इश्क तेरे रूप अनेक
>> 25 March 2009
प्यार भी बड़ी अजीब चीज़ होती है ....हो तो आफत और ना हो तो आफत ....भाई प्यार ना हुआ कोई आफत की पुडिया हो गई ....कितने ही हैं जिन्हें इस बात का मलाल रहता है कि कमबख्त उन्हें किसी ने प्यार क्यों ना किया ....
जहाँ हमें हॉस्टल के कमरे में बैठ अगले दिन कंप्यूटर पर प्रोग्राम बनाकर देने की चिंता होती थी वहीँ उसी पल हमारे जोड़ीदार को ये मलाल रहता कि इस बार जब वो घर गए तो मोहल्ले में रहने वाली उनकी एकतरफा प्रेमिका ने उन्हें इस बार मुस्कुरा कर नही देखा ........मतलब ये कि अगर वो मुस्कुरा जाती तो ये उसी पल खड़े के खड़े आगरे का ताजमहल ला देते उसे ....कमबख्त को जब चाहे तब प्यार हो जाता था ....और इस बात का मलाल कि उसकी कोई महबूबा क्यों नही है ...कई हसीनाओं ने उसका दिल तोडा ऐसा उसका कहना था ....
वहीँ दूसरी तरफ़ सबसे बड़ी जमात ऐसी है जहाँ ये बीमारी कोने कोने में फैली होती है ....किताबों में उसका दिया ख़त छुपाये रखना ...बंद डायरी में वो सूखा हुआ फूल जो उनकी महबूबा ने उन्हें कई रोज़ पहले की मुलाक़ात पर दिया था ...जिस पर उन्होंने पूरे 750 रुपये उडाये थे ...ऐसा उनका कहना था ....रोज़ उसका दिया हुआ इत्र लगाते हैं और सीना चौडा कर उँगलियों पर चार महबूबाओं के नाम गिनाते हैं ....और ख़ुद ही कहते हैं यार ये इश्क बहुत बुरी बीमारी है ...ना जाने कब ख़त्म होगी ....
मैं बोलता कि पोलियो की तरह इसके भी टीके इजात करने पड़ेंगे ....जो बच्चे के पैदा होते ही उसे लगा दिए जायें ...शायद अब तो पोलियो उल्मूलन की तरह इसका भी अभियान चलाना पड़ेगा .....तब उनका कहना कि अमां यार तुमको तो हमेशा मज़ाक की सूझती है ....
एक हमारी क्लास में ऐसे चाहने वाले थे कि डर के शाहरुख खान के भी पसीने छूट जायें ...वो इनके आगे पानी भरे आकर ...."ही इज सो डेंजरस " ऐसा लडकियां बोलती थी क्योंकि उन्होंने कईयों की बोलती बंद कर दी थी ...
अब हुआ यूँ कि ये ठहरे सच्चे दिलवाले ...जिंदगी में कभी प्यार नहीं किया और फिर डर और दस्तक जैसी फिल्में देख देख कर जवान हुए थे ...जहाँ आशिक अपनी महबूबा को पाने की खातिर कुछ भी करता है ....
खैर एम.सी.ए. शुरू होते ही क्लास की एक लड़की ने गलती से इनसे बात कर ली ...बस हो गए लट्टू ....अबे दोस्त बनकर नहीं रहा जाता क्या ....दोस्ती भी कोई चीज़ होती है ...पर नहीं जी ये तो सच्चे आशिक ही बनेंगे .....लड़की पर मोबाइल था तो अपने बाप से लड़ मर कर मोबाइल खरीदवा लाये .....फिर लड़की से नंबर ले बात शुरू की
इससे पहले कि लड़की कुछ समझ पाती ...ये उसके इश्क में पड़ गए ....अब लड़की का तो हो गया ना जीना हराम ...जहां लड़की जाए वहाँ ये पहुँच जायें ....पूरा का पूरा टाइम टेबल याद था इन्हें ....किस दिन मार्केट जाती है , किस टाइम जाती है , कितने दिन जाती है ...क्या खाती है , क्या खरीदती है ...वगैरह वगैरह ....सारा हाल चाल इन्हें पता था ...हर जगह पीछा करते हुए पहुँच जाते थे ....छुट्टी होने पर रेलवे स्टेशन पर पहुँच उसका सामान बोगी में चढाते ...और उससे हाथ मिला खुश होते .....
