एक भूल जिसका मैं प्रायश्चित तक ना कर सका
>> 02 March 2009
ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर खड़ी वो लड़की मुझे आज भी जब तब मेरे सपनो में आ जाती है जिसका मैंने दिल तोड़ा.... वो उसकी मुझसे मिलने की उत्सुकता और सब कुछ जान लेने की चाहत आज भी रह रह मेरे जहन में आ जाती है .... और वो रेलवे स्टेशन की बैंच जिस पर वो मेरे पास आकर बैठी थी ..... मुझे याद है कि वो मुझसे मिलने के लिए ऑफिस से छुट्टी लेकर आई थी ... और मैं " कुछ काम है " का बहाना बना वहाँ से जल्दी लौटना चाहता था .... टिकट जो मैंने उसके आने से पहले ही ले ली थी ....उसे दिखाते हुए बोला था कि जल्दी जाना है ....और इस बात पर उसका कहना कि इतनी जल्दी क्या है ? अभी तो चन्द पल भी नही बीते ....और तुम जाने की बात कर रहे हो .....
मुझे पता था कि वो मुझे चाहती है फिर भी मैं उससे उसकी शादी की बात कर रहा था ..."रिश्ते आ रहे हैं तो कोई लड़का पसंद आने पर शादी कर लो ".......उस पल कितना आसान लगा था ये सब कहना ...पर आज महसूस होता है कि ये बात उसे कितनी कचोटी होगी .....
ट्रेन अपने समय से देरी से थी ....वो एक घंटा और पाकर कितनी खुश थी और मैं मन ही मन ट्रेन को कोस रहा था ....वो मेरे नज़दीक बैठना चाहती थी और मैं दूरी बनाकर बैठा था ..... ना जाने क्या खोज रहा था मैं उन दिनों ....किस खोज में था ...अच्छी भली लड़की थी वो ...अच्छी दिखती थी ...नौकरी करती थी ....चाहती थी मुझे ....और मैं ठीक उसका उल्टा बेरोजगार और उसे न चाहने वाला .....
याद है मुझे कि जब ट्रेन आयी थी और मैं बिना कुछ कहे उठकर चल दिया था .....उसे छुआ तक नही था मैंने ....हाँथ मिलाकर ये ही कह देता कि तुमसे मिलकर अच्छा लगा तो भी खुश हो लेती वो .....पर झूठ भी न बोला गया उस पल मुझसे .....प्लेटफोर्म पर खड़ी उस लड़की का चेहरा ...थोडी सी उदास , मुझे निहारती हुई उसकी आँखें ...याद आ जाती हैं जब तब .....
जब उसने पूँछा कि अब कब आओगे तब मुँह से यही निकला था कि देखो कब आना होता है ....और उसका कहना कि आ जाना किराया मैं दे दूंगी ....पता है मुझे तुम्हारे पास अभी नौकरी नही ...आज दिल में अजीब सी बेचैनी पैदा कर जाता है
कितना निष्ठुर हो गया था उस पल ...ट्रेन प्लेटफोर्म से चले जाने तक मुझे एकटक देखती रही ....बेबस सी आँखें जिनमें कुछ सवाल और मेरे लौट आने का इंतज़ार ....मैं बस इतना कह सका "बाय" और उस पल हल्का सा मुस्कुराया था ...पता नही किस पर ...
और मेरे पहुँचने पर उसका फ़ोन आया ....उसके पूँछने पर कि क्या बात है ? कुछ परेशान से लगे ...मुझसे मिलकर अच्छा नही लगा तुम्हे .....ना जाने क्यों उस पल राजा हरिश्चंद्र बन बैठा .... कह दिया कि मैं तुम्हे नही चाहता ...तुमसे मिलकर एक पल भी मुझे नही लगा कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ .....
