तेरी साँसों को महसूस करता हूँ मैं आज भी
>> 10 April 2009
याद है तुम्हें जब तुम कहा करती थीं कि चाहे जो हो जाए ...हम दोनों यूँ ही एक दूसरे से प्यार करते रहे या न रहे ...हम मिले या बिछुडे ...लेकिन में तुम्हे यूँ ही हर रोज़ एक मेल जरूर करुँगी ....हाँ शायद याद हो तुम्हें ...हाँ याद ही होगा
और मैं थोडा सा मुस्कुरा जाता था तुम्हारी इस बात पर ....शायद वो प्यार था तुम्हारा मेरे लिए जो ये सब कहता था ....कितना चाहा तुमने मुझे ...सच बहुत ज्यादा ...
याद है मुझे जब तुम रो पड़ी थी ...कई दिन मुझ से न मिल पाने के कारण .... कैसे चुपाया था मैंने तुम्हें ...पास जो नहीं थी तुम .... उस पल तुम्हारी आँखों के आँसू महसूस किये थे मैंने ...दिल तो किया था कि तुम्हें सीने से लगा लूँ ...बाहों में भर लूँ ....और कहूँ ....पगली ऐसे भी कोई रोता है ....मैं तो हर पल तुम्हारे साथ हूँ ...तुम्हारी बातों में, यादों में ....उस नरमी में जो तुम महसूस करती हो हमेशा ...ऐसे जैसे तुम मेरे सीने से लिपटी हुई हो ....फिर तुम यूँ रोया न करो .....
उस पल कितना मुश्किल हो गया था तुम्हें मनाना ....शायद बहुत मुश्किल .....और तुम कहने लगी थीं ....तुम्हारे बिना कैसे जी पाऊँगी ....मुमकिन नहीं शायद तुम्हारे बिना जीना ....और उस पल तुमने मुझे भी रुला सा ही दिया था .....मुझे पता है कैसे झूठ मूठ का हँस दिया था मैं .....और तुम बोली थी जाओ मैं बात नहीं करती तुमसे ....तुम हमेशा ऐसे ही करते हो
याद है मुझे तुम्हें मुझसे एक दिन की भी दूरी बर्दाश्त नहीं होती थी ...आज यूँ लगता है कि सदियाँ गुजर गयी हों ...कहने को अभी 1 साल ही हुआ है ....ऐसा शायद ही कभी हुआ हो जब तुम बिना मुझसे बात किये रह पायी हो ....कितना गहरा था हमारा प्यार और हमारा रिश्ता ....मैं आज भी तुम्हारे हाथों की गर्मी महसूस करता हूँ अपने हाथों में ....और लगता है कि तुम यहीं कहीं हो मेरे पास ....अचानक से ही कोई हँसी गूंजती है मेरे कानों में .....क्या तुम आज भी खुश हो .....खुश हो न तुम ......तुम खुश हो अगर तो मैं समझूंगा कि में जी लूँगा यूँ ही इस कदर ...शायद तुम्हारी यादों को याद कर कर के .....तुम्हारी आँखें अभी भी मेरी आँखों में देखती नज़र आती हैं .....जब तुम आँखों से आँखों में देखते रहने का खेल खेलती थी ....कितना पसंद था तुम्हें वो खेल .....और तुम्हें जीत कर खुश होते देख मैं कितना खुश होता था ...हर बार तुमसे यही सोच हारा हूँ मैं .....
मोहब्बत अपने आप में एक सुकून होती है ...एक ऐसी चाहत जिसको पाने की चाहत एक नशा बन जाती है ...और हर रोज़ , हर पल हम उस नशे में रहते हैं ....मोहब्बत पा लेने भर का नाम नहीं ...मोहब्बत में जो हो उसे मोहब्बत लफ्ज़ से भी मोहब्बत होती है ....
इंसानी दुनिया शायद समझती भी है और नहीं भी ....ये मिलावटें और नासमझी दो लोगों को जुदा कर देती है ...कभी कभी खुद इंसान अपनी गलती से मोहब्बत खो देता है ...फिर उसके पास कोई नहीं होता पर जिसने सच्ची मोहब्बत की हो वो जिंदगी भर उस नशे को महसूस करता रहता है ...कभी ख़ुशी के रूप में तो कभी उसे गम बनाकर
याद है न तुम्हें... जब मैंने तुमसे ये बातें कही थीं ...और तुम बोली थी कि तुम्हें तो किसी फिल्म का डायलोग राईटर होना चाहिए था ...उस पल कितना हँसा था मैं ...फिर तुमने मेरा गला पकड़ लिया था ....
इस दुनिया में इंसान ने जाति और धर्म की दीवारें खड़ी कर दीं ...देखा तुम जिन बातों पर हँसती थी ....आज उन्हीं दीवारों को तुम पार न कर सकीं ....उन्ही दीवारों ने हमारे बीच एक फ़ासला तय कर दिया ....
मैं आज भी तुम्हारे किये हुए वादे के सच होने का इंतज़ार करता हूँ ...कल रात तुम आई थी मेरे ख्वाबों में हकीकत बन कर ...पर आँख खोलने पर तुम न थी ...आजकल तुमने ये नया खेल शुरू कर दिया है ... हर रोज़ ये सोच कर सुबह उठता हूँ कि कहीं तुम्हारा मेल तो नहीं आया ... किसी दिन अगर तुम्हारा सवाल आया तो ...कह सकूँ कि तुम्हारी साँसों को मैं आज भी महसूस करता हूँ
तुम्हें सर्दी में भी पंखा चलाकर सोने की बुरी आदत है ...आजकल मौसम बदल गया है .....अपना ख्याल रखना .....
