आप, मैं और बैगपाइपर क्लब सोडा
>> 06 March 2009
यारों का यार किसे कहते हैं ये कोई मुझसे ना पूँछे .....क्योंकि मैं यही कहूँगा कि मुझे क्या पता ...... पर एक बात तो जो मैं कह सकता हूँ वो ये कि मेरा दोस्त मेरी जान है ......दोस्त किसे कहते हैं कोई पूँछेगा तो मैं यही कहूँगा कि .........
वो मुझे साइकिल पर बिठाकर ट्यूशन तक ले जाता था ...जब मुझे साइकिल चलाना नहीं आता था .... वो मेरे एक दिन स्कूल न जाने पर मेरे घर आकर मुझे देखने आता था .....कि कहीं मेरी तबियत ख़राब तो नहीं ..... वो मुझे तब से प्यार करता है जब मैं क्लास की भीड़ का एक हिस्सा हुआ करता था और वो मोनिटर ..... और वो तब मुझ पर फक्र करता था जब मैं क्लास का सबसे होशियार बच्चा हुआ करता था ....मैं क्लास टॉप किया करता था .... तब भी वो मुझे उसी तरह प्यार करता था ...मेरे साथ रहता था
वो ही था जो जब उसके घर खीर, पूडी, कचोडी बनती थी तो मुझे ख़ास तौर पर बुलाकर घर ले जाया करता था और फिर साइकिल से वापस घर छोड़ने आता था .....एक वही था जो मेरे दिल की हर बात जानता था ....एक वही था जो मुझसे आये दिन लड़ता रहता था ..... एक वही था जो मुझे सबसे प्यारा था ......एक वही था जो मेरी बचपन के एकतरफा प्यार के लिए मेरे साथ अपनी आँखें नाम किया करता था
मुझे याद है जब मैं आगरा से पिताजी के तबादले के बाद १२ वीं करके जा रहा था ....तब उसकी आँख भर आई थी ......उसने कहा था कि यार मेरी डायरी भर दे ..... सच बताऊँ मुझे उस पल समझ नहीं आ रहा था कि क्या लिखूँ.... उन दिनों मुझे पता भी नहीं था कि जो मैं लिख रहा हूँ उनका सही मायनों में अर्थ क्या है .....मैंने उसकी डायरी में शायद कुछ इस तरह लिखा था कि ...."तू दोस्त नहीं तू मेरी जान है, तेरे बिना मेरी ज़िन्दगी सूनी है, तू मेरी जिंदगी में सबसे ज्यादा मायने रखता है, दोस्त क्या होता है ये मैंने तुझ से जाना "
कभी फिर सोचा भी नहीं था कि जो लिखा हुआ है वो फिर कभी सामने आएगा .....फिर बीच बीच में जब कभी आगरा जाना होता मैं उससे मिलता ...वही प्यार , वही स्नेह .....हम फ़ोन पर भी बात करते ....उसने आगरा से स्नातक किया और मैंने फिरोजाबाद से ..... फिर उसने एम.बी.ए. में दाखिला ले लिया और मैंने एम.सी.ए. में
जिंदगी कब करवट लेती है कोई सोच भी नहीं सकता ....मैंने कमला नेहरु इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश ) से एम.सी.ए. कर रहा था ......अचानक से हामारे परिवार के हालात बिगड़ गए .... मुझे तब ये समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या होगा ...एम.सी.ए. का अंतिम वर्ष और मेरे पास फीस के लिए पैसे नहीं थे ....तब वो ही दोस्त था जिसने खुद मुझे बुलाकर मेरी मदद की थी ..... जब मेरी एम.सी.ए. का अंतिम सेमेस्टर था जिसमे ट्रेनिंग करनी होती है ...तब मेरे पास दिल्ली में रहने का ठिकाना नहीं था और ना ही पास इतने पैसे कि कुछ किया जा सके ...ये वो ही दोस्त था जो खुद उन दिनों एम.बी.ए. करके नौकरी की शुरुआत कर रहा था .........उसने मुझे खुद फ़ोन करके बुलाया था कि तू मेरे साथ रहेगा यहाँ दिल्ली में .....