तीर की तरह मैंने अपने इन शब्दों से उसका दिल छलनी छलनी कर दिया .....वो पल है और आज का पल ...उसने कभी मुझे फ़ोन नही किया ....चन्द दिन बीत जाने पर मुझे एहसास हुआ कि मैंने गलती की है ....मुझे ऐसा व्यवहार नही करना चाहिए था ....उसे फ़ोन किया ...अपने बर्ताव की माफ़ी माँगी ....पर शायद ये बहुत कम था ...उसका दिल जो तोड़ा था मैंने ....वो मुझसे बात ही नही करना चाहती थी ...मुझे याद है कि जब जब मैंने उससे माफ़ी माँगने के उद्देश्य से फ़ोन किया उसने मुझसे बात नही करनी चाही ........
वक्त बीत गया ..... मैं न जाने किस खोज में था ...खोज में ही रह गया ....जब जब मुझे वो बर्ताव याद आता मैं माफ़ी मांगने के लिए फ़ोन करता ....और वो हमेशा कहती ...क्यों फ़ोन करते हो ? मैं भूल चुकी हूँ सब और तुम्हे भी ....मेरे ऊपर रहम करो और ...प्लीज़ मुझे फ़ोन मत किया करो .... मैं हर बार उससे माफ़ी मांगता ....लेकिन वो अपने दिल से मुझे कभी मांफ ना कर सकी ...
आज इतना वक्त बीत जाने पर एहसास होता है ...दिल तोड़ने के लिए कोई मांफी नही होती .....कितना बच्चा था मैं ...प्यार को खोज रहा था और एक लड़की के प्यार को न समझ सका ......
एक ऐसी भूल कर बैठा जिसका प्रायश्चित भी ना कर सका ......
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25 comments:
जो लिखा है वो असली किस्सा है या नहीं पर इतना तो नहीं पता है की दिल तोड़ने के बाद दिल जुड़ता नहीं
आपके दर्द से वाकिफ हुए अनिल जी । दिल में एक टीस रह जाती है कि काश मैंने ये किया होता तो कितना अच्छा होता । पर समय जा चुका है । नयी शुरूआत फिर से , यही जीवन है । अच्छा विवरण घटनाक्रम का । बधाई
ये किस्सा पढ़ दिल कहीं खो गया ..... ना जाने क्यों मन कुछ अशांत सा हो गया ...पर क्या करे जिंदगी थमती भी तो नहीं
बडे गुरू आदमी हैं भाई. यह तो आपने कहानी बीच से पढाई है. शुरुआत तो आपने गोल ही कर दिया.
अब क्या है? बस, प्रयाश्चित मन मन में कर लिजिये और नई शुरुवात करें. पुराने किस्से हैं, सालेंगे तो है ही.
जोहार
वक़्त के साथ हर घाव भर जाता है , दिल का घाव है थोडा वक़्त तो लगेगा ही . प्रयाश्चित से बड़ा कोई इसका इलाज भी नहीं .
बहुत खूबसूरत तरीके से बांधा है इस घटना, किस्सा या कहानी (पता नहीं ) को..........
आपका अदाज बहुत अच्छा है लिखने का
अजी हम तो समझे थे कि पता नहीं कौन सा पाप हो गया है,बेचारे जिस का प्रायश्चित तक न कर सके......लेकिन यहां तो इश्क मोहब्बत का मामला है.......खैर छोडिए मन दुखी नहीं किया करते.....पिछला भूलकर आगे के जीवन के बारे में सोचिए......यही जीवन है...........
अगर यह सच है तो मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है आपकी हरकत पर। मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आया आपका तौर-तरीका। आपको ऎसा नहीं करना चाहिए था। अब मैं कई दिन तक उस लड़की के बारे में सोच-सोच कर परेशान रहूंगा। लड़का हो या लड़की कभी एक-दूसरे को धोखा नहीं देना चाहिए। ऎसा मेरा मानना है। पता नहीं आपका मानना क्या है?
पुराने किस्से याद कर इतने दुखी न हो ... जो बीत गयी सो बात गयी ... फिर नई सुबह आएगी।
Anil ji jo beet gayi wo baat gayi yahi man kr chlen...wo agar khush hai to ab use ph karna galat hi hai ...aage aap khud samajhdar hi hain...!!
