रेलवे स्टेशन की एक रात और वो लड़की (भाग-2)
>> 30 March 2009
इस भाग को पढने से पहले रेलवे स्टेशन की एक रात और वो लड़की (भाग-१) पढ़ ले ....तभी ये रात और ये बात दिल तक जायेगी
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फिर उसने कहा थैंक्स .....मैं बोला किस बात के लिए .....वो बोली उस पागल से पीछा छुडाने के लिए .....मैंने मुस्कुराते हुए कहा अच्छा सच में वो तुम्हारे पीछे पड़ा था ......वो हँस पड़ी ....मैं भी यही चाहता था कि वो हँसे .... कम से कम वो डर तो ख़त्म होगा जो अभी उसने महसूस किया था .......
हँसते हुए बोली आप कहाँ जा रहे हैं .....मैंने कहा सुल्तानपुर ...और आप ....बोली लखनऊ ....
फिर उसके और मेरे बीच कुछ पलों की खामोशी रही ......फिर मुझे गोदान की मिस मालती आकर्षित ना कर सकीं .....अब मुझे उस लड़की की आँखें आकर्षित कर रही थीं .....मैं कुछ बोलने के लिए अपना गला साफ़ कर ही रहा था की तब तक उसने सवाल किया .....आप क्या करते हैं ? ....जी फिलहाल तो एम.सी.ए. कर रहा हूँ ....कहाँ से सुल्तानपुर से ...उसने कहा ............मैंने कहा हाँ जी ......फिर वो मुस्कुरा गयी......मैंने कहा आप मुस्कुरायी क्यों ? .....बोली आपका हाँ जी कहना बहुत अच्छा लगा ...........मैंने कहा चलो कुछ तो अच्छा लगा .....वो फिर मुस्कुरा दी ......
और आप क्या करती हैं ? मैंने पूँछा.....एम.बी.ए. कर रही हूँ ....आपकी ही तरह हाल फिलहाल ...अब मुस्कुराने की बारी मेरी थी .....वो बोली अच्छा तो ट्रेन तो २ घंटे और लगायेगी ...पता नहीं आज इसको क्या हो गया .....मैं तो बहुत बोर हो गयी .....टाइम कैसे कटेगा .....मैंने कहा बहुत आसान है वक़्त को बिताना .......बोली हाँ आपके पास तो गोदान है पढ़के टाइम गुजार दोगे ...पर मेरा क्या ......मैंने कहा बहुत आसान है कि दोनों का वक़्त बीत जायेगा और पता भी नहीं चलेगा ....उत्साहित होकर बोली वो कैसे ......मैंने कहा कि एक खेल खेलते हैं .....बोली कौन सा खेल ......मैंने कहा सवाल - जवाब ...वो हँस पड़ी ...ये भी कोई गेम है ....मैंने कहा बहुत सही गेम है .....और ये और भी रोचक हो जाता है जब हम दोनों अनजान हैं .....कुछ नहीं जानते एक दूसरे के बारे में .......और हाँ इसका नियम है कि पूँछे हुए सवाल का जवाब देना ही होगा और जो भी दिल करे उसका जवाब देने का वो दे ....जिसे हम डर की वजह से दूसरों को नहीं दे सकते .......और ये नियम हम खुद निभाएंगे .....इसमें कोई चीटिंग नहीं ... ...वो उत्साहित होकर बोली वाह मज़ा आएगा ...... हाँ बिल्कुल ...... और शुरुआत करते हैं ....१० सवालों से .....पहले एक पूंछेगा और दूसरा जवाब देगा ....और उसी तरह फिर दूसरे की बारी आएगी .....वो बोली ठीक है
लेकिन पहले मैं पूछूँगी....मैंने मुस्कुराते हुए कहा ....हाँ जी आप ही पूँछिये .....
