुक्रिया
aap ke lie comment likhna aisa lagta hai ki jaisi kisi sagar me ek paani ki bund...pr ha apne pyaar ke bare me sochna sachmuch achha lagta hai....
रोमांचित करती कविता । बहुत सुन्दर । कुछ जगह वर्तनी की अशुद्धियां नजर आयी…
तोड से जो ना टूटे (तोड़े से जो ना टूटे)
कुछ तो है प्यारा सा हम मैं (कुछ तो है प्यारा सा हम में)
धृष्टता के लिये क्षमा करें और कृप्या अन्यथा न ले । आभारी
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