माँ फिर से मुझे अपना नन्हा मुन्हा बना लो ना
>> 20 February 2009
हाँ माँ कहने को तो मैं अभी - अभी लौटा हूँ घर से ...पर तुम्हारा प्यार भरा नर्म स्पर्श अभी भी महसूस करता हूँ .....और वो तुम्हारी आँखों से ओझल ना हो जाने तक ...तुम्हे मेरा देखते रहना ....जब चलता हूँ घर से .... तो लगता है रुक जाऊँ , थम जाऊँ .....यहीं ठहर जाऊँ .....
और वो मेरे मना करने पर भी तुम्हारा मेरे बैग में चुपके से परांठे रख देना ....फिर देर रात को बिस्तर पर करवट बदलते हुये ना जाने क्यों ...विश्वास हो जाता है ख़ुद ब ख़ुद कि माँ ने कुछ रखा होगा ...फिर यूँ ही बैग को उलट पुलट करने लगता हूँ मैं ..... किताबों के दरमियान उन परांठों को पाकर .....दिल भर आता है .....वो मुझे उस पल सबसे प्यारे लगने लगते हैं .....उन्हें खाकर एक पल फिर से लगने लगता है ....कि जैसे माँ यहीं कहीं हो मेरे पास ....और प्यार से मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ फिरा रही हो ....और लोरी सुना रही हो ....कब नीद के आगोश में चला जाता हूँ पता ही नही चलता
रात जब तुम ख्वाबों में आयीं तो लगा यूँ कि जैसे मन की मुराद पूरी हो गयी हो ...एक बार फिर से तुम्हे गले लगाकर दिल को सुकून मिला ... देर शाम रसोई से निकल जब तुम मेरे पास आ ....पहला निवाला खिलाती हो ...वो मुझे सबसे प्यारा लगता है ....और पेट भर जाने पर भी जब तुम कहती हो बस एक और ....सच माँ बहुत याद आता है .....जब यहाँ दूर ख़ुद को तन्हा पाता हूँ ....हर बार पहले निवाले पर तुम याद आ जाती हो ....वही मुस्कुराता चेहरा ...और वही तुम्हारे हांथों में पहला निवाला
सच माँ जिंदगी में इस जीने की दौड़ में तुमसे कितना दूर कर दिया ...जब आँखें भर आती हैं ....तो तुम्हारे पास भाग आने को मन करता है ....दिल करता है फिर से वही सब जियूँ .....वो सार दिन खेलना ..तुम्हारे आँचल टले जिंदगी गुजारना .....तुम्हारा ऊँगली पकड़ मुझे स्कूल तक छोड़कर आना .....छुट्टी हो जाने पर वहीँ खड़े रहना इस विश्वास के साथ कि माँ आएगी मुझे ले जायेगी ....और फिर दूर तुम्हारा मुझे आते दिखाई देना ...और दिल ही दिल खुश होना ....
और वो फिर तुम्हारे हाँथों से खाना खाना ....जबरन दूध का गिलास लेकर तुम्हारा मेरे पास आना ..... पूरे दिन खेल में मस्त रहना .... पापा के डाँटने पर अपनी गोद में छुपा लेना ..... सच माँ सब कुछ पहले जैसा हो तो कितना अच्छा हो है ना ....ना मेरे घर से आने पर तुम उदास हो ....और ना मैं दूर जिंदगी की दौड़ लगाऊँ ....
सच माँ एक बार फिर से तुम्हारे आँचल की छत के तले .....प्यार की दीवारों के बीच ज़िन्दगी गुजारने को मिल जाए तो कितना सुखद हो ....मेरा रूठना , तुम्हारा मनाना .... पास आना ...सीने से लगाना ....
माँ अभी अभी फिर से तुम्हारे नर्म हाथों को महसूस किया मैंने ..... ऐसा लगा जैसे तुम इतने दूर से भी मेरे मन को सुन रही हो ...हमेशा की तरह
पिछला लेख : I hate you Dad
10 comments:
ए मां तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी?क्या होगी?
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सच माँ माँ होती है। मार्मिक पोस्ट।
सच मां जिन्दगी की इस भाग-दौर मैं तुमसे कितना दूर कर दिया है ....गहरी पोस्ट..बधाई,
aapne dil ko chhoo liya anil ji.. bahut khoob..
आप सचमुच बहुत भावुक कर देते हैं .....जिस तरह से आप अपने शब्दों को लेख में ढालते हैं .....जितनी मार्मिक रचना आप लिखते हैं वो बहुत प्यारा लगता है मुझे ..... आँसू ला देते हैं आप कभी कभी तो
दोनों होंठों के चुम्बन से उच्चारण होता है "माँ"
maa....yaani mamta,pyaar,khyaal,hausla,aashish.....wah hamesha saah hoti hai,kabhi kaur me,kabhi pratiksha me,kabhi udwignta me......
maa ki yaadon ko sahi saanche me dhalaa hai,bahut marmsparshi....
आपके प्रश्न के उत्तर में मै कहना चाहूँगा की इमेज का फॉर्मेट .jpeg (joint picture embedded graphics)होता है जो कि आप नेट पर और भी सभी जगह उपयोग कर सकते है! और दूसरा यह कि आप ख़ुद एक सॉफ्टवेर इंजिनियर है और आप जानते है कि कोई भी काम हो बिना सॉफ्टवेर के सम्भव नही है तो बिल्कुल वो एक सॉफ्टवेर है और जिसे हम डाउनलोड नही कर सकते मगर कही भी जहा अंतरजाल उपलब्ध हो और हमें फोटोशोप आदि से बचना हो वहा उपयोग कर सकते है!
आपके रेस्पोंस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.......
I think the best one ....
mother ke liye aapne bahut achchhi post likhi hai ...bilkul dil ke kareeb ....maa yaad aa gayi
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