28 comments:
कभी ये मेरे दिल में उतरता है
और मुझसे बातें करता है
बात करने का मन हो न हो
यह बात करता है ,तेरे होने की
आपका ये लेख पढ़कर मेरी आँखें नम हो आयी ....क्या लिखते हो यार ....मोहब्बत ...मोहब्बत ...मोहब्बत
सच मैं बयां नहीं कर सकती कि मुझे कितना अच्छा लगा पढ़कर ...
दिल की बातें कोई यूँ भी कह सकता है ....आपकी इस रचना ने दिल में हलचल पैदा कर दी
कि शायद उसका मेल आ जाये और में जवाब दे सकूं कि मैं आज भी महसूस करता हूँ तुम्हारी साँसों को .....प्यार में भरी हुई रचना ....आप तो उस्ताद हैं ....आपकी मोहब्बत कि क्या तारीफ करुँ
बहुत संवेदनशील और भावुक पोस्ट. शुभकामनाएं.
रामराम
बहुत बढ़िया पोस्ट क्या बात है .....? रोज मेल देखता हूँ . हा हा
uff ye ishq bhi,bhawano ka samandar aur kya kahe,behad khubsurat.
सुन्दर और भावभीनी प्रस्तुति।
समय की शब्दावली में स्थिर और अचल कुछ नहीं होता!
मेरे ब्लॉग में मेरी रचना पर आपकी टिपण्णी पढ़ी, आपने पसंद किया, शुक्रिया|
आपकी रचना पढ़ी, भावनाओं की खुबसूरत अभिव्यक्ति, खुशनुमा यादों का दर्द और
इंतज़ार की व्यथा... सहज शब्दों में बहुत अच्छी रचना है, बधाई और शुभकामनायें!
एक आप अनिल हैं,एक हम अनिल हैं। आप मुस्कुराता हुआ गुलाब है तो उसके नीचे डंठल पर लगे नुकिले कांटे हैं। आप प्यार भरी गज़ल है तो हम गालियो से लबालब किताब हैं॥गज़ब लिखते हो बंधु।
bahut badhiya likha aapne, bahut achi rachna hi!
वाह अनिल जी आपकी रचना पढ़ कर बहुत अच्छा लगा | सच शब्दों का अच्छा ताना बाना बुना आपने परन्तु ये सिर्फ़ कहानी ही हो तो अच्छा है, किसी के जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी को उभार दिया ब्लॉग में| आपकी रचना की तारीफ़ के लिए शब्द कम हैं|
बहुत भावनात्मक कहनी है बधाई
Pyare Anil, yr efforts are very good ,expression
presentation and content every thing is good and fine. your writing is full of sentiments I liked it very much.My love and best wishes and a last say please keep it up ,you have a spark inside you
yours dr.bhoopendra
बेहद उम्दा, बहुत बहुत भावनात्मक
आपकी रचना सच में बधाई की पात्र है! बहुत बहुत बधाई!
’आज न जाने क्या जादू है,
यादों की रानाई में,
महफ़िल की महफ़िल निखरी है,
मेरी शबे तन्हाई में"
बधाई............
apki post ki charcha sirf mere blaag me
समयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : जो पैरो में पहिनने की चीज थी अब आन बान और शान की प्रतीक मानी जाने लगी है
ब्लॉग पर पधारने और मेरी मनोभिव्यक्ति की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद !
यूँ ही प्रोत्साहन बनाए रखिये !
मोहब्बत अपने आप में एक सुकून होती है ...sach hai
Aap ise yaheen samapt to nahee kar rahe? Aisa sitam na karen...kramshaha karen...warna man behad udas ho jayega....ek ummeed banee huee hai aapke ujwal bhavishyke liye...
snehsahit
shama
अनिल जी, हमे आपका ब्लॉग बहुत पसन्द आया और आपकी यह रचना बहुत ही पसन्द आयी। बहुत ही भवात्मक और सुन्दर पेश्कश है।
प्यार को भुला पाना इतना आसान नही होता, उनकी बाते अक्सर हमारे ज़ेहेन मे घुमती है।
Shukriya ji...
अनिल जी,
वाह क्या लिखते आप. आप की मुहब्बत का जूनून आप की कलम के एक एक अक्षर अक्षर से साफ़ झलकता है. आप कभी अपने इन्ही एहसासों को कविता में भी ज़रूर उतारे. हो सकता है आप ने लिखी जो मैंने आपभी पढी नहीं . आप के अन्दर बहुत दर्द हैं , प्यार का एहसास हैं जो आप की कलम के ज़रिये इन शब्दों में उतर आता हैं. आप हमेशा अपने अन्दर की इन गहरायिओं को लिखते रहे आप को शायद पता नहीं उन से किस किस दिल को शायद रहत मिलती होगी.
pyar mein aisa bhi hota hai
dil hansta hai aankh roti hai
bahut hi marmik .........mohabbat ho to aisi
अनिल जी! बहुत खुबसूरत एहसासों से बुनी बेहद प्यार भरी पेशकश....बहुत अछ्चा लगा पड़कर.
such hai kisi ki be panah mohabbt he zindagi ban jaati hai...
such he hai kisi ka be panah pyaar he jine ki vajah ban jaata hai....
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