पर दिल टूटा, जब पता चला...कि लड़की का तो पहले से कहीं इश्क है , कोई बॉय फ्रेंड है ....धत तेरे की ...ये जानकारी सबसे पहले हमने ही उन्हें दी थी ...आखिर हमें विश्वसनीय सूत्रों से पता चली थी .....उस दिन उन्होंने पूरे 500 रुपये की कॉल कर डाली ....और हमारी छाती से लिपट खूब रोये ....
जब तक कॉलेज ख़त्म ना हुआ तब तक उसे चाहते ही रहे ...चाहते तो बाद में भी पर क्या करें लड़की ने अपने उस बॉय फ्रेंड के साथ लव मैरिज कर ली ....अब शादी शुदा लड़की से प्यार नहीं कर सकते ना ये ...इस लिए उनका ख्याल छोड़ दिए ....उस रात हमारे कमरे पर आ पूरी दो बोतल बीयर की गटक गए ....दिल की आखिरी आस भी टूट गयी थी ना ...
उस पल हमें इस रोग से बचने के टीके के बारे में फिर से एक बार ख़याल आया ...
उस रोज़ जब हॉस्टल का जोडीदार फिर से मिला ...बहुत खुश था ...हमने ख़ुशी का राज़ जानना चाहा ...उनके चेहरे से ख़ुशी फूटी पड़ रही थी .....कहने लगे ओ यार मुझे प्यार हो गया ...मैंने कहा फिर से ....बोला हाँ यार उसे देखा और देखते ही प्यार हो गया ...हमने कहा लव एट फर्स्ट साईट वाला मामला जान पड़ता है ...बोला नहीं ओये ....बाबूजी के जानकार की लड़की है ...शादी के लिए देखने गया था ....ओ यार मुझे तो देखते ही प्यार हो गया ....मैंने बोला तो कुछ पूँछा उससे ....बोला नहीं ....वो पूँछती जा रही थी ...और मैं हाँ हाँ बोलता जा रहा था ....क्या पूँछा उसने ....बोला मैंने सुना ही नहीं ..... ....गूढ़ दिमाग कहीं का ..... मैंने बोला फिर क्या हुआ ...बोला फिर क्या बात पक्की हो गयी ....मैं बोला सही है फिर तो तेरी लव मैरिज हुई .....और वो ठहाके मार कर हँसा ...और गले लग गया .......
दिल में ख्याल आया इश्क तेरे रूप अनेक ......
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14 comments:
आपने तो इश्क के तमाम पहलूँ गिना दिए ...और वो इसके टीके इजात करने का आईडिया कहाँ से आया ...बड़ा कमाल का है
कमबख्त को जब चाहे तब प्यार हो जाता था .....हा हा हा हा ...मज़ेदार ....और इश्क की रोकथाम के टीके का आईडिया तो खूब रहा ....हाहा हा हा हा
:-)
भाई छा गये ...मेरा तो हँसते हँसते पेट दुःख रहा है ......एकदम झकास ........
इश्क कहते हो हैरान हुए जाते हो।
ये नहीं कहते इन्सान हुए जाते हो।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
आपके मित्र के "दो इश्कों" की कहानी बयाँ है. भगवान करे सबको दूसरा वाला इश्क हो. कम से कम कुछ सफलता तो हाथ लगे!
अच्छी प्रस्तुति...
ये इश्क नही आँसा ये आग का दरिया है
टीके के लिए आंदोलन चलाने होंगे
मजेदार किस्सा अनिल जी ....पर वाकई प्यार लड़के लोगों की हाथ से टपकता रहता है.........लार की तरह
मा आ गया पढ़ कर
इश्क की रोकथाम के टीके का आईडिया मज़ेदार रहा .../
अच्छी रचना के लिये बधाई स्वीकारें बंधुवर....
mast.. :)
इश्क उन्मूलन के टीके इजात करने वाली बात ...अच्छी लगी... कोई चीज रोग मैं बदल जाए तो तो बुरी बात है ,लेख बढिया है
bahut maza aaya padhkar...
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