आओ जाने मोहब्बत में ऐसा भी होता है ( हास्य व्यंग्य)
>> 23 February 2009
' मोहब्बत ' नाम सामने आते ही दिमाग में ख़ुद ब ख़ुद कुछ चलने लगता है ..... या तो नकारात्मक या सकारात्मक .... जिन्होंने चोट खायी वो जल भुन जाते होंगे और जो इसमे पड़े हुए हैं ...उन्हें ये ऐसी लगती होगी जैसे कहावत है "गूंगे का गुण अर्थात गुण का स्वाद वो लेता है पर वो बता नही सकता कि इसमे क्या आनन्द है "
आओ चलो कुछ किस्सों से रूबरू होते हैं कि उन पर क्या गुजरी ....
वाक्य :
हमारे एक दोस्त हैं एक समय में उनका इश्क अपने चरम पर था ....मतलब मोहब्बत में वो एक कीर्तमान हासिल कर चुके थे ...बस ट्राफी नही मिली थी ..... कहते हैं कि लोग मोहब्बत में हर मुश्किल, हर हालात से लड़ते हुए आगे बढ़ जाते हैं (मैं नही कहता :) ....) ....अब हमारे इन दोस्त को अपनी महबूबा के जन्मदिन पर मिलने जाना था ...दूर दूसरे शहर .....वो प्रण कर चुके थे कि चाहे जो हो जाये वो महबूबा से मिलने जायेंगे ही ...दुनिया की कोई ताकत उन्हें नही रोक सकती.... उनके प्रण के आगे हमारी क्या बिसात ....
कुछ रुपयों की कमी पड़ रही थी ....तो उन्होंने हम से कुछ रुपये लिए ...वैसे हमसे साथ चलने को भी कहा लेकिन हमें अगले दिन कुछ जरूरी काम था ....इस कारण हम उनकी बारात में शामिल ना हो सके ....पता नही क्यों मगर उन्हें क्या सूझा ....वो अपने अन्य दो दोस्तों को साथ लेकर चल दिये...उनके दोस्तों ने पिछले कई महीनो से उन से अनुनय विनय किया था .... कि हमें भी भाभी से मिलना है ...अब भइया भी कैसे पीछे रहते ....वो अपने इन दो बारातियों को साथ लेकर जाने के लिए राजी हो गये
घर पर कुछ बहाना बना ....रात १२ -१ बजे के आस पास आगरा से उनका चलना तय हुआ ..... अब कहते हैं ना कि कभी कभी बारात ले जाना महंगा पड़ जाता है दूल्हे को ....खैर उनके दिल में ना जाने क्या ख्याल आया वो लोग ट्रक में लद लिये.....ट्रक वाले ने भी भल मंसायी दिखाई और अपने अन्य सामान के साथ इन्हे भी लाद लिया
अब रात का समय " सोचा ना था " कि ट्रक अँधा धुंध रफ़्तार से चलाकर उनके महबूबा के शहर में ला फेंकेगा ...वो भी इतनी जल्दी ....अब ट्रक वाले ने इन्हे ना जाने किस मोड़ पर छोड़ा ...रात को ३ बजे ...इन्हे वो रास्ता ना सूझे ...जिसकी इन्हे पहचान थी .... वो अपनी महबूबा की तरफ़ जाने वाली गली के उस मोड़ को भूल गये
"इस मोड़ से आते हैं कुछ सुस्त कदम रस्ते" गाना उन्होंने बखूबी सुन रखा था ...पर ये नही सुना था कि इश्क की ये गली आज कहाँ ले जायेगी .... वो अपने दो बारातियों को साथ ले पैदल चल दिये ...रात का पहर .... सुनसान राहें .... ना घोड़ा, ना बैंड बाजा .... अरे कोई नही कोई नही ..... मतलब न कोई रिक्शा , ना कोई ऑटो .....तो भाई उन्होंने निर्णय लिया कि चलो ये रात पैदल चल किसी पड़ाव पर जाकर गुजरेगी .....
कुछ दूर चलना हुआ था .....उनके एक बाराती के पेट में कुछ हलचल हुई .....उन्होंने आनन-फानन में तय कर डाला कि रोड के एक किनारे पर झाडियों का सहारा लेंगे .... बस चलते चलते करीब ४ बजे का समय हो आया होगा .... उन्होंने अपने पेट को हल्का करने का मूड बना डाला .... झाडियों में घुस गये .... करीब की झाडी के पास पहले से कोई और अपने पेट का वजन हल्का कर रहा था .... थोड़े समय पश्चात् इन्होने उनसे पूंछा कि पानी मिलेगा क्या ....