आज आप यहाँ बैठे हुए जब कि ट्रेन इतनी लेट है तो क्या सोच रहे हैं ?मैंने गला साफ़ करने की आदत दोहरायी .....तभी वो मुस्कुरा दी .....बोली सच बोलना है ......मैं मुस्कुरा दिया ......सच तो यही है कि ऐसे में जब कि तुम मेरे पास बैठी हो तो सोचता हूँ कि एक रात जो गुजरे जा रही थी अपनी ही धुन में ...मेरे पास आकर मुट्ठी भर हसीन ख्वाब हाथ में थमा कर मुस्कुराती हुई चली गयी ....वो हँसी...वाऊ शायराना अंदाज़ .....मैं मुस्कुराते हुए बोला .....सच कह रहा हूँ , दिल की बात बताई है मैंने .....बोली अच्छा ऐसा कैसे .....मैंने कहा क्या ये इसी सवाल का हिस्सा है क्या ? ...वो मुस्कुरा दी ...हाँ यही समझ लो ......मैंने कहा तुम्हारी आँखें बहुत खूबसूरत हैं .....बिल्कुल एक हसीन ख्वाब की तरह ...और अब देखो तुम मेरे पास बैठी हो ...ये इस रात ने ही तो दिए हैं मुझे .....वो मुस्कुरा गयी ...बोली आपकी बातें तो बस ....फिर मुस्कुरा दी .....ठीक है अब मेरी बारी है ...मैंने कहा
तुम्हारा सबसे प्यारा ख्वाब क्या है ? जिसे तुम पूरा करना चाहती हो ?ह्म्म्म बहुत मुश्किल सवाल पूंछ लिया आपने ....वो बोली .....लेट मी थिंक ..... मैं एक छोटा सा स्कूल खोलना चाहती हूँ और इतना पैसा कमाना चाहती हूँ कि उसमे गरीब बच्चों को मुफ्त पढ़ा सकूँ .....
वो बोली अच्छा अब आप बताओ ...... आपकी नज़र में प्यार क्या है ? प्यार का एहसास क्या है ?......
प्यार का मतलब माँ है ....न कोई वादा, न कोई शिकवा न शिकायत, ना आग्रह, न अनुरोध, ना बदले में कुछ माँगती .....एहसास के लिए ....बालों में उसका हाथ फिराना, हमेशा प्यार जताना , सिरहाने बैठ तपते बुखार में सर पर रखी पट्टिया बदलते हुए बिना सोये रात गुजार देना ..... चोट हमे लगना और दर्द उसे होना .....ये प्यार का एहसास है ..... वो मुस्कुरा दी ....बोली अल्टीमेट, सुपर्ब ......आपकी क्या तारीफ़ करुँ.....
अच्छा एक कोई भी प्रकृति का नियम जो तुम १ साल के लिए बदलना चाहो ?ह्म्म्म .....पता नहीं आप क्या क्या पूँछते हैं .....मेरे लिए मुश्किल हो जाती है ..... वो मुस्कुरा कर बोली .... मैंने कहा कि अब सवाल तो सवाल हैं .....जवाब तो देना पड़ेगा ......ह्म्म्म ....अगर बदल सके तो ये कि सभी मर्दों को पूरे एक साल के लिए स्त्री बना दिया जाए और १ साल बीतने के बाद वो एक साल उन्हें हमेशा याद रहे .....शायद तब वो स्त्री को अच्छी तरह समझ पाएं .....मैं मुस्कुरा दिया और ताली बजा दी ....इस बार मेरी बारी थी ये कहने की कि अल्टीमेट, सुपर्ब
उसने पूँछा अच्छा आपकी कोई इच्छा इस तरह की जो पूरी करना चाहते हों ....
मैं जानना चाहता हूँ कि भगवान का कंसेप्ट कब कैसे और कहाँ से आया, वो है या नहीं ...और अगर है तो मैं जानना चाहूँगा कि वो इतने कमज़ोर क्यूँ है जो इस तरह की दुनिया ही बना पाए .....मैं चाहूँगा कि अगर वो हैं तो उन्हें और ज्यादा शक्ति मिले और सब कुछ देखने, सुनने, समझने और महसूस करने की भी शक्ति दे ......या फिर में गरीबी, जात-पात, धर्म, मजहब, और इंसान को बेवकूफ बनाये रखने के सारे साजो सामन उनके घर छोड़कर आना चाहूँगा
मतलब आप भगवान को नहीं मानते ...वो बोली
मैंने कहा अगर लोगों को बेवकूफ बनाए रख कर इस दुनिया को ऐसे बनाये रखने का नाम भगवान है तो मैं भगवान को नहीं मानता ....
मैंने कहा अच्छा आप बताइए ....आप ऐसी कोई फिल्मी हस्ती के नाम बताइए जिनसे आप मिलना चाहती हों ?
वो बोली .... शाहरुख़ खान और स्मिता पाटिल .....मैंने कहा शाहरुख़ खान तो समझ आता है लेकिन स्मिता पाटिल क्यों ......वो बोली उनकी आँखें बहुत कुछ कहती थी और उनकी अदाकारी बहुत गज़ब की थी ....