उसने तब मुझे रहने के लिए छत दी , खाने के लिए पैसे दिए ......ये वही दोस्त था जो मुझसे पूँछता रहता कि कोई परेशानी तो नहीं ...और मैं उससे पैसे मांगने में कहीं शर्म ना करुँ इससे पहले वो खुद मुझे अपने आप बुलाकर पैसे दिया करता .....
हाँ ये वही दोस्त है जिसने मेरा हाथ तब थमा था जब हम बच्चे थे ....हाँ ये वही दोस्त है जिसने मेरा हाथ तब कसकर थाम लिया जब में गिर रहा था ....जब मैं तन्हा , अकेला था ....हाँ ये वही दोस्त है जिससे मैंने जाना कि दोस्त क्या होता है ...दोस्ती क्या होती है ......सचमुच दोस्त वो डायरी के लिखे हुए पन्ने इन सबके आगे कुछ भी नहीं ...कुछ भी नहीं .....तू उन सबसे कहीं आगे है ....
आज भी मैं इंसानी तौर पर, दोस्त के तौर पर तुझसे ही त्याग, प्रेम, व्यक्तित्व की परिभाषा सीखता हूँ .....तू इन सबसे कहीं बेहतर है ...हाँ दोस्त तू ही है वो जिसके बिना मैं कुछ भी नहीं ...कुछ भी
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14 comments:
शानदार तरीके से बांधे है आप कहानी को..........गाने की लय की तरह बहते चले जाते है सब.
दोस्त तो ऐसे ही होते है.........आपकी कहानी पढ़ कर भी ऐसा लगता है
हमारे अनुभव इसके उल्ट ही रहे है। पर फिर भी दोस्ती में यकीन रखते है। खैर दोस्ती की ये मिसाल दिल को भाई।
दोस्ती ऐसी ही होती है सच्ची हो तो ..बहुत अच्छा लिखा है आपने
aapka andaaje bayan judaa hai, aur yakeen maaniye mujhe khoob bhaataa hai. achaa laga, hameshaa kee tarah.
बहुत खूब तरीके से अपने मित्र की दोस्ती की मिसाल बयाँ की है. अच्छा लगा पढ़ कर मगर जो शीर्षक देख कर यहाँ पढ़ना शुरु किया, उसका पोस्ट से तो कोई मेल नही दिखता, फिर इस शीर्षक का औचित्य?
Wish i also had a friend like yours! any way why have referred to Bagpiper soda. Soda is not good for bones so u better have your drink with water only . It is the advise of well known doctors.
आप सभी का टिपण्णी के लिए शुक्रिया .... वो याद है टीवी वाला एड जिसमे बोलता था ....जब मिल बैठेंगे तीन यार ...आप, मैं और बैगपाइपर क्लब सोडा .... तो मन में यूँ ही ये शीर्षक का ख़याल आ गया ...पर बाद में महसूस हुआ की ये शीर्षक नहीं रखना चाहिए था
सच्ची दोस्ती इसे ही कहते है । और आप खुशनसीब है जो आपको ऐसा सच्चा दोस्त मिला ।
बहुत अच्छा लिखा है आपने
बचपन तुम्हारे साथ गुज़ारा है दोस्तों,
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तो।
होली है,होली की रंग-बिरगी बधाई,जीवन मे आपको दोस्तो की कभी कमी ना हो।
aapki har rachna padhne me ek alag anand milta hai.......
आप वाकई किस्मत वाले हैं ,जो आपको इतना अज़ीज़ दोस्त मिला है । ईश्वर की नियामत समझकर हमेंशा इस रिश्ते को सहेज कर रखिएगा अच्छे दोस्त और अच्छे पड़ोसी खुशकिस्मतों को ही नसीब होते हैं ।
bhai aapne ekdam dil ko choo lene waala post dala hai mere bhai. mujhe laga kahin meri aur amit ki kahaani to nahi likh dali aapne.
bahoot khoob
Anil bhai bahut pada hai tumhara blog...almost every post..bahut hi acha likhte ho ..khaskar tumhare bachpan ki lovestory pad kar bahur hi maja aata hai
मेरी नन्ही सी गुमनाम मोहब्बत (बचपन के दिनों से) ko kam se kam 10 bar pad chuka hu....aur jitne bar bhi padta hu hontho per mukan aa hi jati hai..
aisa lagta hai fir se bachpan ji arhe hai tumhare post ke sath....
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