उससे पहले उस आदमी का इन पर ध्यान नही गया था ....इनका ये कहना हुआ था ...उन्होंने अपनी टॉर्च का परीक्षण इन पर कर डाला .... चेहरे पर रौशनी डालते हुए बोले ...कौन हो ...यहाँ क्या कर रहे हो ...ये नौजवान मजाक के लहजे में बोले ...इत्ती देर से जो आप कर रहे थे वही .... वो बोले ये पानी रखा है जल्दी से बाहर आओ ....
बाहर दूल्हा (मेरा मित्र ) और उनका एक बाराती रोड पर पहले से बेसब्री से इन्तजार कर रहे थे .... वो आदमी बाहर रोड पर आया बोला ....कौन हो यहाँ क्या कर रहे हो ....अब दूल्हा ये कैसे कहे कि बारात चढाने आये हैं ....झूठ बोल दिया कि अपने एक रिश्तेदार के यहाँ पहली बार आये हैं ...दिल्ली बारात आई थी तो वहां से यहाँ आ गये ...पर रास्ता भटक गये .....उस आदमी ने शक की सुई घुमाई ....
तब तक पेट हल्का करके दूसरा बाराती भी आ गया ....अब तीनो दोस्त ...दूल्हा और उसके दो बाराती ....उस आदमी ने कहा पास ही चौकी है वहां चलो ..... इन तीनो का गला सूख गया .... पर हम लोग तो रिश्तेदारों के यहाँ आये थे ...आप हमारी तलाशी ले लो ... वो सब बाद में होता रहेगा ...जो कहना है साहब से कहना .....अब हरयाणा की पुलिस माल आता देख कहाँ किसी को ऐसे ही छोड़ने वाली है .....
मरता क्या नही करता ....अगर वहां से भागते तो आरोपी साबित होते ...बिना आरोप किए हुये.... तीनो चल दिये उस हवलदार के साथ .....जो बाद में पता चला चौकी जाकर कि ये हवलदार है ....अब तीनो क्या करते सच्चाई भी छुपानी है ...और पुलिस के हांथों से भी बचना है ...दूल्हे ने बाहर ही समझा दिया बारातियों को कि चाहे जो कुछ हो जाये मुंह नही खोलना...सच नही बताना कि लड़की से मिलने आये हैं ....
भाई कोतवाल साहब भूखे शेर की तरफ़ इन पर लपके ....सारी गर्मजोशी दिखाते हुए पूंछा कि कहाँ से आये हो ...क्या करते हो ...किसके यहाँ आये थे ...क्यों आये थे .... इतनी रात क्या कर रहे हो .... तीनो ने वही नापा तुला जवाब दिया ....हवालदार बोला ...साहब ये ऐसे नही बोलेंगे सच ...इन्हे अलग अलग ले जाकर गर्म करना पड़ेगा तभी मुंह खोलेंगे ....अब दूल्हा तो दूल्हा ...बाराती भी सकते में ...कहाँ फंसे ....दूल्हा सोचे कि ये मोहब्बत तो महँगी पड़ रही है ...बाराती सोचे कि ये अच्छी बारात आये ...भाभी के चक्कर में जेल की चक्की ना पीसनी पड़ जाये ....
तीनो को अलग अलग ले जाकर डांट डपट कर पूँछा गया ....तलाशी ली गई ...कोतवाल पहले ही समझ गया था कि ये शरीफ हैं ....पर उसे कमाई होती दिखाई दे रही थी ....लेकिन फिर भी उन तीनो की बस मार नही लगायी बाकी सब कुछ किया ....
ये सब होते होते सुबह के ५-६ बज चुके थे ...दूल्हे के एक दोस्त के रिश्तेदार इसी शहर में रहते थे .... उसका माथा ठनका ....सोचा अब उन्ही का सहारा है ...अब शायद वही बचा पाएंगे .....वो बाराती कोतवाल के पास गया ...बोला कि में अपने रिश्तेदार को यहाँ ले आता हूँ ...तब तो आप विश्वास करोगे .... कोतवाल पहले तो माना नही ..लेकिन फिर बोला ठीक है .... जाओ दो लोग जाओ और एक यहीं रहेगा ....जाओ लेकर आओ उन्हें .... वो बाराती उस दूल्हे को साथ ले अपने रिश्तेदार के यहाँ गया ...वहां भी सच तो बता नही सकते थे ...तो झूठ बोल दिया अपने रिश्ते में लगने वाले भाई से कि तीसरे लड़के के साथ उसकी होने वाली बीबी से मिलने आये थे ....