मुझे लगता है की आप ज्यादा भावुक हो रहे हैं!उस समय आपके मन में वो भावनाएं नहीं थीं ...लेकिन फिर भी आपने अपने कड़वे व्यवहार के लिए कई बार माफ़ी मांग ली है!अगर वो आपको माफ़ नहीं करना चाहती तो उस पर छोड़ दीजिये! वो जब महसूस करेगी की आप वाकई में शर्मिंदा हैं तो आपको खुद फोन करके माफ़ कर देगी!आप अब आगे बढ़ने की कोशिश करिए!
प्रायश्चित न सही पश्चाताप तो कर लिया आपने ? चलिए कुछ तो प्रतिकार हुआ !
"जिदंग़ी चलने का नाम बस चलते जाना है कोई साथ हो या ना हो, बस आगे बढते जाना हैं"
प्यार इकतरफा नहीं हो सकता। इस कहानी या घटना में केवल एक को ही था दूसरे से मोह था दूसरे को नहीं, सो यह प्यार था ही नहीं। लड़की से सहानुभूति है परन्तु वह भाग्यवान थी कि उसे दया में प्यार के नाम पर कुछ नकली प्यार नहीं मिला। लड़के का व्यवहार रूखा चाहे रहा हो परन्तु जो हुआ लड़की के लिए अच्छा ही हुआ। प्यार खोजा नहीं जाता हो जाता है, नहीं हुआ तो नहीं हुआ।
घुघूती बासूती
पढ़कर यही लगा कि....
ज़िन्दगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मुकाम
वो फिर नहीं आते......
बीते पल में लौटकर जलत को मिटाया तो नहीं जा सकता...पर इतना है की आगे के लिए यदि हर पल यह याद रहे कि सच को भी कटुता से न बोलना चाहिए....किसी का दिल दुखे या टूटे ऐसा व्यवहार भविष्य में कभी न करें तो असली प्रायश्चित यही है...
एक शेर याद आ रहा है...
"वो क्या था जिसे हमने ठुकरा दिया
मगर उम्र भर हाथ मलते रहे "
बाकी रंजना जी की बात पर गौर करे
यह तो मुझे परिचित कहानी लग रही है। शायद आप अब देवदास के दर्द को पकड़ पाएंगे।
- आनंद
उफ..ऐसे भी कोई करता है. पर मुझे लगता है वो लड़की अब भी आपको चाहती है. प्यार कभी खत्म नहीं होता. बात नहीं होने और दूर चले जाने पर भी नहीं. यह सच है. वो आपसे जरूर बात करेगी. तब सारे गिले-शिकवे दूर हो जाएंगे.
anil mujhe padhkar bahut achchi lagi tumhaari ye rachna aur ek baat mujhe aisa laga ye tumhare niji jeevan ka bahut hi aham hissa hai lekin main phir bhi yahi kahungi jo beet gaya hai use yaad kar dukhi nahi balki khush ho. good keep it up.
vao it's fantastic,i liked iur views too much.
so Anil ji don't be hopeless,bcz we know that
life is a struggle.......
now i want to say that, "chehre ki hasi se har gam ko chupao,bahut kuch bolo par kuch na batao,khud na rutho kabhi par sabko manao, ye raz hai jindgi ka , bas jeete chale jao"so think positive ok.
आपका बहुत बहुत शुक्रिया प्राची जी
apne to kuch bhula bisra hmare jehan me phir taja kar diya. yun hi kisi ne b hmara dil dukhya aur phir.............
males aise nirmohi nishthur kyu hote he. par shayad wo ye nhi jante k kai bar wo sheesha pane ki chah me heera kho dete he.
but i m so lucky that he is not with me, usne hmara ji dukhya aur hme umar bhar ki sikh de gya, thanks to him .
Apke liye sirf itna k ye khani jis kisi ki b he wo age se is tarh ki galti na dohraye. hmara manna he agar hum kisi ko khushi nahi de sakte to dukhi b kyo kare.
sayad o apko ajj bhi chati hai sir ji tabhi doobara khone ki dar se pas nahi ana cahati..................
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