मोहब्बत और वो भूली बिसरी यादें
>> 12 April 2009
"मोहब्बत" नाम आते ही एक शक्ले सूरत अख्तियार कर लेते हैं हम ....शायद एक ऐसा चेहरा जिसे स्कूल की चाहरदीवारी के उस पार छोड़ आये हो हम ...उस बचपन के साथ जो बीत गया ....जो बीती बात हो गया ....जिसकी याद जहन में हमेशा मिठास घोल जाती है ...या कॉलेज की कैंटीन में दोस्तों की हँसी के दरमियाँ वो ख़ास नज़रें जो छुप छुप के हमें देखा करती थी .....उन छुपती छुपाती नज़रों को वहीँ कहीं छोड़ आये हम ...पर सच में वो नज़रें जब तब याद आ ही जाती हैं ....शायद एक हसीन ख्वाब की तरह .....जो शाम को रूमानी बना जाता है
हाँ शायद मोहब्बत ऐसा ही नाम है ...जो ना जाने कितने जवां दिलों में बसी एक मीठी सी धुन है ....या उस किचिन में अपने पुराने रूमानियत के दिनों में खोयी उस रूह की ...जो कभी किसी मोटर साइकिल के पीछे बैठ अपना दुपट्टा उड़ाती थी ....एक आजादी में जीती लड़की की हँसी ...बिल्कुल प्योर ...शत प्रतिशत प्योर .....फिर वो याद करती है बस ....शायद जिंदगी भर ...या फिर वक़्त उन्हें धुंधला कर देता हो ...या फिर .....किसी टीवी चैनल को बदलते ....अचानक से उसे अपनी उस मोहब्बत के अल्फाज़ याद आ जाते हों .....जिस रोज़ उसके चाहने वाले ने ....एक लाल गुलाब दिया हो और कहा हो जानू तुमसे ज्यादा हसीन कोई नहीं , तुमसे ज्यादा खूसूरत कोई नहीं .....तुम जब हँसती हो तो लगता है ...जैसे उस हँसी को अपनी मुट्ठी में कैद कर लूं और ले जाऊँ उन हसीन वादियों में ...छोड़ दूं वहां जाकर .....तब देखूं कैसे गूंजती है वो ..कैसे वापस आती है ....और वापस आ कैसे कानों में मिठास घोलती है ....
लेकिन कभी कभी ये एक याद बनकर रह जाती है ....रिश्ते जो दिल को जोड़ते हैं ....तब रूह भी कितनी पाक साफ़ हो जाती है सच्ची मोहब्बत वालों की .....पर कहते हैं ना कि ये दुनियाँ और इसकी बनायीं हुई दुनियादारी में उलझ कर रह जाती है मोहब्बत ....
जब दिन रात रोती लड़की अपने माँ बाप से जिद करती है कि चाहे जो हो जाए वो जिससे मोहब्बत करती है उसी से शादी करेगी ...पर कहाँ ऐसा होता है ....ज्यादातर मोहब्बतें माँ बाप की झूठी मान मर्यादा और जिद के आगे कुर्बान हो जाती है ...अपनी बच्ची की हर ख्वाहिशें पूरी करने वाला बाप .....उसकी जिंदगी की सबसे प्यारी और जरूरी ख्वाहिश पूरी नहीं करता ....शायद यही तो है जिंदगी ...कुर्बानी तो मोहब्बत का दूजा नाम हो ....हर दूसरा बच्चा अपने माँ बाप के लिए कुर्बान हो जाता है ...पर कहाँ समझते हैं वो ....
पर क्यों ....क्या जाति, धर्म की दीवारें इसी लिए बनायीं गयी थी कि कोई सच्ची रूह जिंदा ना रह सके ....कोई मोहब्बत ना कर सके .....अगर करे भी तो उसे पा ना सके ....सच में कितने महान और प्रभावशाली रहे होंगे वो लोग ...जिन्होंने जाति, धर्म के बंधन बनाये होंगे ...और ऊँची ऊँची दीवारें खड़ी कर दी होंगी
अब तो नयी दीवारें इजात कर दी हैं दुनियाँ वालों ने ...चमक की दीवारें....रौशनी की दीवारें .....पैसे की दीवारें ...मोहब्बत तो शायद अब फीकी पड़ गयी इस चमक के आगे .....जिसमे लड़की अब हाई प्रोफाइल लड़के को ही अपना दिल देती है ....जिसमें उसके खर्चे का बिल चुकाने की क्षमता हो ....ना जाने क्यों "गिव एंड टेक" का नया चलन चल निकला है ...ना जाने कैसे और क्यों ये हाई प्रोफाइल मोहब्बत इजात कर दी जिसमें "बी प्रैक्टिकल" बड़े काम का जुमला हो चला है .......और लड़कों की क्या बात करें वो तो ......