उनके भाई उनके साथ वहां चल दिये ...लेकिन ये बात उनके रिश्तेदार (बाराती के फूफा जी को) को भी पता चल गयी .... वो भी पीछे से वहां पहुँच गये .....वहां पहुँच ५-६ लप्पड़ उस लड़के में लगाये ..और उसके बाद उस दूल्हे के भी और उस दूसरे बाराती के भी .... लताडा सो अलग ...अब बात आई कोतवाल को समझाने की ..
लेकिन कोतवाल का पेट खाली था ...मुँह में पानी था .... आमदनी का सुबह सुबह जरिया दिखा .... वो बोले भाई इनका तो केस बनेगा .... रात को इस तरह घुमते पाये गये ....यहाँ के आस पास के सेक्टर की सुरक्षा का जिम्मा हमारा है ...कहीं कुछ हो जाता तो ....माथे तो हमारे मढ़ता ...... लाख समझाने पर भी कोतवाल ना माना ....बाहर आकर हवलदार से बात हुई .... हवलदार ने कहा ५ हज़ार रुपये लगेंगे .... तीनो के तब छूटेंगे .... रिश्तेदार मरते क्या ना करते .... बच्चो का सवाल ....पुलिस वालों को ४ हज़ार देकर मामला रफा दफा किया ....
बाद में दूल्हे की बाराती समेत बहुत छीछा लेथन हुई रिश्तेदार के घर जाकर ...तीनो सर झुकाए बस बातें सुन रहे थे ...और मन ही मन इस बारात जैसे दुस्वप्न पर अपने आंसू बहा रहे थे ...तीनो ने उन बुजुर्ग से माफ़ी मांगी ..वो ४ हज़ार रुपये वापस करने के लिये वादा कर ....वहां से वापस चल दिये ....उनके रिश्तेदार ने उस लड़के के घर पर फ़ोन कर सारी कहानी बताई .....राज खुला लेकिन झूठा ..तीनो अपनी जुबान बंद किये रहे ...दूल्हे को छोड़ बेचारा वो तीसरा लड़का बदनाम हुआ .... बाद में तीनो के घर मामला पहुँच गया ...लेकिन माफ़ी मँगाने पर जैसे तैसे मामला शांत हुआ ....ना तो दूल्हा मिल सका उस महबूबा से जन्म दिन पर और ना बाराती अपनी भाभी की सूरत देख पाये ...हाँ वो रात एक दुस्वपन की तरह उन्हें याद जरूर रहेगी .....
तो मोहब्बत में कभी कभी ऐसा भी हो जाता है ...जाने अनजाने ख़ुद तो फंसते ही हैं दूसरों को भी साथ ले डूबते हैं ....
लेकिन फिर भी वो कहते हैं ना ... "इश्क आग का दरिया है और उसमे तैर के जाना है " ये वाली लाइन वो दूसरों से बोल ऐसे हुए किसी वाक्ये को भूल जाना चाहते हैं
पिछला लेख : माँ फिर से मुझे अपना नन्हा मुन्हा बना लो ना
7 comments:
भाभी से मिलना तो बहुत महंगा पड़ गया ..... पुलिस ने भी खूब हत्थे चढाया .....और दूल्हे मियाँ के क्या कहने ....भाई मजा आ गया
बहुत बढिया लिखा...महा शिव रात्रि की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं..
रोचक संस्मरण.....
अच्छा लगा किस्सा ! "......", "महबूबा" ,'लप्पड़' जैसे शब्द उपयुक्त वातावरण बना रहे है !
बहुत ही बढिया किस्सा सुनाया.........
बहुत ही अच्छा संस्मरण. कई बातें सीधा दिल में उतरती हैं, ये भी उसमे से एक है.
ऐसी खुद्दारी किसे याद नही रहेगी..........
आपकी त्रिवेणी हमेशा की तरह अंजना एहसास लिए है, दिल को छूते हुवे
sach mein bhaabhi se milna mehenga pad gaya :)
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