फिर वो बोली कि अगर आप किसी से मिलना चाहे तो किस से मिलना चाहेंगे .....मैंने कहा गुरु दत्त और देव आनंद या मधुबाला और संजीव कुमार या फिर गुलज़ार या फिर अमोल पालेकर .....बहुत से हैं
वो क्यों ...उसने पूँछा.....क्योंकि मैं गुरु दत्त के उस दर्द से रूबरू होना चाहता हूँ, देव आनंद जिसने गाइड जैसी अनगिनत अच्छी फिल्में दी उसकी स्टाइल का राज़ पूछना चाहता हूँ, मधुबाला की मुस्कराहट को मुट्ठी में कैद करके लाना चाहता हूँ .....संजीव कुमार की जिंदादिली ...गुलज़ार की रूमानियत और अमोल पालेकर से आम आदमी की परिभाषा पढ़कर आना चाहता हूँ ......वो बोली 'ओह माय गौड' ...आप तो बहुत पहुंची हुई चीज़ जान पड़ते हैं ....मैं जोर से हँस दिया .....हा हा हा .....नहीं नहीं ऐसी गलत फ़हमी मत पालो ....
फिर उसने पूँछा अच्छा आपने कभी किसी से प्यार किया है मतलब आपकी कोई गर्ल फ्रेंड है ? गर्ल फ्रेंड तो जरूर होगी ....
मैं मुस्कुरा दिया ....मैंने कहा एक तरफ आप पक्के यकीन के साथ कह रही हैं कि गर्ल फ्रेंड तो जरूर होगी और पूंछ भी रही हैं .....मैंने कहा मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है .....बोली झूठ, बिल्कुल झूठ .....सच बताइए ....मैं बोला लो भला मैं झूठ क्यों बोलूँगा .....अब आप ही बताइए मुझ जैसे आवारा लड़के की कोई गर्ल फ्रेंड क्यों बनना पसंद करेगी ..... आवारा ...किसने कह दिया आवारा .....मैंने कहा भाई ...इंसान की पहचान क्या होती है .....बोली क्या ....मैंने कहा सोच ...उसका नजरिया ...यही इंसान को पहचान देती हैं ...इंसान की सोच ही उसे नौकरी, पेशा , दोस्त ...सब देती है .....और मेरी सोच तो आवारा है .....तो मैं आवारा ही हुआ ना ...वो हँसने लगी .....ओह हो ....आप भी ना ...मैंने कहा सच में ....यही तो होता है .....
और जहाँ तक प्यार का सवाल है ...मैंने एक माँ के प्यार से पवित्र और कोई प्यार नहीं देखा और न ही महसूस किया ....और हाँ एक लड़की और एक लड़के के प्यार के सही मायने मुझे पता भी नहीं .....जिस दिन सही सही पता चल जायेंगे और ऐसी कोई मिल जायेगी तो प्यार भी हो जायेगा उस तरह का .....वो बोली अच्छा .....चलो इंतजार रहेगा ....
मैंने कहा और यही सवाल आपसे मैं करुँ तो .....वो बोली नहीं कोई नहीं है ....प्यार करने का मन तो करता है लेकिन ऐसा कभी कोई मिला नहीं ....हैं तो तमाम जो मुझे चाहने वालों में अपना नाम शुमार करते हैं, पीछे पड़े हैं ...लेकिन में जानती हूँ ...वो सब एक भूखे इंसान की तरह हैं ......जो मुझे खा भर लेना चाहते हैं ...मैं मुस्कुरा दिया .....मैंने कहा बहुत समझदार हो ...लड़कों की फितरत समझती हो .....बोली जिंदगी सब सिखा देती है ...मैंने कहा हाँ बात तो तुमने सही कही .....
तभी एक मीठी आवाज़ सुनाई दी .....लखनऊ के रास्ते चलकर बनारस को जाने वाली .....कुछ ही समय में प्लेटफोर्म नंबर २ पर आ रही है ....बातों में समय का पता ही नहीं चला ... वो बोली
मैं मुस्कुरा दिया ....हाँ तुम्हारी बातों में वक़्त का पता ही नहीं चला ....वो फिर मुस्कुरा दी .....थैंक्स ....आपने मेरा साथ दिया , वक़्त बिताया .....मैं मुस्कुरा दिया ......वो बोली अच्छा आपका मोबाइल नंबर क्या है ...मैंने कहा मेरे पास मोबाइल नहीं है .....ओह ....फिर मुस्कुरा गयी ...