कहीं सच्ची मोहब्बत और सच्ची मोहब्बत की बातें किताबी बातें बनकर ना रह जाएँ ...जिन पर बस पिक्चरें बनती हों ....या कोई लेखक किताब भर लिख सकता हो .....डर है कही किसी दिन म्यूजियम में सजाकर रखने वाली चीज़ ना हो जाए .....और लोग दूर दूर से देखने आये ........
पर फिर भी ना जाने क्यों किसी वादी से एक मीठी सी हँसी आती सुनाई दे रही है .....मेरे कानों में .....लगता है कहीं किसी ने सच्ची मोहब्बत की है .......या कोई मोहब्बत की वो पाक साफ़ हँसी ...उन वादियों में आजाद होकर गुनगुना रही हो .....हाँ शायद ....ऐसा ही होगा ....तभी मेरे कानों में रूमानियत भरी मीठी मीठी धुन बहती हुई आ रही है
शायद तभी किचिन में एक लड़की को अपनी भूली बिसरी मोहब्बत की कोई बात याद आ रही है .......शायद तभी फिर स्कूटी पर बैठी लड़की अपना दुपट्टा हवा में उड़ा रही है .....शायद ये मोहब्बत का ही असर है ...हाँ शायद मोहब्बत ही होगी ......
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21 comments:
आप इतना रोमांटिक कैसे लिख लेते हैं ...सच मुच आपकी कलम में जादू है .....
I am a big fan of you.
अनिल भाई , बहुत खूब । प्यार , मोहब्बत में आप लाजवाब हो । गजब का लिखा , बहुत रोमांटिक
महानगरों और शहरों में तो अब जाति और धर्म को दरकिनार कर लोग अपने बच्चों की इच्छानुसार ( भले ही मन मार कर )शादिया करने लगे हैं. होते तो वे प्रेम विवाह हैं, लेकिन कितने मामलों में यह सच्चा प्रेम होता है और कितने मामलों में क्षणिक आकर्षण, यह शोध का विषय है. बहरहाल आपके रूमानी लेखन के लिय बधाई.
बहुत खूब मालिक, प्यार /मोहब्बत को बहुत करीब से देखा है आपने .
हर लाइन अपने आप को बखूबी बयाँ कर रही है .
शुक्रिया शुक्रिया ..शुक्रिया :) :)
जीवन क्षणिक निस्सार है।
जो शेष है वह प्यार है।
मोहब्बत चीज ही ऐसी है............प्यारा सा एहसास, कोई खुशबू, खोई खोई सी duniyaa
किताबो मे लिखे है चाहत के किस्से,मगर आप्सा किस्सा किताबो मे नही है॥ बहुत खूब गुरू,लगता है कोई लम्बा लफ़्ड़ा किये हुये हो।फ़िकर नाट,जब मर्ज़ी रायपुर आ जाना 200 से ज्यादा प्रेम विवाह कराने का एक्स्पीरियंस है अपुन के पास्॥
हा हा हा .....अरे नहीं नहीं ...ऐसा कोई लफडा नहीं किया है हमने
अनिल साहब की बात पर ध्यान दो भाई.....
... बहुत खूबसूरत रचना
Bindas Rachna.
दैनिक हिंदुस्तान अख़बार में ब्लॉग वार्ता के अंतर्गत "डाकिया डाक लाया" ब्लॉग की चर्चा की गई है। रवीश कुमार जी ने इसे बेहद रोचक रूप में प्रस्तुत किया है. इसे मेरे ब्लॉग पर जाकर देखें !!
kya kahu...bahut badiya likha hai aapne...
वाह जी वाह अनिल भाई आपको मुहब्बत साहब का खिताब दिया जा सकता है
मोहब्बत भरे अल्फाज़ खूब लिख लेते हैं आप......लगता है मोहब्बत आपके रूह में बसी है......बहोत खूब .....!!
शुक्रिया ...शुक्रिया ...आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया
अनिल जी जब भी आप को पढता हूँ ऐसा लगता है जैसे सब कुछ आंखों के सामने ही हो रहा है, समां बाँध देते हैं आप, एक एक शब्द दिल से निकला हुआ और दिल को पहुँचता हुआ | बिना लाग लपट कहना चाहूँगा आप कलम के जादूगर हैं |
आज आपका ब्लॉग देखा (क्षमा कीजियेगा रात अधिक हो जाने के कारण पढ़ नहीं पायी) .देखकर ही पता चल गया की यह कवि-ह्रदय software engineer का ब्लॉग है .सुन्दर है, कल पढूंगी .
पहले तो मै आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हू कि आपको मेरी शायरी पसन्द आयी !
आप का ब्लोग मुझे बहुत अच्छा लगा और आपने बहुत ही सुन्दर लिखा है !
" मोहब्बत शायद यही होती है....जो देखने वाले को हर शै में नज़र आती है....."
regards
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