बोली अच्छा एक सवाल .....मैंने कहा हाँ पूँछिये .... मेरे बारे में अगर कुछ कहना हो तो क्या कहोगे .....मैंने गहरी सांस ली ....सच कहूं क्या ....वो बोली ..हाँ बिलकुल सच ...मैंने कहा तुम्हारी खूबसूरत आँखें मुझे मजबूर करती हैं ये कहने के लिए ...
कि ....
बहुत खूबसूरत हैं ये आँखें तुम्हारी
इन आँखों को दिल में बसाने को
जी चाहता है
बहुत कुछ कहती हैं ये आँखें तुम्हारी
संग बैठ तेरे इन आँखों से
दिल का हाल सुनाने को
जी चाहता है
बहुत खूबसूरत हैं ये आँखें तुम्हारी
इन आँखों ....................
तभी शोर मचाती हुई हमारी ट्रेन प्लेटफोर्म पर आ पहुँची ...उफ़ एक तो लेट ऊपर से इतना ऊदम मचा रही है ..... अच्छा मेरे घर का नंबर है वो आप रख लो ....शायद फिर कभी बात हो सके .....वो बोली ....मैंने कहा हाँ ठीक है ....उसने अपना नबर लिख कर दिया .....अच्छा आपकी सीट किसमे है ...मैंने कहा एस-6 में ....वो बोली ओह मेरी एस-8 में है ......चलो कोई नहीं ......मैं हमेशा याद रखूंगी आज की बातों को ...इस मुलाक़ात को ......मैंने कहा और इस रात को ....वो मुस्कुरा गयी ....हाँ इस रात को भी .....फिर वो अपने डिब्बे में चली गयी और में अपने डिब्बे में .......लेकिन आखिरी पंक्ति बिना सुने
कि ...
बहुत खूबसूरत हैं ये आँखें तुम्हारी
इन आँखों को अपना बनाने को
जी चाहता है
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15 comments:
बहुत प्यारा किस्सा सुनाया अनिल जी आपने .
मैंने आज ही दोनों भाग पढ़े , बहुत अच्छा संस्मरण.
लेकिन अगली बार कोई ऐसा मिले तो अंतिम पंक्ति पहले बोल दीजियेगा .
:)
वाह बहुत सुन्दर लिखा है। आपकी कल्पना दिल को भा गई। बधाई स्वीकारें।
अंत तक कहानी मे रोचकता बनी रही ।
ये आखिरी पंक्ति पहली नही हो सकती थी क्या?बहुत बढिया……………लिखते रहो ………………सदा यूंही………………………दिल की गहराईयों से।कैसा लगा……………कमेण्ट…………………………ठीक आपकी ही स्टाईल में।
बहुत खूब ....हमारी स्टाइल में आपका कमेन्ट अच्छा रहा है
रोचक ..बांध कर रखा आपकी कहानी ने अंत तक ..अचानक गोदान और मिस मालती की भी याद हो आई
सवाल जवाब की आड़ में आप कितनी ही बातें कर गए...जो इंसान चाहते हुए भी किसी से नहीं कर पाता...बेहद खूबसूरत ढंग से बयां की गयी घटना...
नीरज
बहुत अच्छा लगा पढ़कर एक साथ ही सारा पढ़ गये बहुत सारी बधाई...
Wah Anil, Lajavab Likha...Fantasy hai yaa reality bad ki baat par jo bhi hai behad ruuhaani hai.
रोचक एवं प्रभावकारी रचना, हार्दिक बधाई।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
वैसे तो भाग-1 ही अपने में सम्पूर्ण कथा थी, मुक्त अंत लिये - पाठक की कल्पनाशीलता पर आधारित अंत... या फिर आरंभ! भाग-2 भी रोचक है पर दोनों भाग अलग अलग अनुभूति लिये हुए!
दोनों पार्ट पढे
मजा आ गया गुरु
सच में यार आवारा हो
मुझे तो लगता था कि यूं ऊट पटांग मैं अकेला ही सोचता हूं
पर तुम तो ग्रेट हो भाई
आनंद आ गया
सोचता हूं ये पोस्ट हर ऐसे आदमी को पढनी चाहिए जो बिंदास जीना चाहता है
fir usse baat hui?
nahi phir usse kabhi baat nahi hui
कुछ कुछ महाभारत का यक्ष-युधिष्ठिर संवाद जैसा था :)
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